Advertisement

मुंबई: गौतम नवलखा जेल से रिहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक महीने तक रहेंगे नजरबंद

70 वर्षीय नवलखा शाम करीब छह बजे जेल से बाहर आए. पुलिस की एक टीम उन्हें नवी मुंबई के बेलापुर-अग्रोली इलाके में एक बिल्डिंग में ले गई, जहां वह रहेंगे. ये बिल्डिंग सीपीआई की है, जिसमें बेसमेंट में एक लाइब्रेरी भी है.

पुलिस के साथ नवी मुंबई पहुंचे गौतम नवलखा पुलिस के साथ नवी मुंबई पहुंचे गौतम नवलखा
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 19 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST

भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद गौतम नवलखा को शनिवार शाम को मुंबई पुलिस के हवाला कर दिया गया. जहां से उन्हें नवी मुंबई की बिल्डिंग में ले जाया गया है. यहां वे एक महीने तक हाउस अरेस्ट (नजरबंद) रहेंगे. दो साल से अधिक समय के बाद नवी मुंबई की तलोजा जेल से बंद नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के 10 नवंबर के आदेश के बाद रिहा किया गया है. जिसमें उन्हें गंभीर बीमारियों के चलते नजरबंद रखने का फैसला सुनाया गया था.

Advertisement

70 वर्षीय नवलखा शाम करीब छह बजे जेल से बाहर आए. पुलिस की एक टीम उन्हें नवी मुंबई के बेलापुर-अग्रोली इलाके में एक बिल्डिंग में ले गई, जहां वह रहेंगे. ये बिल्डिंग सीपीआई की है, जिसमें बेसमेंट में एक लाइब्रेरी भी है. उनकी रिहाई से पहले एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश राजेश कटारिया ने अपना 'रिलीज मेमो' जारी किया था. 

कई बीमारियों से पीड़ित होने का दावा करने वाले गौतम नवलखा अप्रैल 2020 से जेल में बंद थे. 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अर्जी के जवाब में निर्देश दिया कि उन्हें कुछ शर्तों के साथ एक महीने के लिए नजरबंद रखा जाए. कोर्ट ने कहा कि आदेश को 48 घंटे के भीतर लागू किया जाना चाहिए.

लेकिन एल्गार मामले की जांच कर रही एनआईए ने फिर से शीर्ष अदालत का रुख किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरे से जुड़े मामले में चार्जशीट किए गए आरोपी नवलखा किसी भी तरह की छूट के लायक नहीं हैं. शुक्रवार दोपहर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने 10 नवंबर के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि उन्हें 24 घंटे के भीतर नजरबंद कर दिया जाना चाहिए.

Advertisement

गौतम नवलखा पर क्या आरोप है?

दरअसल, जिस मामले में गौतम नवलखा जेल में बंद थे वह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित 'एल्गार परिषद' सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है. जिसके बारे में पुणे पुलिस ने दावा किया कि अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई. पुलिस के मुताबिक, प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) से जुड़े लोगों ने कार्यक्रम आयोजित किया था. जिसके बाद पुलिस ने एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को आरोपी बनाया. मामला बाद में एनआईए को सौंप दिया गया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement