आज का दिन: परमबीर सिंह के दावे के बाद क्या अनिल देशमुख की कुर्सी जा सकती है?

मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे को चिट्‌ठी लिखकर कहा था कि सचिन वाझे को गृहमंत्री का संरक्षण था और उन्होंने वाझे से हर महीने 100 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था.

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महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (फाइल फोटो) महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST

महाराष्ट्र और मुंबई एक बार फिर चर्चा में है. कोरोनावायरस के बढ़ते तो मामले तो है ही एक वजह यहां चल रहा सियासी बवाल भी है. मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया की जांच के बीच इस्तीफा देने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के एक लेटर से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है और उद्धव सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मामला ये है कि मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे को चिट्‌ठी लिखकर कहा था कि सचिन वाझे को गृहमंत्री का संरक्षण था और उन्होंने वाझे से हर महीने 100 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था. 

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परमबीर सिंह ने चिट्ठी में यह भी कहा कि अपने ग़लत कामों को छुपाने के लिए मुझे बलि का बकरा बनाया गया है. इधर, गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि परमबीर खुद को बचाने के लिए उन पर आरोप लगा रहे हैं.  उन्होंने परमबीर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात भी कही है. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और मनसे नेता राज ठाकरे ने भी गृह मंत्री देशमुख से इस्तीफा मांगा है. इन आरोपों के बाद NCP चीफ शरद पवार ने कल दिल्ली आवास पर अजीत पवार और जयंत पाटिल को मीटिंग के लिए बुलाया था. तो क्या अनिल देशमुख की कुर्सी जा सकती है? और गठबंधन के भीतर इस मुद्दे पर एकमत है या अंतर कलह की खबरें हैं?  

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दिन ब दिन बंगाल की राजनीति में हर पार्टी हर एक दाव खेल रही है जिससे सामने वाले को शह और मात दे दिया जाए. ऐसा ही हमें कल भी देखने मिला.  जगह थी पश्चिम बंगाल की बांकुरा जहां प्रधानमंत्री ने ममता बेनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोला और जमकर हमला बोला. साथ ही ताबड़तोड़ रैलियों के साथ बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के लिए अपना मेनिफेस्टो भी जारी किया और इसके साथ ही बंगाल के लोगों के लिए वादों का पिटारा खोल दिया है. अब क्या है भाजपा के मेनिफेस्टो में और कितना कारगर दिख रहा है. और ममता बनर्जी के घोषणापत्र में क्या समानताएं हैं.

अब बात बिहार की. तो जो खबर मैं आपको बताने जा रहा हूं वो महिलाओं के लिहाज़ से काफ़ी सकारत्मक है. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी, 2020 तक, बिहार में पुलिस बल की कुल संख्या में 25.3 फ़ीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है, राज्य में कुल 91,862 पुलिस कर्मियों में से 23,245 महिलाएँ हैं.  देश के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा. गौर करने वाली बात है कि 2016 में सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के आरक्षण को 35 फीसदी तक बढ़ाने का बिहार सरकार का फैसला राज्य पुलिस बल के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में हर चार पुलिसकर्मी में एक महिला है. बिहार ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडू को भी पीछे छोड़ दिया है. हिमाचल में महिआओं को हिस्सेदारी 19.15 फीसदी है और तमिलनाडु में 18.5 फ़ीसदी है. मैंने आजतक रेडियो के रिपोर्टर अमिताभ श्रीवास्तव से बात की और पूछा की बिहार में महिलाओं की बिहार पुलिस में ये हिस्सेदारी कैसे मुमकिन हो पाई? और इससे उनका सामाजिक और आर्थिक स्तर कैसे सुधरा है?                

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रविवार को रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेश्नल स्टेडियम में खेले गए रोड सेफ्टी वलर्ड सिरीज के फाइनल में इंडिया लीजेन्डस ने श्रीलंका लीजेन्डस को 14 रनों से हरा कर ट्रॉफी अपने नाम कर ली. भारत के युसूफ पठान के 62 और युवराज सिंह के 60 रनों की बदौलत इंडिया लीजेन्डस ने श्रीलंका लीजेन्डस के सामने 182 रनों का लक्ष्य रखा. लक्ष्य का पीछा करने उतरी श्रीलंका लीजेन्डस ने भी अंत तक जीतने की कोशिश की लेकिन सनत जेसुर्या, वीरारत्ने की शानदार पारी के बावजूद वह लक्ष्य से 14 रन दूर रही. तो कैसा रहा टीम इंडिया का प्रदर्शन.

इन सब पर विस्तार से बात करेंगे. इसके अलावा देश-विदेश के अख़बारों से सुर्ख़ियां होंगी और बताएंगे आज के दिन की इतिहास में अहमियत. सुनिए 22 मार्च का 'आज का दिन' अमन गुप्ता के साथ.

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