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जब ओवैसी ने कुंवारों से पूछा- 'शादी करोगे ना, बैचलर करते हैं बहुत परेशान'

ओवैसी ने मुंबई में कहा, 'देश में मुसलमानों के लिए नफरत इतनी बढ़ गई है कि तिरंगा लेकर चलने पर भी हमें रोका जाता है. जिन्होंने भारत की आजादी में हिस्सा नहीं लिया वो अब तिरंगे की पैरवी कर रहे हैं. दुर्भाग्य से यह सरकार तिरंगे के खिलाफ है.'

असदुद्दीन ओवैसी असदुद्दीन ओवैसी
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 12 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:46 AM IST
  • मुंबई में ओवैसी ने कुंवारों से पूछा, शादी करोगे ना
  • ओवैसी ने कहा, बैचलर्स करते हैं बहुत परेशान

मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कुंवारे लड़कों को लेकर ऐसा बयान दिया है जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. ओवैसी ने युवाओं से कहा, 'शादी करेंगे ना, बैचलर (कुंवारा) मत रहना, बैचलर बहुत परेशान कर रहे हैं, घर में रहे (पत्नी) तो आदमी का दिमांग भी शांत रहता है.'

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ओवैसी ने मुंबई में कहा, 'देश में मुसलमानों के लिए नफरत इतनी बढ़ गई है कि तिरंगा लेकर चलने पर भी हमें रोका जाता है. जिन्होंने भारत की आजादी में हिस्सा नहीं लिया वो अब तिरंगे की पैरवी कर रहे हैं. दुर्भाग्य से यह सरकार तिरंगे के खिलाफ है.'

उन्होंने कहा, 'पिछली बार AIMIM को वोट नहीं दिया था. कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना के साथ गठबंधन कर लिया. मैं आपके जनादेश का सम्मान करता हूं. कब तक आंखे बंद करोगे? बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद जब मुंबई में दंगे हुए तब भी आपकी आंखें नहीं खुलीं. धर्मनिरपेक्षता से हमें कुछ नहीं मिला. मैं राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में विश्वास नहीं करता, लेकिन संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता हूं.'

ओवैसी ने कहा, 'मैं उद्धव ठाकरे के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं. मैं उनकी सरकार से पूछना चाहता हूं, अमेठी से हारे और केरल में जीते कांग्रेसी नेता मुंबई आएंगे तो क्या उस वक्त भी धारा-144 लगेगी या उनका स्वागत होगा?'

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मुंबई में ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला बोलते हुए कहा, 'मुसलमान पढ़ना चाहते हैं, लेकिन फीस के अभाव में पढ़ नहीं पाते. RSS झूठ बोलता है कि मुसलमान पढ़ना नहीं चाहते हैं.'

उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र के मुसलमान एनसीपी-कांग्रेस को वोट देते हैं, मैं कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र में 4.9% मुसलमान स्नातक हैं, प्राइमरी में 22 फीसदी, सेकेंडरी में 13 फीसदी, कॉलेज में 11 फीसदी पढ़ रहे हैं.'

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