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बॉम्बे हाईकोर्ट ने 24 सप्ताह की गर्भवती महिला को दी अबॉर्शन की परमिशन, जानें क्या है वजह

महिला को चौथी स्टेज का अग्नाशय (pancreatic) कैंसर है, वह इलाज के लिए मुंबई में है. जांच में सामने आया है कि कैंसर महिला के लीवर तक फैल गया है. महिला ने अपनी वकील मनीषा देवकर के जरिए बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि डॉक्टरों ने उसे बताया है कि जब तक वह प्रेग्नेंट है, तब तक वह कैंसर के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए कीमोथेरेपी नहीं करवा सकती.

बॉम्बे हाई कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट
विद्या
  • मुंबई,
  • 03 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 8:30 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की 24 वर्षीय महिला को गर्भपात करवाने की अनुमति दे दी, जो 24 सप्ताह से अधिक समय से गर्भवती थी, लेकिन हाल ही में एक जांच के दौरान महिला को पता चला था कि उसे कैंसर है. 

महिला को चौथी स्टेज का अग्नाशय (pancreatic) कैंसर है, वह इलाज के लिए मुंबई में है. जांच में सामने आया है कि कैंसर महिला के लीवर तक फैल गया है. महिला ने अपनी वकील मनीषा देवकर के जरिए बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि डॉक्टरों ने उसे बताया है कि जब तक वह प्रेग्नेंट है, तब तक वह कैंसर के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए कीमोथेरेपी नहीं करवा सकती. क्योंकि उसकी प्रेग्नेंसी एडवांस स्टेज में है. इसलिए उसे अबॉर्शन करवाने के लिए कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता थी.

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बता दें कि उपाशमक कीमोथेरेपी (Palliative Chemotherapy) बीमारी से राहत देने और कैंसर के कारण होने वाली पीड़ा को कम करने के लिए दी जाती है. उपशामक चिकित्सा व्यक्ति को अधिक आरामदायक महसूस करने में मदद कर सकती है, लेकिन यह बीमारी का इलाज या उपचार नहीं करती है.

बेंच ने पहले महिला की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट दी कि महिला गर्भधारण कर सकती है, लेकिन यह भी कहा था कि महिला के पास जीने के लिए कुछ महीने से अधिक नहीं है.

याचिका में कहा गया है कि महिला बहुत तकलीफ में है और वह चलने-फिरने में भी असमर्थ है. लिहाजा उसे तुरंत अबॉर्शन की परमिशन मिलनी चाहिए.

हालांकि विस्तृत आदेश नहीं दिया गया है, लेकिन मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और देवकर की दलीलों को देखने के बाद जस्टिस अजय गडकरी और नीला गोखले की बेंच ने कहा कि वे याचिका को अनुमति दे रहे हैं. 
 

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