
महाराष्ट्र का पुणे पोर्श कांड फिर चर्चा में है. नाबालिग आरोपी ने एक बार फिर कोर्ट का रुख किया है और इस बार उसने BBA में एडमिशन लेने की इच्छा जाहिर की है. चूंकि मामला ट्रायल में है, इसलिए कोर्ट से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) दिए जाने की गुहार लगाई है.
पुणे पोर्श मामले में नाबालिग आरोपी के वकील ने गुरुवार को किशोर न्याय बोर्ड में एक याचिका दायर की है. इसमें बताया कि वो दिल्ली मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में एडमिशन नहीं ले पा रहा है है, क्योंकि संबंधित संस्थान का कहना है कि पहले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की तरफ से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाकर दिया जाए. हालांकि, बाद में नाबालिग के वकील ने याचिका वापस ले ली और इसके पीछे तर्क भी दिया है.
17 वर्षीय नाबालिग की तरफ से याचिका में कहा गया कि वो आगे की पढ़ाई करना चाहता है, इसके लिए उसने दिल्ली स्थित संस्थान में बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) पाठ्यक्रम में एडमिशन मांगा था.
NOC के बगैर नहीं मिल रहा एडमिशन
विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरय ने बताया कि बचाव पक्ष ने ये याचिका किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष दाखिल की थी. याचिका में कहा था कि CCL (कानूनी दायरे में फंसे बच्चे) दिल्ली संस्थान में एडमिशन नहीं ले पा रहा है. क्योंकि, संस्थान उसके खिलाफ लंबित मामले के मद्देनजर बोर्ड से एनओसी लाने पर जोर दे रहा है.
जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड कर रहा मामले की सुनवाई
उन्होंने कहा, मैंने जवाब दिया कि शिक्षा संविधान द्वारा प्रदत्त हर किसी का अधिकार है और उसे (नाबालिग आरोपी) एडमिशन मिलना ही चाहिए. संस्थान ने किशोर को एडमिशन दिया था. उसके पिता पुणे के एक प्रमुख बिल्डर हैं, लेकिन बाद में एडमिशन प्रक्रिया रद्द कर दी और जेजेबी से एनओसी मांगी, जो उसके मामले की सुनवाई कर रही है.
अब पुणे में एडमिशन लेने की तैयारी
मामले के जांच अधिकारी/ सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) गणेश इंगले ने कहा, बचाव पक्ष ने एडमिशन मुद्दे पर जेजेबी से जरूरी निर्देश मांगे थे, लेकिन बाद में आवेदन वापस ले लिया. उन्होंने कहा, बचाव पक्ष ने कहा कि वो अब दिल्ली स्थित संस्थान में एडमिशन नहीं लेना चाहते हैं और अब (किशोर को) पुणे के एक कॉलेज में एडमिशन दिलाना चाहते हैं.
पुलिस ने किशोर के खिलाफ सबूत नष्ट करने और भ्रष्टाचार के आरोप जोड़े
पुलिस ने आरोपी किशोर के खिलाफ सबूतों को नष्ट करने और जालसाजी के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध के नए आरोप भी जोड़ दिए हैं. एक अधिकारी ने कहा, नए आरोपों वाली एक पूरक अंतिम रिपोर्ट यहां किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष प्रस्तुत की गई. अंतिम रिपोर्ट में लड़के पर आईपीसी की धारा 304 के तहत 'गैर इरादतन हत्या' का आरोप लगाया गया था. ये रिपोर्ट जून में दायर की गई थी.
भ्रष्टाचार के मामले में भी कसा गया शिकंजा
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि जेजेबी के समक्ष पूरक अंतिम रिपोर्ट दायर की गई है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (साक्ष्यों को गायब करना), 213 (अपराधी की जांच के लिए गिफ्ट लेना), 214 (अपराधी की जांच के लिए प्रॉपर्टी का गिफ्ट या बहाली की पेशकश करना), 466, 467, 468, 471 (जालसाजी से संबंधित सभी अपराध) के तहत आरोप शामिल हैं. आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया है. क्योंकि किशोर पर अपने माता-पिता, सरकारी ससून अस्पताल के डॉक्टरों और कुछ बिचौलियों के साथ मिलकर उसके ब्लड सैंपल की अदला-बदली करने का आरोप है. आरोप है कि किशोर उस समय नशे में था. इस फैक्ट को छिपाने के लिए कि ब्लड सैंपल बदल दिए गए.
अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट में जो नई धाराएं जोड़ी गई हैं, वो गवाहों के बयानों के अलावा घटना के समय कार की स्पीड के बारे में तकनीकी डेटा के आधार पर एक्शन लिया गया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 19 मई को पुणे में पोर्श कार हादसा हो गया था. नाबालिग लड़का कथित तौर पर नशे में पोर्श कार चला रहा था. इस बीच, कल्याणी नगर इलाके में उसकी कार ने मोटरसाइकिल सवार दो आईटी इंजीनियरों को टक्कर मार दी. हादसे में बाइक सवार युवक और महिला की मौत हो गई. पुलिस ने 17 वर्षीय लड़के के खिलाफ सभी सबूत जुटाए और जून में जेजेबी को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी. जुलाई में पुलिस ने पुणे की एक अदालत में दुर्घटना से जुड़े एक मामले में नाबालिग लड़के के माता-पिता समेत सात आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.
लड़के के माता-पिता और ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी पर दुर्घटना के बाद नाबालिग के ब्लड सैंपल को उसकी मां के साथ बदलने का आरोप लगा था. चार्जशीट के अनुसार, दो अन्य आरोपियों ने ब्लड सैंपल की अदला-बदली के लिए लेनदेन किया और पिता और डॉक्टरों के बीच बिचौलिए के रूप में काम किया. किशोर को हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऑब्जर्वेशन होम से रिहा कर दिया गया है. उसके माता-पिता और ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और दो बिचौलियों सहित सात अन्य न्यायिक हिरासत में हैं.