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बॉम्बे HC ने बेटी से रेप के आरोपी को दी जमानत, कोर्ट ने कहा- आपसी विवाद से मामले के जुड़े होने की है संभावनाएं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी 17 वर्षीय बेटी से बलात्कार के आरोपी को जमानत दे दी है. न्यायमूर्ति पिटाले ने जमानत देते हुए कहा, 'इससे यह संकेत मिलता है कि पीड़िता की मां और उसके बीच गंभीर विवादों की पृष्ठभूमि में वर्तमान मामले में उस व्यक्ति को शामिल करने की संभावना हो सकती है.'

बॉम्बे हाईकोर्ट. (फाइल फोटो) बॉम्बे हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 17 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:01 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को जमानत दे दी है जो अपनी 17 वर्षीय बेटी से बलात्कार के आरोप में एक साल से जेल में बंद था. आरोपी के खिलाफ पिछले साल ठाणे के मुंब्रा थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया था, जिसमें ग्राफिक्स डीटेल्स के साथ रेप की घटना का जिक्र था. 

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस बात की संभावना है कि व्यक्ति ने अपने और अपनी पूर्व पत्नी के बीच गंभीर विवादों की पृष्ठभूमि में मामले का सामना करना पड़ा. पुरुष और महिला ने आपसी सहमति से तलाक लिया था, जिसके बाद उन्होंने फिर से शादी की थी, लेकिन कथित तौर पर दोनों के बीच कुछ फाइनेंशियल मतभेद पैदा हो गए.

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न्यायमूर्ति पिटाले ने जमानत देते हुए कहा, "इससे यह संकेत मिलता है कि पीड़िता की मां और उसके बीच गंभीर विवादों की पृष्ठभूमि में वर्तमान मामले में उस व्यक्ति को शामिल करने की संभावना हो सकती है."

'बदला लेने के लिए लगाए आरोप'

आरोपी की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता मोहम्मद जैन खान ने कहा कि यह व्यक्ति और उसकी पत्नी यानी पीड़िता की मां के बीच वैवाहिक कलह की पृष्ठभूमि में झूठे आरोपों का मामला है. आरोप है कि शख्स से बदला लेने के लिए पीड़िता की मां ने एफआईआर दर्ज कराई है.

अदालत के समक्ष खान ने एक ओर पीड़िता के बयान में विरोधाभासों और विसंगतियों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण एफआईआर दर्ज की गई. दूसरी ओर मेडिकल जांच के दौरान दर्ज किए गए रिकॉर्ड के साथ मजिस्ट्रेट के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता धारा 164 के तहत पीड़िता और उसकी मां के बयान भी दर्ज किए गए. मेडिकल टेस्ट के दौरान और मजिस्ट्रेट के समक्ष दुष्कर्म की कई घटनाओं का जिक्र किया गया.

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'दोनों की सहमति से हुआ था तलाक'

अधिवक्ता ने व्यक्ति और उनकी पत्नी के बीच सहमति से तलाक हुआ था. तलाक के दस्तावेज की ओर इशारा करते हुए उन्होंने दावा किया कि डॉक्यूमेंट के लागू होने के बाद व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली. इसके बाद महिला ने उनके बीच फाइनेंशियल विवाद हो गया, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई थी. जबकि अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध किया. न्यायमूर्ति मनीष की पीठ ने कहा कि हालांकि, पीड़ित ने दावा किया गया था कि 13 अक्टूबर, 2023 को एक ही घटना हुई थी. यौन हिंसा के इतिहास में ऐसी कई घटनाएं दर्ज हैं जो कोविड 19 लॉकडाउन के दिनों से चली आ रही हैं.

पीठ ने अधिवक्ता से  सहमत थी कि अगर 2021 की ये घटनाएं सच होती तो मानव व्यवहार के स्वाभाविक क्रम में पीड़िता 2023 में अपने पिता के साथ रहने नहीं आती, जबकि तब तक वह पहले ही दोबारा शादी कर चुके होते.

'पीड़िता की मां से विवाद'

न्यायमूर्ति पिटाले ने कहा कि पीड़िता ने जो कारण बताया कि वह अपने पिता के पास इसलिए आई, क्योंकि उसका अपनी मां के साथ कुछ मतभेद था. वह भी प्रथम दृष्टया मानवीय आचरण के प्राकृतिक क्रम में फिट नहीं बैठता. इसी तरह पीड़िता की मां ने यह सुनिश्चित किया होता कि 13.10.2023 की घटना से दो साल पहले व्यक्ति द्वारा स्थापित जबरन शारीरिक संबंधों के बारे में जागरूक होने के बावजूद पीड़िता अपने पिता की कंपनी में शामिल न हो.

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इन परिस्थितियों में अदालत ने व्यक्ति और उसकी पूर्व पत्नी के बीच विवाहित विवाद पर गौर किया. तलाक के दस्तावेज के अनुसार, व्यक्ति को पीड़िता, उसकी बहन और उनकी मां के फाइनेंशियल जरूरतों का ध्यान रखना था.

वहीं, आरोपी की पूर्व पत्नी की ओर से पेश हुईं वकील सोनिया मिस्किन ने इस आशय की दलीलें दीं कि उस व्यक्ति ने आपसी सहमति से तलाक के विलेख के तहत उस पर लगाए गए दायित्वों का पालन नहीं किया था.

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