
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को पार्किंसंस रोग से पीड़ित 80 वर्षीय व्यक्ति और उसकी 76 वर्षीय पत्नी को जमानत दे दी. दंपति पर वीजीएन ज्वैलर्स एंट चिट एंड फाइनेंस कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित 620.97 करोड़ रुपये की बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है.
दंपति के ख़िलाफ़ आरोप थे कि अपनी कंपनियों के जरिए दंपति ने कई तरह की निवेश योजनाएं चलाईं और निवेशकों को हाई रिटर्न के साथ सोने के आभूषण या नकद देने का लालच दिया.
वीजीएन ज्वैलर्स और संबंधित वित्तीय फर्मों के प्रबंध निदेशक वीरथ गोपालन नायर और उनकी पत्नी वलसाला को ठाणे जिले के कोलसेवाडी पुलिस स्टेशन में 2021 में दर्ज एक मामले में हजारों निवेशकों से कथित तौर पर धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
HC ने दंपति के पक्ष में सुनाया फैसला
न्यायमूर्ति मिलिंद एन. जाधव ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपी पहले ही जेल में काफी वक्त बिता चुके हैं. वीरथ नायर तीन साल से ज़्यादा और वलसाला नायर लगभग तीन साल जेल में बिता चुके हैं. उनकी बढ़ती उम्र, चिकित्सा संबंधी बीमारियों और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुकदमा जल्द ही शुरू होने की संभावना नहीं है. इस फैक्ट को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने दंपति के पक्ष में फैसला सुनाया है.
'आरोपियों को भरना होगा 50,000 का बॉन्ड'
जमानत की शर्तों के अनुसार, आरोपियों को 50,000 रुपये का बॉन्ड भरना होगा, तीन महीने तक हर महीने जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा और गवाहों को प्रभावित करने से बचना होगा. अदालत ने दंपति के कोर्ट की अनुमति के बिना महाराष्ट्र छोड़ने पर भी रोक लगाई है.
आरोपी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अभिषेक येंडे ने दलील दी कि वीजीएन ज्वैलर्स तीन दशकों से वैध तरीके से काम कर रहा था, और कोविड-19 महामारी के कारण वित्तीय कठिनाइयां पैदा हुईं, जब निवेशकों द्वारा निवेश की गई राशि की निकासी में भारी उछाल आया, जिससे उनके सामने मुश्किलें और बढ़ गईं.
वहीं, अतिरिक्त लोक अभियोजक सुकांता करमाकर ने इस आधार पर जमानत याचिकाओं का विरोध किया कि शिकायतकर्ता और कई अन्य निवेशकों ने अपनी मेहनत की कमाई का निवेश किया और 2006 से लेकर एफआईआर दर्ज होने तक ठगे गए. हालांकि, पीठ ने कहा कि 'अभियोजन पक्ष का यह दावा (2006 से निवेशकों ने धोखा दिया) प्रथम दृष्टया बेबुनियाद लगता है, क्योंकि शिकायत के अनुसार उसे 2020 तक पर्याप्त रिटर्न मिला था.'
ठाणे पुलिस ने दावा किया कि इस धोखाधड़ी से 32,640 निवेशक प्रभावित हुए, जिनमें से कई आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग भी शामिल थे. अभियोजन पक्ष ने दंपति पर 25 करोड़ रुपये के लिए 66 किलोग्राम सोना गिरवी रखने और बाद में व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए धन निकालने का आरोप लगाया. दंपति को कोलसेवाडी पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के तहत साल 2021 में गिरफ्तार किया गया था. एक फॉरेंसिक ऑडिट ने वित्तीय कुप्रबंधन और निवेशकों के पैसे की हेराफेरी का संकेत दिया.