
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. इसके संकेत उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हालिया बयानों से मिलते हैं. सूत्रों की मानें तो शिंदे और मुख्यमंत्री फडणवीस के बीच कोल्ड वॉर की स्थिति है. इस बीच शुक्रवार को एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर दो दिन पहले दिया अपना 'टांगा पलटने' वाला बयान दोहराया. नागपुर में पत्रकारों ने शिंदे से जब उनके इस बयान के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा, 'ये तो मैंने पहले ही कहा है, जिन्होंने मुझे हल्के में लिया है... मैं एक कार्यकर्ता हूं, सामान्य कार्यकर्ता हूं. लेकिन बाला साहेब और दिघे साहेब का कार्यकर्ता हूं. ये समझ के मुझे सबने लेना चाहिए और इसलिए जब हल्के में लिया तो 2022 में टांगा पलटी कर दिया. सरकार को बदल दिया और हम आम जनता की इच्छाओं की सरकार लाए. इसलिए मुझे हल्के में मत लेना, ये इशारा जिन्हें समझना है वे समझ लें.'
उन्होंने आगे कहा, 'विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस जी को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी और हमें 232 सीटें मिलीं. इसलिए मुझे हल्के में न लें, जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे इसे समझें और मैं अपना काम करता रहूंगा.' बता दें कि एकनाथ शिंदे हाल फिलहाल के दौरान सीएम फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं. इससे दोनों के बीच टकराव की अटकलें लग रही हैं. भाजपा के नेतृत्व वाले तीन-दलीय गठबंधन (भाजपा, शिवसेना, एनसीपी) द्वारा विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से 230 सीटें जीतने और प्रतिद्वंद्वियों को लगभग खत्म करने के ठीक तीन महीने बाद सत्तारूढ़ महायुति में दरार की चर्चाएं शुरू हो गई हैं, और कोई भी स्पष्टीकरण या दावा अटकलों को खत्म करने में मदद नहीं कर रहा है.
कहां से आई फडणवीस-शिंदे के रिश्तों में तल्खी?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच मतभेदों की अटकलों के बीच, ₹900 करोड़ की एक और परियोजना, जिसे शिंदे के सीएम कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी गई थी, वो अब रोक दी गई है. शिंदे द्वारा अनुमोदित जालना जिले की यह परियोजना अब मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के अनुसार सिडको के प्रबंध निदेशक द्वारा जांच की जा रही है. इस घटनाक्रम से शिवसेना और बीजेपी के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे के बीच तनाव बढ़ सकता है.
जालना खारपुडी परियोजना की जांच ने इसकी वैधता और शिंदे की मंजूरी के पीछे के इरादों पर सवाल उठाए हैं. उद्धव ठाकरे गुट के पूर्व विधायक संतोष सांबारे ने भी इस मामले में सीएम फडणवीस से कार्रवाई की मांग की है. शिवसेना यूबीटी के नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने भी सीएम देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर परियोजना में अनियमितताओं को उजागर करते हुए हाई पावर कमेटी से जांच कराने और राज्य सरकार को गुमराह कर सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इस घटनाक्रम ने जालना खारपुडी परियोजना के भाग्य और महायुति सरकार में समन्वय पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
सिडको की खरपुडी परियोजना क्या है?
- ठाकरे गुट ने सिडको के अधिकारियों और कर्मचारियों पर अपने वित्तीय हितों की सुरक्षा के लिए इस परियोजना से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट अपने पहचान के बिजनेसमेन और ब्रोकर्स को दिलाने में मदद करने का आरोप लगया है.
- शिवसेना यूबीटी का आरोप है कि स्थानीय लोगों से कम कीमत पर जमीन खरीदकर प्रभावशाली व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस परियोजना को क्रियान्वित किया जा रहा है.
- जालना खारपुडी प्रोजेक्ट की प्लानिंग 2018 में CIDCO ने की थी. बाद में, इस प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी टेस्ट के लिए अंतरराष्ट्रीय फर्म अर्न्स्ट एंड यंग को नियुक्त किया गया था.
- 10 जनवरी, 2020 को फर्म की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि यह परियोजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी. परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र सरकार ने 9 जुलाई, 2020 को परियोजना को डिनोटिफाई करने का निर्णय लिया.
- इसके बाद, सिडको और सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने 2022 और 2023 में परियोजना की समीक्षा शुरू की.
- 2023 में केपीएमजी की एक नई रिपोर्ट के आधार पर, परियोजना को अंततः 2024 में मंजूरी दे दी गई.
- महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन एमवीए ने सवाल उठाया है कि जो परियोजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी, वह अचानक व्यवहार्य कैसे हो गई?
