Advertisement

महाराष्ट्र: बीजेपी नेता को हाई कोर्ट से झटका, आपराधिक मामलों की वजह से रिन्यू नहीं होगा पासपोर्ट

जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की बेंच ने बीजेपी जाधवराव को मंजूरी के लिए आपराधिक अदालत जाने की अनुमति दी, लेकिन पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6(2)(एफ) के तहत उनके पासपोर्ट रिन्यूअल से इनकार करने के आरपीओ के फैसले को बरकरार रखा.

बीजेपी नेता को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका बीजेपी नेता को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका
विद्या
  • मुंबई,
  • 01 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:36 AM IST

महाराष्ट्र (Maharashtra) के बीजेपी नेता और पूर्व कृषि मंत्री दादा जाधवराव के बेटे पिलाजी सुरसिंह जाधवराव को बॉम्बे हाईकोर्ट से झटका लगा है. उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की वजह से कोर्ट ने पासपोर्ट के नवीनीकरण से इनकार कर दिया. जाधवराव ने अप्रैल में अपने पासपोर्ट की वैधता खत्म होने के बाद अगस्त 2024 में लॉन्ग-टर्म पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए अप्लाई किया था.

Advertisement

हालांकि, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (RPO) ने चल रही आपराधिक कार्यवाही का हवाला देते हुए उन्हें कोर्ट की परमीशन लेने का निर्देश दिया.

सुनवाई कर रही बेंच ने क्या कहा?

जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की बेंच ने जाधवराव को मंजूरी के लिए आपराधिक अदालत जाने की अनुमति दे दी, लेकिन पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6(2)(एफ) के तहत उनके पासपोर्ट रिन्यूअल से इनकार करने के आरपीओ के फैसले को बरकरार रखा. यह अधिनियम आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे व्यक्तियों के लिए पासपोर्ट जारी करने पर रोक लगाता है.

क्यों आ रही है समस्या?

जाधवराव पर 2005 में पुणे के सवाद पुलिस स्टेशन पर हुए हमले में शामिल होने का आरोप है, जहां उन्होंने और 74 अन्य लोगों ने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था. हालांकि, उन्हें जमानत मिल गई थी, लेकिन मामला अभी भी लंबित है. इसके बावजूद, उन्हें 2023 में एक साल का पासपोर्ट जारी किया गया, जिसका इस्तेमाल उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की यात्रा के लिए किया.

Advertisement

यह भी पढ़ें: सरकारी नौकरी का झांसा देकर रेप... दो साल से जेल में बंद आरोपी को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत

बीजेपी नेता के वकील ने क्या दलील दी?

जाधवराव का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट अभिजीत कुलकर्णी ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को कभी भी दोषी नहीं ठहराया गया है और वह कानूनी प्रक्रिया का पूरा सहयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि पासपोर्ट देने से इनकार करना अनुच्छेद 21 के तहत जाधवराव के यात्रा करने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, खासकर तब जब उन्हें अपनी बेटी के एजुकेशन के लिए यूके जाना है.

सरकारी वकील लीना पाटिल ने आरपीओ के फैसले का बचाव करते हुए 1993 की सरकारी अधिसूचना का हवाला दिया, जिसके मुताबिक लंबित आपराधिक मुकदमों में पासपोर्ट जारी करने के लिए अदालत की मंजूरी की जरूरत होती है.

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जाधवराव को आपराधिक अदालत से अनुमति लेनी होगी, जिसे 10 दिनों के अंदर उनके आवेदन पर फैसला करना होगा.
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement