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धधकते अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरे श्रद्धालु... सोपिनाथ मंदिर में दिखी अनोखी परंपरा, Video

महाराष्ट्र के अकोला जिले (Akola) में सोपिनाथ मंदिर है. यहां हर साल भक्त अपनी आस्था प्रकट करते हुए जलते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं. इस बार भी ये परंपरा पूरी की गई. यहां कोयले के धधकते अंगारों पर महिला व पुरुष श्रद्धालु नंगे पैर चले और भगवान से मन्नत मांगी.

अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरते श्रद्धालु. (Video Grab) अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरते श्रद्धालु. (Video Grab)
धनंजय साबले
  • अकोला,
  • 21 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

महाराष्ट्र के अकोला (Akola) के मलसूर गांव में भक्त आज भी पुरानी अनोखी तरह की परंपरा को निभा रहे हैं. यहां भक्त आग से दहकते अंगारों पर चलते हैं. लोगों का मानना है कि इस अनुष्ठान से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस परंपरा में महिलाएं भी शामिल होती हैं.

जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के अकोला के पातुर तालुका के मलसूर गांव में सोपिनाथ मंदिर है. यहां अंगारों पर चलने की परंपरा ऐसी है, जिसे देखकर हैरानी होती है. इस गांव में सोपिनाथ महाराज के प्राचीन मंदिर पर काफी संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. यहां यात्रा भी निकाली जाती है. यात्रा के दिन सोपीनाथ महाराज के मंदिर परिसर में भक्त अंगारों पर चलने की परंपरा निभाते हैं.

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यह भी पढ़ें: यहां जलते अंगारों पर चलते हैं लोग, नहीं जलते हैं पैर! देखें VIDEO

भक्तों का कहना है कि यात्रा के दिन 'भगवान की शादी' का उत्सव मनाया जाता है. इसी को लेकर मलसूर गांव में भक्तों को 'अग्नि परीक्षा' से गुजरना पड़ता है. यहां के लोगों का मानना ​​है कि अंगारों पर चलने से भगवान से की गई मन्नत पूरी होती है.

यहां कोयले के धधकते गर्म अंगारों पर भक्त नंगे पैर चलते हैं. इसे लोग अग्निपरीक्षा कहते हैं. यह अग्निपरीक्षा मलसूर गांव में हर साल होती है. गांव में माघ महीने में सोपिनाथ की यात्रा होती है. इस यात्रा में भगवान का विवाह होता है. विवाह के बाद भक्त मंदिर में एक कुंड में गर्म अंगारे सुलगाते हैं और फिर उन पर नंगे पैर चलते हैं.

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क्या बोले संस्थान के ट्रस्टी?

सोपिनाथ महाराज संस्थान के ट्रस्टी दिलीप पाटिल ने कहा कि भक्तगण सोपिनाथ महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. पति-पत्नी साथ पहुंचकर मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद सोपिनाथ के प्रति आभार प्रकट करने के लिए दंपत्ति अंगारों पर चलते हैं. इस दिन गांव की महिलाएं भी आती हैं.

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