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महाराष्ट्र में बढ़े कोरोना के केस, सामना में लिखा- फिर लॉकडाउन?

शिव सेना के मुखपत्र सामना में लिखा है कि हालात ऐसे ही रहे तो कोरोना की नई लहर नहीं, बल्कि लहरें आएंगी. ऐसा संकेत कोरोना से संबंधित टीम के डॉक्टर संजय ओक ने दिया है. कम से कम डॉक्टरों की तो सुनो.

प्रतीकात्मक तस्वीर (पीटीआई) प्रतीकात्मक तस्वीर (पीटीआई)
मुस्तफा शेख
  • मुंबई,
  • 20 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST
  • सामना में बीजेपी नेताओं पर भी हमला
  • 'शिवाजी भी लगाते कड़े प्रतिबंध'
  • 'फिर कोरोना की लहर नहीं, लहरें आएंगी'

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की तादाद बढ़ती जा रही है. मुंबई समेत राज्य के अलग-अलग जिलों में तेजी से बढ़ रहे मामलों को लेकर अब सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा है कि हम एक बार फिर लॉकडाउन की दिशा में बढ़ रहे हैं क्या? ऐसी आशंका उत्पन्न होने लगी है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि फिर लॉकडाउन नहीं होगा.

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सामना ने लिखा है कि फिर से लॉकडाउन नहीं होगा तो नियमों का सख्ती से पालन करो! लेकिन लोग लापरवाही बरत रहे हैं. मास्क लगाए बगैर घूम रहे हैं, उत्सव मना रहे हैं. मुंबई के जुहू चौपाटी पर 14 तारीख को युवा पीढ़ी ‘वेलेंटाइन डे’ मनाने के लिए ऐसे उमड़ पड़ी कि मास्क लगाए बगैर शारीरिक दूरी का खयाल भी नहीं रहा. भीड़ को लेकर तंज करते हुए सामना में लिखा है कि उन प्रेमी जीवों की भीड़ में मानो कोरोना का विषाणु भी स्वर्गवासी हो गया.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भीड़ के साथ विदर्भ यात्रा शुरू की. सांगली में भी रैली निकाली गई. अब जयंतराव कोरोना ग्रस्त हो गए हैं. स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, राजेंद्र शिंगणे भी कोरोना की चपेट में हैं.

सामना ने लिखा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की ओर से अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार के विरोध में ‘शूटिंग रोको’ आंदोलन करने का ऐलान करते ही कोरोना ने उनके कार्यालय में प्रवेश किया. एकनाथ खड़से को लगातार तीसरी बार कोरोना हुआ है. गृह मंत्री अनिल देशमुख हाल ही में कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए हैं. महाराष्ट्र का मंत्रिमंडल, प्रशासन कोरोना के जाल में फंसा है. सीएम ठाकरे बार-बार जिस खतरे की चेतावनी देते रहे हैं, वही हुआ है.

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सामना में लिखा है कि विरोधी ‘ये खोलो और वो खोलो अन्यथा हम आंदोलन करेंगे’ ऐसी धमकियां देते रहे, कोरोना के नियमों पर भी राजनीति की गई. इसका खमियाजा जनता और राज्य को भुगतना पड़ रहा है. बीच में तो कोरोना के मरीजों की संख्या घट रही थी, महज इस वजह से नागरिक कोरोना को भूल गए. नागरिकों की लापरवाही फिर शुरू हो गई. उस लापरवाही को विरोधियों ने इतना खाद-पानी दिया कि मानो सरकार को ही खलनायक बना दिया.

बढ़ते केस की जिम्मेदारी विरोधी लेंगे क्या

सामना ने लिखा है कि अब जो कोरोना बढ़ रहा है, उसकी जिम्मेदारी राज्य के विरोधी लेंगे क्या? कुछ जिलों में एक बार फिर लॉकडाउन लगाना पड़ेगा, ऐसी नौबत आ गई है. सरकार ने एक बार निर्णय लिया तो विरोधियों को बगैर विचार किए सिर्फ हंगामा करना है. ये लोगों की सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है. मंदिर खोल दिए, लोकल ट्रेन शुरू हो गई, बाजार खोल दिए, लेकिन लोग नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं. ये कैसे चलेगा? सार्वजनिक जगह पर सामाजिक दूरी बनाए रखना, मुंह पर मास्क लगाना इन नियमों का पालन किया ही जाना चाहिए.

लोग भूल गए- मास्क ही वैक्सीन

सामना में अभिनेत्री आर्ची उर्फ रिंकू राजगुरु के नांदेड़ में हुए कार्यक्रम के साथ ही बीजेपी नेताओं के भी बगैर मास्क सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहुचंने का जिक्र किया गया है. सामना में लिखा है कि लोग यह भूल गए हैं कि मास्क ही वैक्सीन है. बाजार में कोरोना की वैक्सीन आ गई है, लेकिन वैक्सीनेशन कराने वालों को भी कोरोना अपनी चपेट में ले चुका है. विरोधी खुद नियमों का पालन करें. विवाह, सार्वजनिक कार्यक्रम में भीड़ पर नियंत्रण होना ही चाहिए. मास्क की सख्ती तो होनी ही चाहिए. नियम तोड़नेवालों को कड़ी सजा दिए जाने की जरूरत है.

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शिवाजी ने भी लगाई होतीं कड़ी पाबंदियां

सामना में लिखा है कि 19 फरवरी को शिवाजी जयंती को लेकर भी राजनीति की गई. अगर छत्रपति शिवाजी महाराज भी होते तो कोरोना के संकट को देखते हुए जनता की रक्षा के लिए कड़ी पाबंदियां लगाई ही होतीं यह विरोधियों को समझ लेना चाहिए. राजनैतिक सम्मेलनों, विवाह समारोहों में इसी तरह ज्यादातर लोग मास्क नहीं लगाते हैं और सामाजिक दूरी का ध्यान नहीं रखते हैं. लोग लापरवाह क्यों हैं? हालात ऐसे ही रहे तो कोरोना की नई लहर नहीं, बल्कि लहरें आएंगी. ऐसा संकेत कोरोना से संबंधित टीम के डॉक्टर संजय ओक ने दिया है. कम से कम डॉक्टरों की तो सुनो.

 

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