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Video : खुदाई में मिली काले पत्थर पर उकेरी गई भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत मूर्ति, लोगों ने किया दूध से अभिषेक

भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति मिलने की खबर जैसे ही गांव और आस-पास के इलाके में फैली तो लोगों की भीड़ मूर्ति के दर्शन को उमड़ने लगी. मूर्ति की पूजा-अर्चना की गई, दूध से अभिषेक किया गया, अगरबत्ती लगाई गई. लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं. मूर्ति 12वीं शताब्दी की बताई जा रही है.

खुदाई में मिली 12वीं शताब्दी की भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति. खुदाई में मिली 12वीं शताब्दी की भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति.
विकास राजूरकर
  • चंद्रपुर,
  • 12 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

Maharashtra News : चंद्रपुर जिले के ब्रम्हपुरी तहसील के गांव में मकान में शौचालय का निर्माण होना था. इसके लिए गड्ढा खोदा जा रहा था. इस दौरान लोगों को जो मिला उसे देख सभी हैरत में पड़ गए. क्योंकि, गड्ढे से 12वीं शताब्दी की भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी बजाने वाली मुद्रा वाली मूर्ति मिली है. मूर्ति मिलने के बाद लोगों ने उसे साफ किया और पूजा-पाठ शुरू कर दिया.

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दरसअल, जिले के ब्रम्हपुरी तहसील के जखेडमक्ता गांव में रहने वाले गजानन मानकर के घर में शौचालय निर्माण का काम हो रहा है. उसके लिए गड्ढा खोदा जा रहा था. गड्ढे की खुदाई करीब सात फीट हो गई थी तभी गड्ढा खोद रहे लोगों को बड़ा सा काला पत्थर नजर आया. 

जब उसे पत्थर को बाहर निकाला गया तो उसमें नक्काशी भी दिखी. उसे साफ किया गया तो लोग हैरान रह गए क्योंकि वह आम पत्थर नहीं, बल्कि भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी बजाने की मुद्रा में खड़े हुए की मूर्ति थी. मूर्ति को पत्थर उकेरा गया था और उसमें शानदार नक्काशी की गई थी.

मूर्ति की हुई पूजा, लोग दर्शन को उमड़े

भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति मिलने की खबर जैसे ही गांव और आस-पास के इलाके में फैली तो लोगों की भीड़ मूर्ति के दर्शन को उमड़ने लगी. मूर्ति की पूजा-अर्चना की गई, दूध से अभिषेक किया गया, अगरबत्ती लगाई गई. लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं.

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भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति (बाएं) इतिहास के जानकर अशोक सिंह ठाकुर (दाएं).

12वीं शताब्दी की है मूर्ति

इतिहास के जानकार अशोक सिंह ठाकुर का कहना है कि मूर्ति 12वीं शताब्दी की है और चालुक्य काल से संबंधित है. इस प्रकार से ये भगवान कृष्ण की मूर्ति मिलने का यह पहला मामला है. मूर्ति दक्षिणी शैली की है और इसे काले पत्थर पर उकेरा गया है.

अशोक सिंह ठाकुर ने आगे बताया कि श्री कृष्ण के सिर पर करंडक मुकुट धारण किया है और हाथ में बांसुरी है. मंदिर के दोनों ओर दक्षिणनाट्य शैली में नक्काशी की गई है. ऐसी संभावना है कि किसी ने यह मूर्ति दक्षिण से बनवाकर चंद्रपुर जिले में लाई होगी. फिर किसी कारण से जमीन में दफना दी होगी.

खुदाई के दौरान मूर्ति के लावा वहां मंदिर होने के कोई अवशेष नहीं मिले है. इसलिए, चालुक्य काल में इस क्षेत्र में श्री कृष्ण का मंदिर रहा हो ऐसी संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है. यदि इस क्षेत्र में और शोध किया जाए तो इतिहास पर प्रकाश डाला जा सकता है.

चंद्रपुर जिले को ऐतिहासिक धरोहरों का वरदान प्राप्त

इतिहास के जानकर अशोक सिंह ठाकुर ने आगे कहा कि चंद्रपुर जिले को ऐतिहासिक धरोहरों का वरदान प्राप्त है. यहां पाषाण युग के कई अवशेष पाए जाते हैं. जिले में मौर्य, सातवाहन, वाकाटक, राष्ट्रकूट, चालुक्य, नागा, परमार, गोंड, भोसले शासन करते थे. जिले में कई खूबसूरत इमारतें आज भी इतिहास की गवाही देती हैं. चंद्रपुर के इतिहास में एक नया इतिहास जुड़ गया है. जिले में पहली बार श्रीकृष्ण की मूर्ति मिली है.

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