
मुंबई की एक अदालत ने 2015 में मुंबई के मालवानी इलाके में अवैध शराब बेचने के दोषी चार लोगों को 10 साल जेल की सजा सुनाई है. जहरीली शराब पीने से इस त्रासदी में 106 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 75 अन्य पूरी तरह से अंधे या विकलांग हो गए थे. अधिकांश पीड़ित निर्माण श्रमिक, सीवेज क्लीनर, सफाई कर्मचारी और मालवानी के अन्य दिहाड़ी मजदूर थे.
10000 रुपये का जुर्माना लगा
अदालत ने चारों पर 10000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जिन्हें धारा 304 भाग 2 के तहत दोषी ठहराया गया था. इसमें कहा गया है कि कोई भी ऐसे कार्य का दोषी पाया जाता है जिसकी वजह से मृत्यु हो जाती है, ऐसा कार्य जो मृत्यु का कारण बनने के इरादे से किया जाता है, या शारीरिक चोट जिससे मृत्यु होने की संभावना है. इसमें दस साल तक की जेल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
अदालत ने पहले 10 लोगों को बरी कर दिया था
धारा 308 के तहत चारों लोगों को सात साल जेल की सजा सुनाई गई है और आईपीसी की धारा 120 बी यानी आपराधिक साजिश के लिए 10 साल की सजा सुनाई गई है. अदालत ने पहले 10 लोगों को बरी कर दिया था जो इस मामले में लगभग पिछले नौ वर्षों से सलाखों के पीछे थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, 18 जून 2015 को पुलिस को उपनगरीय मुंबई के मालवानी इलाके से लोगों के शराब पीकर मरने की सूचना मिली. मृतकों की संख्या बढ़ने पर जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई.
इस मामले में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें डेन मालिक राजू लंगड़ा, अवैध शराब आपूर्तिकर्ता डोनाल्ड पटेल, फ्रांसिस डी'मेलो शामिल थे. पटेल और डी'मेलो ने कथित तौर पर अतीक उर्फ मसूर अब्दुल लतीफ खान नाम के व्यक्ति से जहरीली शराब खरीदी थी. इन चारों को ही कोर्ट ने दोषी करार दिया है और सजा सुनाई है. 2017 में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक धर्मेंद्र सिंह तोमर की मुकदमे के इंतजार में मृत्यु हो गई.