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उद्धव को लेकर जब भिड़ गए कांग्रेस के दो नेता, प्रमोद कृष्णम और जयराम रमेश

महाराष्ट्र में कांग्रेस भी महा विकास अघाड़ी का हिस्सा है. जब से सूबे में सियासी संकट गहराया है तब से कांग्रेस यही कह रही है कि ये शिवसेना का आंतरिक मामला है.

प्रमोद कृष्णम और जयराम रमेश (फाइल फोटो) प्रमोद कृष्णम और जयराम रमेश (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2022,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST
  • महाराष्ट्र में सियासी संकट के बादल छाए
  • एकनाथ शिंदे के बागी तेवर से बिगड़ा गणित

महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस के दो नेता आपस में ही भिड़ गए. ट्विटर पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम और जयराम रमेश में ऐसी जंग छिड़ी, जो पार्टी के लिए ही किरकिरी बन गई. दरअसल, ट्विटर पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पद से इस्तीफा देना की सलाह दी थी, जिस पर जयराम रमेश ने कहा कि ना ही ये कांग्रेस पार्टी के विचार हैं ना ही आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के अधिकृत प्रवक्ता हैं. 

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इसके जवाब में आचार्य प्रमोद कृष्णम लिखा- अधिकृत तो 'टेम्प्रेरी' होता है प्रभु, मैं तो 'परमानेंट' हूं, फिर भी आपको कोई दिक्कत है तो जयराम जी की. दोनों नेताओं के बीच इस टकराव पर ट्विटर पर कई तरह रिएक्शन देखे गए क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस भी महा विकास अघाड़ी का हिस्सा है. जब से सूबे में सियासी संकट गहराया है तब से कांग्रेस यही कह रही है कि ये शिवसेना का आंतरिक मामला है. 

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट करते हुए बुधवार लिखा था, ''सत्ता को 'ठोकर' पे मारने वाले स्व.बाला साहब ठाकरे की विरासत का सम्मान करते हुए उद्धव ठाकरे को मराठा गौरव की रक्षा करने हेतु नैतिक मूल्यों का निर्वहन करते हुए मुख्यमंत्री के पद को त्यागने में एक पल का विलम्ब भी नहीं करना चाहिये. #MaharashtraCrisis.'' इस पर जयराम रमेश ने कहा, ''ना तो यह कांग्रेस पार्टी के विचार हैं, ना ही आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के अधिकृत प्रवक्ता हैं.''

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इधर, महाराष्ट्र में सरकार पर आए सियासी संकट के बीच कांग्रेस ने कमलनाथ को पर्यवेक्षक बनाया है. बुधवार को मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि जो मध्य प्रदेश में अपनी सरकार नहीं बचा पाए, क्या वह महाराष्ट्र में सरकार बचा पाएंगे? बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे बागी हो गए हैं. उनके साथ तकरीबन 42 विधायक हैं, जो अपनी ही सरकार से नाराज होकर गुवाहाटी चले गए हैं.

 

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