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मुंबई में अवैध तरीके से रहते मिले 5 बांग्लादेशी नागरिक, जाली दस्तावेजों के सहारे भारत में की थी एंट्री

महाराष्ट्र के नवी मुंबई (Mumbai) में अवैध रूप से रह रहे 5 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनमें चार महिलाएं और एक पुरुष है. चारों महिलाएं यहां आसपास के घरों में काम करती थीं, जबकि 38 साल का पुरुष घुसपैठिया पेंटिंग का काम करता था. पुलिस ने सभी के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है.

बांग्लादेशी गिरफ्तार. (Representational image) बांग्लादेशी गिरफ्तार. (Representational image)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 11 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

महाराष्ट्र के नवी मुंबई (Navi Mumbai) के टाउनशिप इलाके में अवैध रूप से रह रहे पांच बांग्लादेशी नागरिकों (bangladeshi nationals) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस को इस मामले की सूचना मिली थी, जिसके बाद नवी मुंबई पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल ने कोपरखैरने इलाके में एक आवासीय इमारत पर छापा मारा और चार महिलाओं व एक पुरुष को अरेस्ट कर लिया. पुलिस ने केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है.

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एजेंसी के मुताबिक, घुसपैठ के इस मामले में जानकारी देते कोपरखैरने पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि घुसपैठियों से पूछताछ के दौरान पता चला कि ये सभी जाली दस्तावेजों के सहारे भारत में दाखिल हुए थे. पुलिस ने कहा कि जिन चार महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है, उनकी उम्र 34 से 45 साल के बीच है.

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चारों महिलाएं घरेलू नौकरानी के रूप में आसपास के घरों में काम करती थीं, जबकि 38 साल का पुरुष यहां पेंटिंग का काम करता था. पुलिस ने बताया कि घुसपैठियों खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए आईपीसी की धाराओं के साथ-साथ पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) नियम-1950 और विदेशी अधिनियम-1946 के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया है.

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देश में लागू है सीएए और एनआरसी

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को CAA के नाम से भी जाना जाता है. यह अधिनियम अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध,जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है. इन छह समुदायों के लोग, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं, अवैध प्रवासी नहीं माने जाएंगे और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. इस अधिनियम का उद्देश्य उन धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना है, जो अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं.

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