
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना के सत्ताधारी गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था. जनादेश के बाद सरकार बनाने की कसरत शुरू हुई तो उद्धव ठाकरे ने अपने सीएम का राग अलाप बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दीं. कुछ दिनों के सन्नाटे के बाद सुबह-सुबह महाराष्ट्र से आई एक तस्वीर ने सूर्योदय के साथ ही पूरे देश में हलचल मचा दी. वह तस्वीर थी रातोरात मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते देवेंद्र फडणवीस की.
देवेंद्र फडणवीस के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. इस तस्वीर को लेकर राजभवन पर भी उठे, फडणवीस भी राजनीतिक गलियारों में घिरे. तस्वीर सामने आने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मोर्चा संभाला और अपनी पार्टी के विधायकों को एकजुट कर लिया. बाद में सदन में बहुमत साबित करने से पहले ही फडणवीस ने पद से इस्तीफा देकर इस सियासी ड्रामे का अंत कर दिया था. अब फडणवीस ने तीन साल बाद इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बात की है.
महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि इस पूरे घटनाक्रम को एनसीपी के मुखिया शरद पवार का समर्थन प्राप्त था. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम फडणवीस ने एक टीवी चैनल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में दावा किया कि हमें एनसीपी की ओर से मिलकर सरकार बनाने के लिए प्रस्ताव मिला था. उन्होंने कहा कि एनसीपी की ओर से आए प्रस्ताव में कहा गया था कि एक स्थिर सरकार की जरूरत है और हमें मिलकर ऐसी सरकार बनानी चाहिए.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने एनसीपी की ओर से आए प्रस्ताव को लेकर बातचीत करने और आगे बढ़ने का फैसला किया. शरद पवार के साथ भी बातचीत हुई. इसके बाद चीजें बदलीं. उन्होंने कहा कि आपने देखा कि चीजें किस तरह से बदलीं. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अजित पवार ने 80 घंटे बाद सरकार से हटने का फैसला किया. पूरी सच्चाई के साथ राज्य को बताना चाहता हूं कि अजित पवार ने मेरे साथ ईमानदारी से शपथ ली थी लेकिन बाद में उनकी (एनसीपी की) रणनीति बदल गई.
फडणवीस के दावे का पवार ने किया खंडन
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने देवेंद्र फडणवीस के दावे का खंडन किया है और ये भी कहा है कि बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता को इस तरह के झूठे दावे नहीं करने चाहिए. फडणवीस के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शरद पवार ने कहा कि मुझे लगता था कि देवेंद्र फडणवीस एक संस्कारी और सज्जन व्यक्ति हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मुझे कभी नहीं लगा कि वे झूठ का सहारा लेंगे और इस तरह का बयान देंगे.
सोशल मीडिया पर भी छिड़ी जंग
देवेंद्र फडणवीस के दावे के बाद सोशल मीडिया पर भी एनसीपी और बीजेपी के बीच शब्द-युद्ध छिड़ गया है. दोनों ही दलों के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक दावे के पक्ष और विपक्ष में ट्वीट किए जा रहे हैं. दोनों ही तरफ से लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. महाराष्ट्र बीजेपी ने ट्वीट कर शरद पवार पर हमला बोला है.
महाराष्ट्र बीजेपी ने ट्वीट कर कहा है कि शरद पवार को ये नहीं भूलना चाहिए कि देवेंद्र फडणवीस एक समझदार व्यक्ति हैं और इसीलिए वे अब तक चुप रहे. वह आप ही थे जिसने ये संदेश दिया था कि बीजेपी और एनसीपी की सरकार बन सकती है. महाराष्ट्र बीजेपी ने अपने ट्वीट में ये भी कहा है कि आप कुछ और चाहते थे जो नहीं मिला और इसके बाद आपने अपना निर्णय बदल दिया.
राजभवन जाने से पहले पवार से मिलने गए थे अजित
महाराष्ट्र बीजेपी ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी के मुखिया शरद पवार पर हमला बोलते हुए कहा है कि शपथ ग्रहण समारोह से एक रात पहले अजित पवार के साथ आपकी कैसी बहस हुई थी? महाराष्ट्र बीजेपी ने ट्वीट कर ये भी कहा कि राजभवन जाने से पहले अजित पवार पवार से मिलने सिल्वर ओक (मुंबई में शरद पवार का आवास) भी गए थे और शपथ ग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण भी दिया था.
