
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार में मंत्री रहे और बीजेपी के दिग्गज एकनाथ खडसे ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है. एकनाथ खडसे इसी शुक्रवार को बीजेपी छोड़ एनसीपी ज्वाइन करेंगे. एनसीपी नेता ने इस बात का दावा किया है. पिछले कुछ वक्त में लगातार एकनाथ खडसे को भाजपा में साइडलाइन किया गया है, यही कारण है कि कई बार उन्होंने राज्य पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए. और अब बात यहां तक आ गई है कि वो पार्टी छोड़ रहे हैं.
नॉर्थ महाराष्ट्र में बीजेपी को दिलाई पहचान
एकनाथ खडसे की गिनती महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में होती है, जिन्होंने पार्टी को शुरुआत के वक्त से ही खड़ा करने में मदद की. खडसे ने साल 1980 में ही भाजपा ज्वाइन की थी और नॉर्थ महाराष्ट्र में बीजेपी की पहचान बने. पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत के बाद एकनाथ खडसे की गिनती बीजेपी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे के रूप में हुई. उसके बाद वो मुख्यमंत्री पद का भी दावेदार बने. एकनाथ खडसे ने जलगांव क्षेत्र में पार्टी को मजबूत किया, जहां जिला परिषद से लेकर कॉपरेटिव बैंक और फिर विधानसभा चुनावों में बीजेपी को फायदा हुआ. 90 के दशक में बनी बीजेपी-शिवसेना की सरकार में भी एकनाथ खडसे मंत्री पद पर रहे और उसके बाद विपक्षी नेता के तौर पर कांग्रेस-एनसीपी का जमकर विरोध किया. एकनाथ खडसे मुक्ताईनगर विधानसभा सीट से काफी लंबे वक्त तक विधायक रहे, उन्होंने 1989 से लेकर 2019 तक यहां से जीत दर्ज की.
फडणवीस के आने के बाद साइडलाइन हुए खडसे?
शिवसेना के साथ जब बीजेपी ने 2014 में सरकार बनाई तो एकनाथ खडसे सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन देवेंद्र फडणवीस को मौका मिला. उसके दो साल बाद ही एक घोटाले में एकनाथ खडसे का नाम आ गया, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. खडसे के इस्तीफा देने के बाद पार्टी में उनके समर्थन में कई लोगों ने पद छोड़ा, लेकिन खडसे की पहले जैसी वापसी नहीं हो सकी.
इसके अलावा नॉर्थ महाराष्ट्र से ही आने वाले गिरीश महाजन को पार्टी ने आगे बढ़ाया और फडणवीस कैबिनेट में वो मंत्री पद पर भी रहे. कई बार एकनाथ खडसे की ओर से आरोप लगता रहा कि फडणवीस के कारण ही उन्हें पार्टी में साइडलाइन किया गया था.
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एकनाथ खडसे और विनोद तावडे को टिकट नहीं दिया था, जो कि फडणवीस विरोधी गुट के माने जाते रहे हैं. फिर चुनाव में बीजेपी की सरकार ना बन पाने के बाद एकनाथ खडसे ने लगातार देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ बयानबाजी तेज कर दी थी. जिसके कारण उन्हें लगातार साइडलाइन किया गया.