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BJP से अदावत या BMC की सियासत, तेजस्वी से मिलने पटना क्यों पहुंचे आदित्य ठाकरे?

महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल होने के बाद से उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय हैं. आदित्य ठाकरे बिहार के डिप्टीसीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मिलने पटना पहुंचे हैं, जिसे लेकर राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय वोटों की ताकत को देखते हुए आदित्य बिहार पहुंचे हैं.

पटना में तेजस्वी यादव से मिले आदित्य ठाकरे पटना में तेजस्वी यादव से मिले आदित्य ठाकरे
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 23 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

महाराष्ट्र और बिहार की सियासत नई करवट ले रही है. एक दौर में जो कभी दोस्त थे वो अब सियासी दुश्मन बन चुके हैं और जिनके बीच छत्तीस के आंकड़े थे, अब वो ही कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज हो गए तो उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे पार्टी को दोबारा से मजबूत करने में जुट गए हैं. ऐसे ही बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर महागठबंधन में वापसी कर गए हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बिहार के डिप्टी सीएम बन गए हैं और बीजेपी अब विपक्ष में है. 

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महाराष्ट्र और बिहार की राजनीतिक परिवर्तन के बाद शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे बुधवार को आरजेडी नेता और बिहार के डिप्टीसीएम तेजस्वी यादव से मिलने पहुंचे. दो युवा नेताओं की मुलाकात महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि ठाकरे परिवार की बदली हुई राजनीति का संकेत दे रही है. वहीं, बिहार में महागठबंधन विपक्षी दलों को साथ लेकर बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त तरह से चक्रव्यूह रच रहा है.  

आदित्य ठाकरे, तेजस्वी यादव से ऐसे समय में पटना मिलने पहुंचे हैं जब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है और महानगरपालिका बीएमसी चुनाव सिर पर है. बीएमसी पर तीन दशक से काबिज शिवसेना को बेदखल करने के लिए बीजेपी-शिंदे गुट एकजुट है. इस तरह बीएमसी पर अपने सियासी वर्चस्व को बनाए रखने की उद्धव ठाकरे के सामने चुनौती खड़ी हो गई है. यही वजह है कि आदित्य ठाकरे अपने करीबी नेताओं की टीम लेकर तेजस्वी यादव से मिलने पटना पहुंचे.

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तेजस्वी यादव से मुलाकात के सवाल पर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने मुंबई एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह एक ही उम्र के दो नेताओं के बीच की मुलाकात है. हमने कई बार फोन पर बात की है, लेकिन आज व्यक्तिगत मुलाकात होगी. आदित्य भले ही इसे निजी मुलाकात बता रहे हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक महाराष्ट्र की बदली सियासत और शिवसेना को दोबारा से मजबूत करने के नजरिए से देख रहे हैं.

महाराष्ट्र में सत्ता गंवाने के बाद आदित्य ठाकरे सक्रिय है और अलग-अलग नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे और राहुल गांधी के साथ पैदल चले थे. अब बिहार में तेजस्वी यादव से मिलने के लिए आदित्य ठाकरे अपने करीबी नेता अनिल देसाई और प्रियंका चतुर्वेदी के साथ पटना पहुंचे हैं. माना जा रहा है कि दो युवा नेताओं की मुलाकात भविष्य की सियासत को लेकर है, जिसे महाराष्ट्र के होने वाले बीएमसी के चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा.

सियासी तौर पर कमजोर पड़ा उद्धव गुट

शिवसेना का विभाजन होने के बाद उद्धव ठाकरे का गुट सियासी तौर पर कमजोर पड़ा है. महाराष्ट्र की सत्ता के बाद बीजेपी की नजर बीएमसी से भी उद्धव गुट के शिवसेना को बेदखल करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. वहीं, कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव अकेले दम पर  लड़ने का फैसला किया है तो एनसीपी का मुंबई में कोई खास आधार नहीं है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को बीएमसी की लड़ाई खुद के दम पर लड़नी पड़ रही है. इसी मद्देनजर आदित्य ठाकरे अभी से सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गए हैं. 

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मुंबई में उत्तर भारतीय बड़ी संख्या में रहते हैं, जिन्हें बीएमसी के चुनाव में नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. माना जा रहा है कि इस मद्देनजर आदित्य ठाकरे पटना तेजस्वी यादव से मिलने पहुंचे हैं ताकि उत्तर भारतीयों को सियासी संदेश दिया जा सके. बिहार की सियासत में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कद तेजी से बढ़ा है और खासकर युवा मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं.  

मुंबई में उत्तर भारतीय वोटरों की संख्या 50 लाख

मुंबई में उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या करीब 50 लाख है. बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं का झुकाव जिस पार्टी की तरफ होगा, उसकी जीत पक्की है. मुंबई की करीब 60 पार्षद सीटों पर उत्तर भारतीय वोटर निर्णायक भूमिका में है. 2017 बीएमसी चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग लड़ी थी, जिसमें बीजेपी ने जबरदस्त टक्कर दी थी. उत्तर भारतीय मतदाता कांग्रेस, बीजेपी और शिवसेना के बीच बंट गए थे. इसके चलते शिवसेना बीएमसी में बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई थी. 

शिवसेना का बीएमसी की सत्ता में लंबे समय से काबिज रहने के पीछे एक बड़ी वजह उत्तर भारतीय मतदाताओं का उनके साथ जुड़े रहना भी हैं, लेकिन बीजेपी के अलग होने और शिवसेना का विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे लिए चुनौती खड़ी हो गई है. ऐसे में शिवसेना इस बात को समझ चुकी है कि बीएमसी को बचाए रखना है तो उत्तर भारतीय मतदाताओं पर पकड़ को बनाए रखना होगा, जिसके लिए आदित्य ठाकरे मुंबई से चलकर पटना पहुंचे हैं. 

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एकनाथ शिंदे गुट ने साधा निशाना

आदित्य ठाकरे के बिहार दौरे को लेकर एकनाथ शिंदे गुट निशाना साध रहा. शिंदे गुट के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने पत्रकारों से कहा कि जिन लोगों ने बालासाहेब का विरोध किया, जो लोग बालासाहेब के विरोध में थे. आज, उन्हीं से आदित्य ठाकरे उनके घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे पर यह कैसी मुसीबत आ गई है, यह कैसी लाचारी है कि उन्हें उत्तर भारतीयों की सहानुभूति हासिल करने के लिए बिहार तक जाना पड़ रहा है. 

दरअसल, शिवसैनिक मुंबई में लंबे समय तक उत्तर भारतीय को निशाना बनाती रही है, लेकिन वक्त और सियासत ने ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है दोस्त-दुश्मन बन गए तो दुश्मन-दोस्त बन रहे. आदित्य ठाकरे इस बात को बाखूबी तरीके से समझ रहे हैं कि शिवसेना को दोबारा से मजबूत करना है तो सड़क पर उतरना होगा और राजनीतिक दोस्त भी बनाने पड़ेंगे, क्योंकि मौजूदा दौर में बीजेपी से अकेले नहीं लड़ा जा सकता? 

 

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