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Maharashtra: मराठा आरक्षण के बाद अब उठी OBC रिजर्वेशन की मांग, अजित पवार के घर के सामने प्रदर्शन

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के बाद अब ओबीसी आरक्षण की मांग उठने लगी है. इस मांग को लेकर कुछ ओबीसी संगठनों ने गुरुवार को बारामती में डिप्टी सीएम अजित पवार के घर के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.

आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए ओबीसी संगठनों के लोग आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए ओबीसी संगठनों के लोग
वसंत मोरे
  • मुंबई,
  • 01 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने के बाद अब ओबीसी संगठन भी आरक्षण की मांग को लेकर आक्रामक हो गए हैं. बारामती में डिप्टी सीएम अजित पवार के घर के सामने ओबीसी समाज के कार्यकर्ताओं द्वारा आज धरना-प्रदर्शन किया गया. ओबीसी समाज के संगठनों द्वारा यह धरना प्रर्दशन सांसदों और विधायकों के घर के सामने दिया जा रहा है.

महाराष्ट्र सरकार पर लगाया आरोप

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बारामती में यह धरना प्रदर्शन डिप्टी सीएम अजित पवार के घर के सामने किया गया. ओबीसी कार्यकर्ताओं ने मार्च निकालकर अपनी आरक्षण की मांग को दोहराया और मार्च में शामिल सभी कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. ओबीसी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि, महाराष्ट्र की सरकार ओबीसी समुदाय पर अन्याय कर रही है.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए ओबीसी समाज पर अन्याय किया है यह ओबीसी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा.

मराठा आरक्षण को लेकर सरकार में दोफाड़

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे सरकार में दोफाड़ जैसे हालात बन गए हैं. राज्य सरकार में मंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने रविवार को बड़ा ऐलान किया है. भुजबन ने कहा, मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. भुजबल ने यहां अपने आधिकारिक आवास पर एक बैठक की, जिसमें ओबीसी विधायकों, नेताओं और अन्य लोगों ने हिस्सा लिया.

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बता दें कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार को झुकना पड़ा है. सरकार ने जातिगत आरक्षण पर सरकारी संकल्प (जीआर) जारी कर दिया है. इस जीआर को फरवरी में आगामी विधानसभा सत्र में कानून में बदल दिया जाएगा. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे के पास उनकी विभिन्न मांगों के संबंध में एक मसौदा अध्यादेश भेजा था.

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