Advertisement

किसान प्रोटेस्ट: शिवसेना बोली- बातचीत के नाम पर टाइमपास कर रही है सरकार

शिवसेना ने कहा कि किसानों को सरकार के साथ चर्चा में बिल्कुल भी दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है. सरकार सिर्फ टाइमपास कर रही है और टाइमपास का उपयोग आंदोलन में फूट डालने के लिए किया जा रहा है.

किसानों का प्रदर्शन 12वें दिन भी जारी (फोटो-PTI) किसानों का प्रदर्शन 12वें दिन भी जारी (फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:57 AM IST

किसान आंदोलन का आज 12वां दिन है. अब तक गतिरोध जारी है. बात नहीं बनी. किसानों ने कल भारत बंद का एलान किया है, जिसका समर्थन देश भर के किसानों के साथ-साथ कई मजदूरों संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी किया है. शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. 

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने हैदराबाद महानगरपालिका में अच्छी सफलता हासिल की. सरकार चुनावी जीत-हार में संतुष्ट हो रही है और वहां दिल्ली की सीमा पर किसानों का घेरा उग्र होता जा रहा है. येन-केन-प्रकारेण समाज में जाति-धर्म के नाम पर फूट डालकर फिलहाल चुनाव जीतना आसान है, लेकिन दिल्ली की दहलीज पर पहुंच चुके किसानों की एकजुटता में फूट डालने में असमर्थ सरकार मुश्किलों में घिर गई है.

Advertisement

शिवसेना ने कहा कि किसानों को सरकार के साथ चर्चा में बिल्कुल भी दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है. सरकार सिर्फ टाइमपास कर रही है और टाइमपास का उपयोग आंदोलन में फूट डालने के लिए किया जा रहा है. किसान आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा है कि कृषि कानून रद्द करोगे या नहीं? हां या ना, इतना ही कहो! सरकार ने इस पर मौन साध रखा है.

देखें: आजतक LIVE TV

शिवसेना ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद से कारपोरेट कल्चर बढ़ा है ये सत्य ही है, लेकिन हवाई अड्डे, सरकारी उपक्रम दो-चार उद्योगपतियों की जेब में तय करके डाले जा रहे हैं. अब किसानों की जमीन भी उद्योगपतियों के पास जाएगी. अर्थात एक तरह से पूरे देश का ही निजीकरण करके प्रधानमंत्री वगैरह सीईओ के तौर पर काम करेंगे. देशी ईस्ट इंडिया कंपनी की यह शुरुआत है. अब स्वतंत्र हिंदुस्थान में सरकार देशी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कर रही है.

Advertisement

शिवसेना ने कहा कि सरकार अब प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर किसानों की आवाज न दबाए. जनता भड़क जाती है और अनियंत्रित हो जाती है, तब बहुमत की सरकारें भी डगमगाकर गिर जाती हैं और बलवान समझा जानेवाला नेतृत्व उड़ जाता है. किसानों ने तय किया है कि अब पीछे नहीं. किसान अब दिल्ली में घुसकर संसद भवन को घेरने की तैयारी कर रहे हैं. 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन के भूमिपूजन का मुहूर्त करेंगे व उसी समय पुराने ऐतिहासिक संसद भवन पर पहुंचने की तैयारी कर रहे किसानों पर सरकार आंसू गैस और बंदूक चलाएगी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement