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भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के खिलाफ दलितों के बाद अब हिंदुत्ववादी संगठन भी सड़कों पर उतर आए हैं. गुरुवार को महाराष्ट्र के सांगली जिले में शिव प्रतिष्ठान के प्रमुख संभाजी भिड़े के समर्थन में बड़ी रैली निकाली गई.
समर्थकों ने मांग की है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद संभाजी भिड़े गुरूजी पर दाखिल मामले वापस हों. क्योंकि इस घटना से उनका कोई भी संबंध नहीं है. उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है.
समर्थकों का कहना है कि संभाजी गुरूजी निर्दोष है. मुख्य आरोपी तो प्रकाश अंबेडकर हैं. उनकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने महाराष्ट्र बंद करके पूरे राज्य में हिंसा फैलाई है. जिसके नुकसान की भरपाई भी उनसे करवाई जाए.
बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में संभाजी भिड़े गुरूजी और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ पिंपरी पुलिस स्टेशन में एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मालूम हो कि भारिप-बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने यह आरोप लगाया था कि शिव प्रतिष्ठान और हिंदू एकता आघाडी के कार्यकर्ताओं ने भीमा कोरेगांव विजयस्तंभ के लिए निकले जुलूस पर पत्थर बाजी की. जिससे हिंसा की शुरुआत हुई. उन्होंने कहा था कि हिंसा के वक्त हम स्पॉट पर थे और हमें पता है कि इसके पीछे किसका हाथ है. हमने सरकार को नाम दे दिया है, अब उनका काम है कि कार्रवाई करें.
प्रकाश अंबेडकर ने आगे कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम आंदोलन करेंगे. हमने ऊना की वारदात सही, कब तक ऐसे और सहते रहेंगे? अगर हमने भीड़ को कंट्रोल नहीं किया होता तो कम से कम 500 हिंदू संस्था के लोगों की लाश होती. अगर बंद का आह्रवान नहीं किया होता आग और भड़कती.
क्या हुआ था भीमा कोरेगांव में?
महाराष्ट्र के पुणे में 200 साल पुराने युद्ध की बरसी को लेकर जातीय संघर्ष छिड़ा, जो पूरे महाराष्ट्र में फैल गया. कई शहरों में हिंसक घटनाएं हुई. भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने संभाजी भिड़े गुरुजी और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है.
जातीय संघर्ष के बाद दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी. बंद के दौरान भी मुंबई समेत महाराष्ट्र के 13 जिलों में हिंसक घटनाएं और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई.