
पुणे नगर निगम ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया है कि कोंढवा में जमीन के टुकड़े पर कोई हज हाउस नहीं है, बल्कि सिविक कल्चरल कम्युनिटी सेंटर का निर्माण किया जा रहा है. बता दें कि समस्त हिंदू अघाड़ी के समर्थक हिंदुत्व नेता मिलिंद एकबोटे ने अदालत का दरवाजा खटखटाकर मांग की थी कि कोंढवा में एक निर्माणाधीन हज हाउस को ध्वस्त कर दिया जाए.
हाई कोर्ट ने इस रिट याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में बदल दिया था, क्योंकि इसमें एकबोटे का कोई व्यक्तिगत हित नहीं था. उन्होंने दावा किया था कि वह विशेष भूमि पुणे के कोंढवा क्षेत्र और उसके आसपास लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए आरक्षित थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि हज हाउस के निर्माण के लिए भूमि का उपयोग बदल दिया गया था, जिस पर लगभग 3,000 लाख रुपये से अधिक की लागत आने का आरोप है.
पुणे नगर निगम की ओर से पेश वकील अभिजीत कुलकर्णी ने कहा कि भूमि का उपयोग नहीं बदला गया है और एकबोटे की याचिका पर उनके जवाब में कहा गया है कि शुरुआत में जुलाई 206 में जब एमेनिटी स्पेस कम्युनिटी द्वारा पहली बैठक आयोजित की गई थी, जहां हज हाउस के निर्माण के लिए मंजूरी दी गई थी.
कुलकर्णी ने बताया कि इसके बाद 12 मार्च 2018 को हज हाउस के निर्माण को लेकर एक और बैठक हुई. बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि हज हाउस के निर्माण के बजाय संपत्ति पर सिविक कल्चरल कम्युनिटी सेंटर नाम की एक इमारत बनाई जानी चाहिए. जवाब में आगे कहा गया है कि पूरी होने के बाद यदि उक्त संपत्ति को हज हाउस के रूप में इस्तेमाल करने का निर्णय लिया जाता है तो प्राधिकरण पहले आवश्यक मंजूरी लेगा.
हलफनामे में कहा गया है कि चूंकि संपत्ति एक सुविधापूर्ण स्थान है और इस तरह यह पुणे महानगरपालिका के शासन के अंतर्गत आती है और इसलिए स्थान का उपयोग पुणे महानगरपालिका द्वारा तय किया जाना है. इसलिए, 23 फरवरी, 2018 को संपत्ति का उपयोग नागरिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक केंद्र के रूप में करने का निर्णय लिया गया, न कि हज हाउस के रूप में.