
मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता रहा है. जबलपुर की सेंट्रल जेल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार रहे हैं. इसके साथ ही नेताजी ने जबलपुर में ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. नेताजी की इन्ही यादों को संजोते हुए अब जबलपुर सेंट्रल जेल में नेताजी के नाम पर पहले म्यूजियम को जनता के लिए खोल दिया गया है.
इस म्यूजियम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी तमाम यादों को संजोया गया है. इस म्यूजियम में उस पलंग को भी रखा गया है जिस पर करीब 91 साल पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कई रातें गुजारी थी. लोहे की जिन जंजीरों से अंग्रेजों ने नेताजी को जकड़ कर रखा था, उसे भी इस म्यूजियम में रखा गया है.
22 दिसंबर 1931 को पहली बार नेताजी को सेंट्रल जेल लाया गया था
22 दिसंबर 1931 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पहली बार सेंट्रल जेल लाया गया था. उस समय जबलपुर की सेंट्रल जेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रखने के लिए अंग्रेजों की पसंदीदा जेल मानी जाती थी. यहां नेताजी को 209 दिन रखा गया. दूसरी बार 16 जुलाई 1932 को उन्हे यहां लाया गया. इस दौरान वे यहां 5 दिन रहे. इस तरह कुल 214 दिन नेताजी जबलपुर की सेंट्रल जेल में रहे. इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए कई अहम योजनाएं भी बनाई, जो बाद में चलकर बड़े आंदोलन में तब्दील हुई.
नेताजी ने जबलपुर सेंट्रल जेल में 6 महीने से ज्यादा समय तक रहे थे, इसीलिए आजादी के बाद जबलपुर की सेंट्रल जेल का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल रखा गया. यहां तब से ही एक सुभाष वार्ड है जिसे अब म्यूजियम में बदल कर जनता के लिए खोल दिया गया है. यहां एक दीवार पर कई चित्रों को लगाया गया है. दीवार पर 1905 के नेताजी की बचपन की तस्वीर आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही ब्रिटिश शासनकाल की घड़ी, जेल प्रहरियों की वर्दी, बेल्ट, तिजोरी भी संभालकर रखी गई है.
खास बात यह है कि जेल के बंदियों ने इस म्यूजियम में लगाने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के फोटो अपने हाथों से बनाए हैं. सालों से नेताजी की मौत पर रहस्य बना हुआ है लेकिन इस म्यूजियममें आकर लोग देख पाएंगे कि किस तरह नेताजी ने जेल में जीवन समय बिताया था.