
शिवसेना का नाम और सिंबल छिन जाने के बाद भी उद्धव ठाकरे के लिए बुरी खबरें आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब उद्धव के बेहद करीबी नेता सुभाष देसाई के बेटे भूषण ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थाम लिया है. सोमवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उन्होंने शिवसेना की सदस्यता ली.
शिवसेना में शामिल होने के बाद भूषण देसाई ने कहा, 'बालासाहेब मेरे भगवान हैं. एकनाथ शिंदे हिंदुत्व के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं. मुझे उस पर विश्वास है. उनके साथ पहले काम किया है और आगे भी मैं उसके साथ खड़ा रहूंगा. एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते में शिंदे से प्रेरित हूं.
जब अलग हुए तब सिर्फ 40 विधायक थे: शिंदे
भूषण के पार्टी में शामिल होने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा कि विधानसभा सत्र चल रहा है. यहां हमारा सेशन चालू है और भूषण सुभाष देसाई हमारे साथ शामिल हो गए हैं. बालासाहेब के विचार पर चलने वाली सरकार महाराष्ट्र में है. सीएम शिंदे ने आगे कहा कि जब हमने जाने (अलग होने) का फैसला किया था, तब हमारे साथ 40 विधायक और 13 सांसद थे. लेकिन उसके बाद कई लोग हमसे जुड़े हैं.
6-7 महीने में बदल गई मुंबई की तस्वीर
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 6-7 महीनों में मुंबई बदलकर पहले से बेहतर हो गया है. इससे पहले मुंबई पर शासन करने वाले इसे बेहतर नहीं बना पाए. लोगों को लगता है कि हमारी सरकार सरकार लोगों के लिए काम करती है. इन्हीं सब बातों को देखते हुए भूषण देसाई हमारे साथ जुड़े हैं.
जांच एजेंसी के दबाव में नहीं हुआ शामिल: भूषण
बता दें कि नागपुर विधानसभा सत्र में MIDC जमीन घोटाले के मामले में भूषण पर आरोप लगे थे. इस मामले में सरकार ने जांच के आदेश भी दिए थे. हालांकि, शिवसेना में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि वह जांच एजेंसी के दबाव में शिवसेना में शामिल नहीं हुए हैं. उन्हें शिंदे के काम करने का तरीका पसंद है.
नाम और सिंबल पर पहले से शिंदे गुट का कब्जा
इससे पहले लंबी उठापटक के बाद शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच तनातनी चल रही थी. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया था.
उद्धव के इस्तीफे के बाद शिंदे बने थे सीएम
पिछले साल जून में जब एकनाथ शिंदे ने तख्तापलट किया था तो पार्टी में दो गुट उभर आए थे. पार्टी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के समर्थकों के बीच बंट गई थी. शिंदे गुट की बगावत के बाद महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में एकनाथ शिंदे ने सीएम औऱ देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी.