
महाराष्ट्र सरकार मोदी-शिंदे वाले विज्ञापन पर बैक फुट पर आ गई है. विज्ञापन पर विवाद बढ़ने के एक दिन बाद शिंदे गुट ने अब एक और विज्ञापन जारी किया है. इस विज्ञापन में शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे और वरिष्ठ नेता आनंद दीघे की तस्वीरों को विज्ञापन के शीर्ष पर पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ रखा गया है. हालांकि इस विज्ञापन में भी तीर-कमार चुनाव चिह्न का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के फोटो हैं और दोनों को राज्य के विकास के चेहरे के रूप में दिखाया गया. सबसे अहम बात कि शिंदे खेमे के सभी मंत्रियों को भी इस एड में जगह दी गई है. दरअसल विज्ञापन से कथित तौर पर भाजपा के नेतृत्व नाराज हो गया था, जिसके बाद शिंदे खेमे ने इस विज्ञापन से खुद को अलग करते हुए कहा कि विज्ञापन उनके एक हमदर्द ने प्रकाशित करवाया है.
इससे पहले अखबारों में जो विज्ञापन प्रकाशित हुआ था, जिसमें लिखा गया था- राष्ट्र में मोदी, महाराष्ट्र में शिंदे सरकार. इस विज्ञापन में ऊपर शिवसेना का चुनाव चिह्न तीर-कमान भी था. इसमें पीएम मोदी और सीएम शिंदे की तस्वीर है लेकिन शिवसेना संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की कोई तस्वीर नहीं है, जबकि शिंदे हमेशा से उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते रहे हैं.
एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने मंगलवार को जारी किए गए विज्ञापन को लेकर कहा कि 42 फीसदी लोग शिंदे-फडणवीस सरकार के पक्ष में हैं, इसका मतलब ज्यादातर लोग उनके खिलाफ हैं. उन्हें 24 घंटे के भीतर विज्ञापन को बदलना पड़ गया. उन्होंने कहा कि आज के विज्ञापन में दिग्गजों के फोटो लगाए गए हैं. हो सकता है किसी ने फटकार लगाई हो. सरकार यहां के विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दे रही है.
उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से इस बात पर सहमत हैं कि देवेंद्र फडणवीस का अपमान किया गया है. भले ही वह हमारे विरोधी हों लेकिन मैं उनका समर्थन करूंगी. उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि फडणवीस शिंदे के साथ मंच साझा नहीं करते तो इसलिए शिंदे ने उनका अपमान किया. इतना अपमान के बाद फडणवीस को आखिर कार्यक्रम में क्यों जाना चाहिए.
एनसीपी नेता अजित पवार 13 जून को विज्ञापन को लेकर कहा, "मैंने आज तक अपने राजनीतिक जीवन में इस तरह का विज्ञापन नहीं देखा जो आज के अखबारों में देखा. विज्ञापन में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिंदे की फोटो थी. वे (शिवसेना) कहते हैं कि वे बालासाहेब ठाकरे के सैनिक हैं, जबकि विज्ञापन से बालासाहेब ठाकरे और आनंद दीघे की तस्वीरें गायब थीं."
वहीं सामना ने अपने संपादकीय में मंगलवार को प्रकाशित एड को लेकर शिंदे सरकार पर हमला बोला. उसने लिखा- महाराष्ट्र की फडणवीस-शिंदे सरकार गजब की विज्ञापनबाज सरकार है. खुलासा हुआ है कि अब तक इस सरकार ने खुद के विज्ञापन के लिए 786 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से खर्च कर दिया है. विज्ञापन में पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया है, जबकि फडणवीस कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. खुद को बालासाहेब ठाकरे के विचारों के उत्तराधिकारी होने का दावा करने वालों ने विज्ञापन से बालासोहब को भी पूरी तरह नदारद कर दिया. बालासाहेब ठाकरे कुछ नहीं ‘सब कुछ मोदी’ हैं, ऐसा इस विज्ञापन ने संदेश दिया है.
सच तो यह है कि बीजेपी और शिंदे गुट में खींचतान की राजनीति शुरू हो गई है. सच तो यह है कि शिंदे गुट को लोगों का समर्थन नहीं है. लोगों का समर्थन कितना और विश्वास है. अगर इसे आजमाना है तो इसका एकमात्र विकल्प मुंबई सहित 14 महानगरपालिकाओं के चुनाव, लेकिन शिंदे मंडल चुनाव से भाग रहे हैं.
शिंदे गुट दिल्लीवालों का गुलाम बन गया है. मोदी और शाह के डर से उन्होंने विज्ञापनों में बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर लगाना भी बंद कर दिया. बालासाहेब का नाम भी लेना बंद कर दिया. शिवसेना प्रमुख को केवल 10 महीने में भूल जाने वाले इन लोगों से क्या उम्मीद कर सकते हैं? विज्ञापन ने साफ कर दिया कि शिवसेना प्रमुख के प्रति उनका प्यार और सम्मान महज दिखावा था. जो बालासाहेब का नहीं हुआ, वह मोदी का क्या होगा?