बीजेपी ने उस दिन सुबह-सुबह शरद पवार के ट्वीट को भी झूठा बताया है. एनसीपी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद 82 साल के शरद पवार पर हमला बोलते हुए महाराष्ट्र बीजेपी ने कहा है कि उन्हें सच और झूठ को लेकर बात करने का कोई हक नहीं है. बीजेपी ने पवार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि शरद पवार ने खुद को साबित करने के लिए हमेशा किसी न किसी झूठ का सहारा लिया है. इतिहास बताता है कि पवार ने अपने लाभ के लिए हमेशा पीठ में छुरा घोंपा है.
एनसीपी ने बीजेपी पर बोला जवाबी हमला
महाराष्ट्र बीजेपी के वार पर एनसीपी भी एक्टिव मोड में आ गई और पलटवार किया. एनसीपी ने कहा है कि शरद पवार के इतने लंबे राजनीतिक करियर को लेकर किसी से मान्यता की जरूरत नहीं है. आपके अपने राष्ट्रीय नेता (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) शरद पवार को अपना गुरु बता चुके हैं. हमें शरद पवार के इतने लंबे करियर को आपकी ओर से किसी मान्यता की जरूरत नहीं है.
बीजेपी ने एनसीपी के ट्वीट पर पलटवार किया और कहा कि अगर शरद पवार सच में इतनी ही बड़ी शख्सियत थे तो वे महाराष्ट्र के किसी भी चुनाव में सूबे की 60 से ज्यादा विधायक जीताकर क्यों नहीं ला सके? अगर उनका राजनीतिक करियर इतना ही शानदार था तो उन्हें हमेशा देश का भावी प्रधानमंत्री ही क्यों कहा जाता रहा.
बीजेपी ने जीती थीं 105 सीटें, शिवसेना ने 56
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर 2019 को आए थे. इन नतीजों में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली थी जबकि पार्टी की गठबंधन सहयोगी शिवसेना 56 सीटों पर विजयी रही थी. बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने, सरकार चलाने का स्पष्ट जनादेश मिला था लेकिन दोनों दलों में पावर शेयरिंग को लेकर खींचतान शुरू हो गई. चुनाव पूर्व गठबंधन तब टूट गया जब बात मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आई. शिवसेना ने ये कहते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक दिया कि अमित शाह ने हमें ये आश्वासन दिया था.
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अटकी थी बात
दूसरी तरफ, बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी भी सूरत में छोड़ने को तैयार नहीं थी. नतीजा ये हुआ कि दोनों दलों का साथ छूट गया और शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए विचारधारा के स्तर पर खुद से भिन्न कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत शुरू कर दी. महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के बाद कई दिन गुजर गए लेकिन कोई भी दल सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया. सरकार बनाने के लिए हर दल अपने स्तर पर सक्रिय तो था, दूसरे दलों से बातचीत का सिलसिला भी जारी था लेकिन कोई भी राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने नहीं पहुंचा.
क्या था पूरा सियासी घटनाक्रम
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई तो केंद्र सरकार ने राज्यपाल की सिफारिश पर 12 नवंबर 2019 को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. इसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) नाम से गठबंधन बनाया और शरद पवार ने ये ऐलान किया कि अघाड़ी की ओर से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे.
शरद पवार की ओर से उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने और गठबंधन सरकार के गठन का ऐलान करने के बाद भी सूबे में पॉलिटिकल ड्रामा अभी बाकी था. 23 नवंबर की सुबह-सुबह ही देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तस्वीर सामने आई और हर कोई चौंक गया.
रात के समय ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिला दी. हालांकि ये सरकार तीन दिन में ही गिर गई थी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. ये महाराष्ट्र की सियासत का एक बड़ा घटनाक्रम था. अब इस घटनाक्रम को लेकर देवेंद्र फडणवीस के बयान से महाराष्ट्र का सियासी पारा फिर से चढ़ने लगा है.