
मध्यप्रदेश विधानसभा में चुनावों की हलचल जोरों पर है. यहां पर कई हस्तियां चुनावों को प्रभावित करने के रूप में जानी जाती हैं. मध्य प्रदेश में एक समय डकैतों का बोल-बाला रहता था और वह चुनावों को प्रभावित भी करते थे. हम आपको बता रहे हैं मध्यप्रदेश के उन डकैतों के बारे में जिन्होंने चुनाव के समय अपनी धाक से इलाके में दहशत का माहौल बनाया था.
फूलनदेवी
डाकू फूलन देवी को बीहड़ में कुख्यात डकैत माना जाता है. जिसे वक्त और हालात ने डाकू बनने पर मजबूर कर दिया था. उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था. जिसके बाद वह महज 16 साल की उम्र में डाकू बन गई थी. उसने बलात्कार का बदला लेने के लिए राजपूत समाज के 22 लोगों को सरेआम कत्ल कर दिया था.बाद में वर्ष 1983 में फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया था. करीब साल बाद जब वह जेल से छूटी तो उसने राजनीति का रुख कर लिया. सपा के टिकट पर उसने मिर्जापुर से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा और वह सांसद रही. मगर वर्ष 2001 में फूलन देवी की दिल्ली में उनके सरकारी आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
प्रेम सिंह
2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व डकैत प्रेम सिंह कांग्रेस की टिकट पर मध्य प्रदेश के सतना जिले की चित्रकूट सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने बीजेपी के सुरेंद्र सिंह गहरवार को करीब 10 हजार मतों से पराजित किया था.
दस्यु जीवन से राजनीति का सफर करने वाले प्रेम सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रहे. वो 1998 और 2003 में भी कांग्रेस की टिकट पर ही जीत कर विधायक बने थे. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं दिवंगत दिग्गज कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के कट्टर समर्थक रहे प्रेम सिंह का लंबी बीमार के बाद पिछले साल मई में निधन हो गया था.
मलखान सिंह
पूर्व डाकू मलखान सिंह एवं डाकू मनोहर सिंह गुर्जर ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था. 25 साल से अधिक समय तक चंबल घाटी में आतंक मचाने के बाद मलखान सिंह ने करीब साढ़े तीन दशक पहले अर्जुन सिंह सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और अब वे बंदूक छोड़ आध्यात्मिक मार्ग अपना चुके हैं.
हालांकि बड़ी-बड़ी मूंछ रखने वाले मलखान सिंह ने एक दौर में पंचायत चुनाव लड़ा था और इसमें जीत भी हासिल की थी. वह विभिन्न राजनीतिक दलों से भी जुड़े रहे हैं. 1996 में भिंड से सपा की टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव भी लड़े थे, लेकिन हार गया. मलखान ने एमपी में कांग्रेस के और सपा के लिए उत्तरप्रदेश में चुनाव प्रचार भी किया. पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसने बीजेपी के प्रत्याशियों का समर्थन किया और उनके लिए वोट भी मांगे.
मनोहर सिंह गुर्जर
डाकू मनोहर सिंह गुर्जर 90 के दशक में बीजेपी में शामिल हुए और वर्ष 1995 में भिंड जिले की मेहगांव नगरपालिका के अध्यक्ष बने. हालांकि, अब वह अपना छोटा-मोटा निजी कारोबार करते हैं.
ददुआ
चित्रकूट-बांदा क्षेत्र के पाठा के जंगलों में खौफ का नाम ददुआ बन चुका था. उसने पूर्व डकैतों के साथ मिलकर राजनीति का खेल शुरू किया, लेकिन उसी राजनीति के चलते मौत का शिकार बन गया. हालांकि उससे पहले अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए डकैत दिलचस्प तरीके से फरमान जारी करते थे।
उसके गैंग के डकैत सिर्फ एक मुखबिर के सहारे 50-100 गांवों तक यह संदेश पहुंचा देते थे कि किस पार्टी, निशान और प्रत्याशी को वोट देना है. ददुआ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में चुनावों को प्रभावित करते थे. वो भले ही विधायक और सांसद नहीं बन सका लेकिन अपने पूरे परिवार को बनाने में सफल रहा.
ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल सपा से सांसद, बेटे वीर सिंह विधायक भतीजा राम सिंह विधायक रह चुके हैं. ददुआ के भाई और बेटे मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र की सीटों पर सपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. ठीक ऐसे ही अन्य डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया भी चुनावों को प्रभावित किया करता था.