
बॉम्बे हाई कोर्ट ने जंगल में महिला से रेप के लिए 4 व्यक्तियों की 20 साल की सजा को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि भले ही दो लोगों ने रेप की घटना को अंजाम दिया और बाकी दो लोग यह कहें कि वे साथ थे, लेकिन रेप नहीं किया, इस दलील में कोई दम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि साथ रहे दो लोगों ने इस घटना को आसान बनाने के लिए साथियों की मदद की है. इसलिए वे भी सजा के बराबर हक़दार हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने जून 2015 में चंद्रपुर में एक महिला से गैंगरेप करने और उसके पुरुष मित्र पर हमला करने के लिए चार व्यक्तियों की सजा बरकरार रखी है. जस्टिस जी.ए. सनप की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी.
पीठ उन अभियुक्तों की ओर से दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी जिन्हें 20 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी. अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि जून 2015 में पीड़िता और उसके पुरुष मित्र एक मंदिर गए थे और बाद में एक जंगल के एरिया में बैठे थे. फिर चारों आरोपी उनके पास पहुंचे और खुद को वन रक्षक बताते हुए पैसे की मांग की.
जब पीड़ित लड़की शौच के लिए गई, तो दो आरोपियों ने उसका पीछा किया और उसका यौन शोषण किया, जबकि शेष दो ने उसके पुरुष मित्र को पकड़ लिया. लड़की की चीखें सुनकर इलाके से गुजर रहे एक वन रक्षक ने चारों आरोपियों को मौके से भाग जाने को कहा. इसके बाद एक FIR दर्ज की गई और चारों को गिरफ्तार कर लिया गया.
मामले की डिटेल को देखने के बाद पीठ ने पाया कि लड़की के साथ रेप करने वाले आरोपियों में से एक ने कहा था कि उसे पैसे नहीं चाहिए, बल्कि वह लड़की के साथ रेप करना चाहता था और यह सुनने के बावजूद अन्य दो आरोपियों ने उसके पुरुष मित्र को पकड़ रखा था.
कोर्ट ने कहा, चूंकि दोनों ने लड़की के मित्र को पकड़ लिया और इस वजह से दो अन्य कृत्य को अंजाम देने में सफल रहे इसलिए सभी इस मामले में सजा के हक़दार हैं. जस्टिस सनप ने कहा, 'यदि पुरुष मित्र पर उनका नियंत्रण नहीं होता, तो वह पीड़िता को बचाने की कोशिश करता. वह शोर मचाता. वह आरोपी को पीड़िता के साथ यह घिनौना कृत्य करने से रोक सकता था.'
पीठ ने कहा कि पीड़िता के साक्ष्य, गवाहों के बयान और अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत अन्य पुष्टिकारी साक्ष्य चारों आरोपियों का अपराध सिद्ध करते हैं.