
मराठा आरक्षण के समर्थन में हिंसक प्रदर्शन करने वाले निखिल रंजवान की हिरासत को कोर्ट ने रद्द कर दिया है. मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए निखिल रंजवान को अदलात ने राहत दे दी.
दरअसल लगभग दो साल पहले अक्टूबर 2023 में मराठा आरक्षण के समर्थन में हिंसक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के आरोप में 20 वर्षीय बीड निवासी निखिल रंजवान को हिरासत में लिया गया था.
वकील ने अपना पक्ष रखा
महाराष्ट्र डेंजरस गतिविधि रोकथाम अधिनियम (MPDA) के तहत हिरासत का आदेश 5 फरवरी 2024 को पारित किया गया था. निखिल रंजवान की ओर से अदालत में पेश वकील राजेंद्र हांगे अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान उन्होंने दलील दी कि हिरासत की अवधि को पूरा करने में सात महीने से अधिक की देरी हुई है.
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तीस फीसीदी लोग मराठा समुदाय से हैं
मराठा आरक्षण का यह मुद्दा साल 2019 से चलता आ रहा है. जो महाराष्ट्र की राजनीति को भी प्रभावित करता है, क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से मराठाओं का प्रभाव रहा है. राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है.
2018 में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में बिल पास किया. इसके तहत राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था.