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स्पीकर के फैसले से न सिर्फ उद्धव गुट बल्कि अजित पवार गुट के आरमानों पर भी फिर गया पानी!

शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले में स्पीकर के फैसले से न सिर्फ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को बड़ा झटका लगा है, बल्कि अजित पवार गुट के अरमानों पर भी पानी फिर गया है. जानिए कैसे?

अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटोः PTI) अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटोः PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से जुड़े आवेदनों पर फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को 10 जनवरी तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए कहा था. स्पीकर ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को ही असली शिवसेना माना है.

स्पीकर ने विधायकों की अयोग्यता से जुड़े सभी आवेदन भी खारिज कर दिए हैं और साफ कहा है कि विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के लिए कोई उचित आधार नहीं है. स्पीकर के इस फैसले से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े की शिवसेना का नाम-निशान पाने की रही-सही उम्मीदों को भी बड़ा झटका लगा है. वहीं, इससे अजित पवार गुट के अरमानों पर भी पानी फिर गया है.

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शिवसेना विधायक अयोग्य होते तो अजित के हाथ आ जाती सत्ता की चाबी

दरअसल, शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले में एकनाथ शिंदे गुट के विधायक अगर अयोग्य करार दे दिए जाते तो महाराष्ट्र विधानसभा का पूरा अंकगणित बदल जाता, समीकरण बदल जाते. बदले समीकरणों में अजित पवार के हाथ सत्ता की चाबी आ जाती. शिंदे गुट के 16 विधायक अयोग्य करार दे दिए जाते तो महाराष्ट्र विधानसभा में सदस्यों की संख्या 286 से घटकर 270 रह जाती.

अजित पवार (फाइल फोटोः पीटीआई)

ऐसे में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 136 सीटों का होता. सत्ताधारी एनडीए का संख्याबल फिलहाल 185 है लेकिन शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के बाद यह 169 रह जाता और इसमें 41 अजित गुट के विधायक हैं. अजित गुट के विधायकों की संख्या हटा दें तो बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की गाड़ी नंबरगेम के गणित में बहुमत के लिए जरूरी 136 की जगह 128 विधायकों पर ही आकर रूक जाती.

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बढ़ जाती अजित पवार की बारगेन पावर

नंबरगेम के साथ ही अजित पवार की हैसियत भी बदल जाती. अजित के बिना सरकार बना पाना बीजेपी-शिवसेना के लिए लगभग नामुमकिन हो जाता और ऐसे में सरकार बनाने का विकल्प विपक्ष के लिए भी खुल जाता. अजित पवार की बारगेन पावर बढ़ जाती और वह किंगमेकर के रोल में तो आते ही, उनके किंग यानी सीएम बनने की संभावनाएं भी मजबूत हो जातीं. पांच बार के डिप्टी सीएम अजित की सीएम बनने की महत्वाकांक्षा जगजाहिर है. बहुत हद तक माना जा रहा था कि अजित सीएम से कम पर मानने को तैयार नहीं होंगे.

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर (फाइल फोटो)

किस तरह बन रहे थे अजित के सीएम बनने के समीकरण

अजित पवार की सीएम के लिए बीजेपी से बात बन जाती तो ठीक, नहीं तो उनके पास चाचा शरद पवार से फिर हाथ मिला लेने यानी घर वापसी कर शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का विकल्प भी होता. महाराष्ट्र में शिवसेना की रार जब निर्णायक मोड़ पर आई, तब अजित समर्थकों के भीतर उनके सीएम बनने की आस भी हिलोरे मारने लगी थी. अजित के खिलाफ भी अयोग्यता का नोटिस लंबित है जिसे लेकर यह भी कहा जा रहा था कि शिंदे और उनके समर्थक विधायक अयोग्य हुए तो यह अजित गुट के लिए भी अयोग्यता का मार्ग प्रशस्त करेगा.

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लेकिन दूसरा तर्क अलग-अलग परिस्थितियों को लेकर भी था. शिवसेना विधायकों की अयोग्यता का मामला करीब 18 महीने पुराना था, पवार के मामले को तो अभी एक साल भी नहीं हुए हैं. दूसरी बात यह भी है कि उद्धव ने विधायकों की अयोग्यता को लेकर फैसले में देरी के खिलाफ सु्प्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया जबकि शरद पवार कोर्ट नहीं गए हैं और ना ही कोर्ट ने अजित की अयोग्यता पर फैसले के लिए कोई समयसीमा ही निर्धारित की है.

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यानी सत्ताधारी दल यही रहते तब भी अजित को लेकर जल्द फैसले का कोई दबाव था नहीं. अगर अजित घर वापसी कर सरकार बना लेते तो शरद पवार गुट अयोग्यता की अर्जी वापस ले लेता, इसकी संभावनाएं अधिक थीं. लेकिन ऐसी नौबत ही नहीं आई और स्पीकर के फैसले से अजित पवार गुट के सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के अरमानों पर पानी फिर गया.

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