
महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है. अब जानकारी आ रही है कि राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना वर्ली विधानसभा सीट पर शिवसेना (UBT) विधायक आदित्य ठाकरे के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार सकती है. इस सीट से मनसे संदीप देशपांडे को मैदान में उतारने की संभावना है.
शनिवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने वर्ली की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. वर्ली से जुड़ी चिंताओं पर फोकस को देखते हुए यह बैठक महत्वपूर्ण है.
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, बैठक के बाद शिंदे ने अधिकारियों को वर्ली के मुद्दों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है. मनसे नेता देशपांडे वर्ली निवासियों की समस्याओं को सक्रिय रूप से उठा रहे हैं.
विशेष रूप से मनसे ने 2019 के विधानसभा चुनावों में वर्ली से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था, क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे. चुनावी राजनीति में एंट्री करने वाले पहले आदित्य ने बिना किसी मजबूत विरोध के 62,247 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
BJP और MNS ने बढ़ाई सक्रियता
शिवसेना (यूबीटी) की जीत के बावजूद वर्ली विधानसभा क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बढ़त में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज हु्ई है. जिसको मनसे एक संभावित मौके के रूप में देख रही है. यह स्पष्ट नहीं है कि सत्तारूढ़ गठबंधन या मनसे एक साथ चुनाव लड़ेंगे या नहीं. सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए वर्ली में कार्यक्रम आयोजित कर इलाके में अपनी सक्रियता बढ़ा रही है.
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने बताया कि 2017 नगर निगम चुनावों में हमें (मनसे) वर्ली से लगभग 30,000 से 33,000 वोट मिले थे. हमारे पास इस निर्वाचन क्षेत्र में मनसे को समर्पित मतदाता हैं. एमएनएस ने दावा किया कि अपने पिता उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना (यूबीटी) में दूसरे नंबर के नेता आदित्य ठाकरे आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हैं.
देशपांडे ने कहा, "सवाल यहां पहुंच का है. लोगों को ऐसे विधायक की जरूरत है जिसके पास वह आसानी से पहुंच सकें. मौजूदा विधायक के पास लोगों की पहुंच संभव नहीं है.
'गिरावट का मतलब ये नहीं है कि लोग नाराज हैं'
शिवसेना (यूबीटी) एमएलसी सुनील शिंदे ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के उम्मीदवार की बढ़त में "अप्रत्याशित गिरावट" को स्वीकार किया. उन्होंने इसके लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार बताया,लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में आदित्य ठाकरे की वापसी का विश्वास जताया है.
उन्होंने कहा, "बढ़त में गिरावट का मतलब यह नहीं है कि लोग हमसे नाराज हैं. हमारा उम्मीदवार हमारे प्रतिद्वंद्वी (शिवसेना की यामिनी जाधव) से कहीं बेहतर था. लेकिन लोकसभा चुनाव में यह मोदी फैक्टर था. हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले."
एमएलसी ने कहा कि त्रिकोणीय मुकाबले में मनसे सेना (यूबीटी) के वोटों में सेंध लगा सकती है, लेकिन केवल 2,500 के आसपास. शिवसेना (यूबीटी) के पास चुनाव के दिन मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक आकर्षित करने की एक मजबूत योजना है.
अक्टूबर में होगा विधानसभा चुनाव
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर इस साल अक्टूबर में चुनाव होने हैं. मुंबई शहर और मुंबई उपनगरीय जिला सामूहिक रूप से 36 विधायकों को राज्य विधानसभा में भेजते हैं.