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महाराष्ट्र के राज्यपाल को सरकारी हवाई जहाज न देने पर भड़के फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि ''सरकारी हवाई जहाज किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है. महाराष्ट्र के राज्यपाल को हवाई जहाज देने से मना कर दिया गया. महाराष्ट्र सरकार में इतना घमंड कहां से आता है? इससे पहले महाराष्ट्र में इतनी घमंडी सरकार नहीं देखी.''

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो) महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
पंकज उपाध्याय
  • मुंबई,
  • 11 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST
  • राज्यपाल को सरकारी हवाई जहाज न देने का मसला
  • फडणवीस ने कहा 'सरकारी जहाज व्यक्तिगत संपत्ति नहीं'
  • उपमुख्यमंत्री ने कहा 'हमें मामले की जानकारी नहीं है'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर जमकर हमला बोला है. देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को यात्रा करने के लिए राज्य का सरकारी हवाई जहाज मुहैया न कराने के मसले पर महाराष्ट्र सरकार को घेरा है.

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि ''सरकारी हवाई जहाज किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है. महाराष्ट्र के राज्यपाल को हवाई जहाज देने से मना कर दिया गया. महाराष्ट्र सरकार में इतना घमंड कहां से आता है? इससे पहले महाराष्ट्र में इतनी घमंडी सरकार नहीं देखी.''

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आपको बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल कार्यालय ने कहा है कि राज्यपाल के निर्देशानुसार देहरादून से उनके लिए व्यावसायिक हवाई जहाज (प्राइवेट जहाज) की टिकट की गई थी. इस मसले पर जब राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है. अजीत पवार ने कहा ''सुबह से मैं जनता दरबार में व्यस्त था. मुझे इस मामले के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है. मुझे ये सब मीडिया से पता चल रहा है. मैं इस मामले की पहले जानकारी लेता हूं फिर बाद में इस पर टिप्पणी करूंगा.''

भाजपा नेता आशीष शेलर ने इस मसले पर कहा है कि 'घमंड के चलते शिवसेना गलत उदाहरण पेश कर रही है. जल्द ही जनता इन्हें सबक सिखाएगी.'

जब इस मसले पर शिवसेना नेता संजय राउत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ''मैं इस मसले पर कुछ नहीं कहूंगा लेकिन राज्यपाल ने उच्चसदन के लिए केबिनेट द्वारा नामित किए गए 12 नामों पर हस्ताक्षर न करके असंवैधानिक काम किया है. संजय राउत ने कहा '''अगर 15 मिनट इंतजार करना उनका अपमान होता है तो केबिनेट द्वरा सुझाए गए नामों के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर न करना भी केबिनेट का अपमान है.''

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