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Corona in Maharashtra: सेल्फ टेस्टिंग किट से जांच कर घर पर इलाज करना खतरनाक, महाराष्ट्र में मेडिकल स्टोर्स पर एक्शन

Coronavirus in Maharashtra: महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच सेल्फ टेस्टिंग किट ने भी चिंता बढ़ा दी है. अधिकारियों का कहना है कि कई लोग सेल्फ टेस्टिंग किट से जांच कर घर पर ही इलाज कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि इससे संक्रमितों की सही संख्या भी पता नहीं चल सकेगी.

सेल्फ टेस्टिंग किट में पॉजिटिव आने पर अधिकारियों को इसकी सूचना दें. (फाइल फोटो-PTI) सेल्फ टेस्टिंग किट में पॉजिटिव आने पर अधिकारियों को इसकी सूचना दें. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST
  • सेल्फ टेस्टिंग किट से घर पर ही जांच कर रहे लोग
  • अधिकारियों ने चेताया- घर पर इलाज खतरनाक
  • अधिकारियों ने कहा, 70% केस अब भी डेल्टा के

Coronavirus in Maharashtra: कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से आई तीसरी लहर से महाराष्ट्र में संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से लोग इतना घबरा गए हैं कि खुद ही इलाज करने में जुट गए हैं. बाजार में कई सेल्फ टेस्ट किट मौजूद है, जिनके जरिए लोग अपनी जांच कर रहे हैं और खुद से ही इलाज कर रहा है. महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार ने इस पर चिंता जताई है. स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को सेल्फ टेस्ट किट की बिक्री की निगरानी के आदेश दिए हैं.

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न्यूज एजेंसी के मुताबिक, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. प्रदीप व्यास ने सभी जिलों के अधिकारियों को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने अधिकारियों को कोविड-19 सेल्फ टेस्टिंग किट (COVID-19 self-testing kits) की बिक्री की निगरानी करने की बात कही है.

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि कोरोना के हर पॉजिटिव मामले को रिपोर्ट किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि लोग सेल्फ टेस्टिंग किट से ही जांच कर रहे हैं. ऐसी किट से पॉजिटिव आने वाले मामलों को रिपोर्ट नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग होम आइसोलेशन में हो सकते हैं.

उन्होंने लिखा कि होम टेस्टिंग किट से पॉजिटिव आने पर लोगों को इसकी जानकारी अधिकारियों को देनी चाहिए, ताकि उनके स्वास्थ्य की निगरानी हो सके. उन्होंने ये भी बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग रिजल्ट में सामने आया है कि अब भी 70 फीसदी मामले डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) के हैं.

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पॉजिटिव आने पर जानकारी देना क्यों जरूरी?

सेल्फ टेस्टिंग किट से पॉजिटिव आने पर इसकी जानकारी देना क्यों जरूरी है, इस बारे में भी इस लेटर में लिखा है. डॉ. व्यास ने लिखा है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट आमतौर पर डेल्टा और ओमिक्रॉन के बीच अंतर नहीं ढूंढ पाता है. इसलिए ऐसा हो सकता है कि जो मरीज होम आइसोलेशन में हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है तो आने वाले समय में अस्पतालों पर बोझ बढ़ने का अंदेशा है.

टेस्ट किट खरीदने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखें दुकानदार

- डॉ. व्यास की ओर से ऐसा पत्र आने के बाद पुणे के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के ज्वॉइंट कमिश्नर एसबी पाटिल ने भी एक नोटिफिकेशन जारी किया है. उन्होंने मेडिकल शॉप वालों को सेल्फ टेस्टिंग किट खरीदने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया है.

- नोटिफिकेशन के मुताबिक, सभी केमिस्ट को टेस्टिंग किट खरीदने वाले लोगों के नाम, फोन नंबर और एड्रेस रिकॉर्ड रखने को कहा गया है. उन्होंने ये भी कहा कि ये रिकॉर्ड जरूर रखें क्योंकि समय-समय पर ड्रग इंस्पेक्टर इन्हें चेक करेंगे.

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प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे लोग

- पुणे के हेल्थ ऑफिसर डॉ. भगवान पवार ने बताया कि घर पर ही टेस्ट करने वालों को प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि सेल्फ टेस्टिंग किट से जांच करने वालों को मोबाइल ऐप डाउनलोड करना चाहिए और उस पर टेस्ट का रिजल्ट अपलोड करना चाहिए. ये रिजल्ट ICMR के कोविड टेस्टिंग पोर्टल पर अपलोड हो जाएगा. लेकिन बहुत से लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं.

- उन्होंने लोगों से टेस्ट रिजल्ट अपलोड करने की अपील की ताकि अधिकारियों को संक्रमितों की सही संख्या पता चल सके. पुणे के असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर डॉ. संजीव वावरे ने कहा कि सेल्फ किट से पॉजिटिव आने वाले लोग अपने वार्ड ऑफिस को सूचित कर सकते हैं.

 

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