1310 बसों का कॉन्ट्रैक्ट भी रद्द
दरअसल देवेंद्र फडणवीस द्वारा शिंदे सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कुछ कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने और कुछ परियोजनाओं की जांच के आदेश देने के बाद तनाव और बढ़ गया है. इनमें एससी महामंडल के लिए 1310 बसों का कॉन्ट्रैक्ट भी शामिल है. पूर्ववर्ती शिंदे सरकार पर कुछ खास कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए टेंडर प्रक्रिया में बदलाव करने का आरोप लगा था और इसकी वजह से राज्य परिवहन निगम को कम से कम 2000 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदाजा था. एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री रहते अपने करीबी महाड के विधायक भरत गोगावले को एसटी महामंडल का अध्यक्ष बनाया था. भरत गोगावले ने 1310 बस कॉन्ट्रैक्ट पर लेने का निर्णय लिया था. लेकिन सीएम फडणवीस ने कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने के साथ नए सिरे से और पारदर्शिता के साथ पूरी प्रक्रिया फिर से शुरू करने का निर्देश दिया है.
महाराष्ट्र में जिलों के संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर असहमति हो या विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी के लिए अलग-अलग मेडिकल सेल और 'वॉर रूम' की अलग-अलग समीक्षा बैठकें करने तक, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके डिप्टी एकनाथ शिंदे के रिश्तों में तल्खी बढ़ती दिख रही है.
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हालांकि फडणवीस और शिंदे दोनों ने अपने बीच किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया है और सब कुछ ठीक है के संदेश के साथ एकता की तस्वीर पेश करने की कोशिश की है, लेकिन कई उदाहरण ऐसे हैं, जो अलग तस्वीर पेश करते हैं. रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति में भी यह दरार बढ़ती देखी गई. राकांपा विधायक अदिति तटकरे और भाजपा नेता गिरीश महाजन की क्रमश: रायगढ़ और नासिक के संरक्षक मंत्री के रूप में नियुक्ति से शिवसेना नाराज थी. हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन दोनों नियुक्तियों को रोक दिया और अब तक इन दोनों जिलों में संरक्षक मंत्री नहीं नियुक्ति हो सके हैं.
फडणवीस और शिंदे का अलग-अलग वॉर रूम
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य की प्रमुख परियोजनाओं की निगरानी के लिए 'वॉर रूम' बनाया है. उनके अलावा दोनों डिप्टी सीएम- अजीत पवार और एकनाथ शिंदे ने उन परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए अपने अलग वॉर रूम स्थापित किए हैं, जो उन जिलों के अंतर्गत आती हैं, जिनके वे संरक्षक मंत्री हैं. दोनों अपने वॉर रूम से उन विभागों के कामकाज की निगरानी भी करते हैं, जो उनकी संबंधित पार्टियों के मंत्रियों द्वारा संभाले जाते हैं. मुख्यमंत्री राहत कोष से इतर, शिंदे ने राज्य सचिवालय में एक चिकित्सा सहायता कक्ष भी स्थापित किया है.
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एकनाथ शिंदे नासिक में 2027 कुंभ मेले की तैयारियों पर चर्चा के लिए नासिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) सहित फडणवीस द्वारा बुलाई गई कई बैठकों से दूर रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस द्वारा उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक करने के बाद एकनाथ शिंदे ने हाल ही में एक और बैठक की. उद्योग विभाग शिवसेना मंत्री उदय सामंत के पास है. राज्य पुलिस ने थ्रेट परसेप्शन एनालिसिस की और इसके बाद 20 शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम कर दी गई और कुछ की हटा ली गई. इस फैसले के बाद फडणवीस और शिंदे के बीच दरार और अधिक बढ़ने की संभावना है. जून 2022 में एकनाथ शिंदे को 'Y' कैटेगरी का सुरक्षा कवर दिया गया था.
शिंदे के नेतृत्व में 2022 में शिवसेना में पड़ी टूट
एकनाथ शिंदे का 2022 में टांगा पलटने से मतलब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले एमवीए शासन के पतन से था. तब शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना (अविभाजित) के 40 से अधिक विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी. उनका कहना था कि 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को जनादेश दिया था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन में सरकार बना ली. शिवसेना के बागी विधायकों का कहना था कि बीजेपी वैचारिक रूप से उनके करीब है और कांग्रेस व एनसीपी की विचारधारा बिल्कुल अलग है. इसके बाद इन विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दिया.
एकनाथ शिंदे नई सरकार में मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री. बाद में अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी में भी टूट पड़ी. वह पार्टी के ज्यादातर विधायकों के साथ बीजेपी और शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन ने 288 में 230 सीटें जीतकर महाराष्ट्र में प्रचंड बहुमत की महायुति सरकार बनाई. बाद में दो और विधायक महायुति के साथ जुड़े, जिससे महाराष्ट्र विधानसभा में उसकी संख्या 232 पहुंच गई.