Advertisement

लखन भैया एनकाउंटर केस में 16 अपीलों पर बॉम्बे HC आज सुनाएगा फैसला, बदनाम हुई थी मुंबई पुलिस

वसई निवासी लखन भैया (33), का असली नाम रामनारायण गुप्ता था, जिस पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज था. उसे 11 नवंबर, 2006 को मुंबई पुलिस की एक टीम ने छोटा राजन गैंग के संदिग्ध सदस्य के रूप में उठाया था. उसी शाम पश्चिमी मुंबई के वर्सोवा में लखन भैया का एनकाउंटर हो गया था.

लखन भैया एनकाउंटर केस में 16 अपीलों पर बॉम्बे हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला. (प्रतीकात्मक तस्वीर) लखन भैया एनकाउंटर केस में 16 अपीलों पर बॉम्बे हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
विद्या
  • मुंबई,
  • 19 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:55 AM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट मंगलवार को 2006 के लाखन भैया मुठभेड़ मामले से संबंधित कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा. जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की पीठ ने 2006 के इस मामले में दायर 16 अपीलों की सुनवाई पर 8 नवंबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वसई निवासी लखन भैया (33), का असली नाम रामनारायण गुप्ता था, जिस पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज था. उसे 11 नवंबर, 2006 को मुंबई पुलिस की एक टीम ने छोटा राजन गैंग के संदिग्ध सदस्य के रूप में उठाया था.

Advertisement

उसी शाम पश्चिमी मुंबई के वर्सोवा में लखन भैया का एनकाउंटर हो गया था. इस कथित फर्जी मुठभेड़ का नेतृत्व पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने किया था. वर्ष 2013 में, मुंबई की एक सत्र अदालत ने इस मामले में 13 पुलिसकर्मियों सहित 21 लोगों को दोषी ठहराया और सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने मामले में प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की पीठ मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराए गए लोगों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी.

लखन भैया के भाई और वकील राम प्रसाद गुप्ता ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के खिलाफ अपील दायर की थी और दोषियों की सजा बढ़ाने की मांग की थी. अदालत द्वारा अपना आदेश सुरक्षित रखने से पहले, राम प्रसाद गुप्ता ने सजा को बढ़ाने की मांग वाली अपनी 2013 की पुनरीक्षण याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी. राज्य सरकार ने भी प्रदीप शर्मा को इस केस में बरी करने के खिलाफ अपील दायर की थी. राज्य सरकार द्वारा नियुक्त स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर राजीव चव्हाण ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के खिलाफ दलील दी.

Advertisement

अधिवक्ता युग मोहित चौधरी ने याचिकाकर्ता राम प्रसाद गुप्ता की ओर से बहस की. दोनों ने अदालत के समक्ष कहा कि 2006 में हुआ लखन भैया का एनकाउंटर सोची-समझी साजिश थी. यह फर्जी मुठभेड़ थी और इसे छिपाने के लिए पुलिस ने झूठे सबूत गढ़े थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुठभेड़ में 12 पुलिसकर्मी शामिल थे, जबकि अपील की सुनवाई के दौरान, इन 12 में से सात ने तर्क दिया कि वे कभी इस एनकाउंटर टीम का हिस्सा नहीं थे. लखन भैया के भाई राम प्रसाद गुप्ता ने यह भी बताया कि बैलिस्टिक रिपोर्ट और कॉल डेटा रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रदीप शर्मा मुठभेड़ स्थल पर मौजूद थे और लखन भैया को खत्म करने की मुख्य साजिश उनके द्वारा रची गई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement