
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. एफआईआर में सीबीआई ने उन पर आरोप लगाया है कि देशमुख ने पद पर रहते हुए 2020-21 में बेईमानी से गलत फायदा उठाने की कोशिश की. एफआईआर में अनिल देशमुख के खिलाफ प्रिवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी की धारा 120बी समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है.
एफआईआर में लिखा है, "शुरुआती जांच में पता चला है कि मामले में संज्ञेय अपराध किया गया है, जहां तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख और अन्य लोगों ने बेईमानी से अनुचित लाभ कमाने की कोशिश की है." सीबीआई ने ये भी दावा किया है कि मुंबई पुलिस के पूर्व एपीआई सचिन वाजे को 15 साल बाद फिर से बहाल किया गया और उसे कई सारे संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की जांच का जिम्मा सौंपा गया और इस बारे में गृह मंत्री को भी जानकारी थी.
वसूली मामले में जांच के लिए सीबीआई ने शनिवार को अनिल देशमुख के मुंबई और नागपुर में स्थित घर पर छापे भी मारे. सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने कई अहम सामग्री जब्त की है.
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री और अन्य अधिकारियों ने अनुचित तरीके से अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर किए, जिससे अधिकारियों के प्रदर्शन पर गलत असर डाला. बताया जा रहा है कि जल्दी ही सीबीआई अनिल देशमुख को पूछताछ के लिए समन भेज सकती है. सीबीआई ने जांच के दौरान मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह, पूर्व एपीआई सचिन वाजे और अनिल देशमुख के बयान दर्ज किए थे, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है.
परमबीर सिंह ने क्या आरोप लगाए थे?
पिछले महीने मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की एक चिट्ठी सामने आई थी, जो उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी थी. परमबीर सिंह ने इस चिट्ठी में दावा किया था कि अनिल देशमुख ने सचिन वाजे से हर महीने सौ करोड़ रुपये की मांग की थी, जो मुंबई के अलग-अलग क्षेत्रों से वसूले जाने थे. इस मामले में खुद परमबीर सिंह ने सीबीआई जांच की मांग की थी.