
कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज मेट्रो यानी मेट्रो लाइन 3 ने अपनी झोली में एक और सफलता डाल दी है. गुरुवार 31 जनवरी को मेट्रो-3 की तीसरा और चौथा टनल टीबीएम मशीन (टनल बोरिंग मशीन) सुरंग बना कर दादर मेट्रो स्टेशन से बाहर निकला.
एमएमआरसी ने अब तक लगभग 18 किमी सुरंग का काम पूरा कर लिया है. 17 टनल बोरिंग मशीनों को दस टीबीएम शाफ्ट पर चालू किया गया है. कुल मिलाकर 35 प्रतिशत काम अब तक पूरा हो चुका है. 33.5 किलोमीटर का मेट्रो -3 कॉरिडोर पूरी तरह से अंडरग्राउंड है जो दक्षिण मुंबई के कोलाबा से पश्चिमी उपनगरों में सीप्ज तक है. अंडरग्राउंड मेट्रो के 27 स्टेशन होंगे –कफ परेड, विधान भवन, चर्चगेट, हुतात्मा चौक, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, कालबादेवी, गिरगांव, ग्रांट रोड, मुंबई सेंट्रल, महालक्ष्मी, नेहरू विज्ञान केंद्र, आचार्य आत्रेय चौक, वर्ली, सिद्धिविनायक मंदिर, दादर, शीतला देवी, धारावी, मीठी नदी, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, विद्यानगरी, सांता क्रुज, सीएसआईए टी1, सहार रोड, सीएसआईए टी2, मरोल नाका, एमआईडीसी, सीप्ज और आरे डिपो मेट्रो स्टेशन होंगे. 23,136 करोड़ की परियोजना से शहर में सार्वजनिक परिवहन का चेहरा बदलने की उम्मीद है, जो एक बार 2021 तक चालू हो जाएगा.
एमएमआरसी की प्रबंधक संचालिका अश्विनी भिडे ने कहा, “यह मुंबई मेट्रो 3 में सुरंग बनाने के लिए तीसरा महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. हम इस उपलब्धि से खुश हैं, जिसका श्रेय इंजीनियरों, सुपरवाइजर और कामगारों की टीम को जाता है. हम जल्द से जल्द मुंबईकर के सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं.’’ टीबीएम जिसे 21 सितंबर 2017 को नयानगर लॉन्चिंग शाफ्ट से उतारा गया था, इसने 4 भाग में 2490 मीटर की सुरंग बनाकर दादर मेट्रो स्टेशन पहुंचा. वहीं कृष्णा 2, टीबीएम को 18 अक्टूबर 2017 को नयानगर से ही उतारा गया था. इस मशीन ने 4 भाग में 2472 मीटर की सुरंग बनाकर दादर मेट्रो स्टेशन पहुंची. अब तक मेट्रो 3 का सफलतापूर्वक 18 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बना गया है. लगभग 15 इंजीनियर, 85 टेक्नीशियन और कामगारों की मेहनत से दोनों टनलिंग का काम पूरा हुआ. टीबीएम का निर्माण जर्मनी के हेरनकेनेत ने किया है.
कृष्णा 1 और 2 ने बेसाल्ट ग्रेड 3 और 2, ब्रैकिया ग्रेड 4, 3 और 2 और टफ ग्रेड 4 और 3 से बने चट्टानी स्तर के माध्यम से लगातार क्रमश: 506 और 479 दिनों के लिए ड्रिलिंग की गई. 108 मीटर लंबी कृष्णा 1 मशीन हर दिन औसतन 10 से 12 मीटर के साथ 1779 आरसीसी सीमेंट के छल्ले सुरंग को आकार देती रहीं. वहीं 108 मीटर लंबी कृष्णा 2 मशीन हर दिन औसतन 10 से 12 मीटर के साथ 1766 आरसीसी सीमेंट के छल्ले सुरंग को आकार देती रहीं.