
महाराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे को सत्ता से बेदखल कर बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे को पूरे 35 दिन हो गए हैं. इस दौरान एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ 6 बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार का मुहूर्त नहीं निकल पाया. शिंदे कैबिनेट विस्तार की एक तारीख भी सामने आई लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश को देखते हुए उस पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है.
30 जून को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. ठीक एक महीने पहले 4 जुलाई को शिंदे ने विश्वास मत भी हासिल कर लिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में उद्धव और शिंदे गुट के बीच चल रहे दांव-पेच के चलते कैबिनेट विस्तार टल रहा है. इसके अलावा शिंदे गुट और बीजेपी के बीच विभागों के बंटवारे पर सहमित न बन पाने के चलते सरकार बनने के 35 दिन बाद भी कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को ही कहा था कि उनकी सरकार अच्छा काम कर रही है और जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. इससे पहले शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा था कि इसी हफ्ते रविवार से पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा. इसी आधार पर 5 अगस्त यानि शनिवार को मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना लगाई जा रही है. हालांकि, मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के चलते कैबिनेट विस्तार पर ग्रहण लग सकता है और शनिवार के बजाय अब सोमवार के बाद किसी दिन विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को शिवसेना मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत देते हुए चुनाव आयोग से शिंदे गुट की अर्जी पर अभी कोई फैसला न लेने के लिए कहा है. कोर्ट इस मामले में सोमवार को फैसला सुनाएगा. इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि वह 8 अगस्त को फैसला करेगी कि मामले को सुनवाई के लिए 5 जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेजा जाए या नहीं. शिवसेना का असली वारिस कौन है? इस पर चुनाव आयोग फिलहाल कोई फैसला न ले.
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को देखने के बाद एकनाथ शिंदे सरकार अपने मंत्रिमंडल के विस्तार का फैसला लेगी. ऐसे में सोमवार को या फिर उसके बाद भी कैबिनेट विस्तार हो सकता. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मंत्रियों के शपथ दिलाने को लेकर कोई रोक नहीं लगाई है. लेकिन विपक्ष सरकार पर लगातार सवाल खड़े कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच के सामने शिंदे गुटे के 16 विधायकों और उद्धव ठाकरे गुट के 15 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पेंडिग है. दूसरी ओर चुनाव आयोग के सामने शिवसेना का चुनाव चिन्ह 'धनुष-बाण' का मसला विचाराधीन है. चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को 8 अगस्त तक लिखित में अपना जवाब दाखिल करने को कहा हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को अभी निर्णय लेने से रोक दिया है.
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के विधायक को अयोग्य घोषित कर दिया तो यह उनके लिए एक बड़ा सेटबैक हो सकता है. यही वजह है कि अलग-अलग वजहों को आधार बनाकर एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल के विस्तार को आगे बढ़ाया जा रहा है.
महाराष्ट्र में एक बात साफ है कि कैबिनेट विस्तार जब भी होंगे दो चरण में होंगे. पहले दौर में वरिष्ठ विधायकों को ही कैबिनेट में शामिल किया जाएगा और बीजेपी व शिंदे गुट से फिलहाल 7-7 विधायकों की मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है या फिर शिंदे गुट से 9 और बीजेपी कोटे से करीब 15 नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके बाद दूसरे चरण में बाकी बचे मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी.
बीजेपी खेमे से चंद्रकांत पाटिल, सुधीर मुनगंटीवार, गिरीश महाजन, प्रवीण दरेकर, राधाकृष्ण विखे पाटील, गणेश नाईक और रवींद्र चव्हाण मंत्रिपद की शपथ ले सकते हैं. वहीं, शिंदे खेमे से दादा भूसे, उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल, शंभू राजे देसाई, संदीपन भुमरे, संजय शिरसाठ, अब्दुल सत्तार और बच्चू कडू (स्वतंत्र) मंत्रिपद की शपथ ले सकते हैं.
बता दें कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना कोटे से 10 कैबिनेट और चार राज्यमंत्री थे. शिंदे के साथ फिलहाल शिवसेना के 40 विधायक हैं. महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है. ऐसे में चर्चा है कि बागियों समेत शिंदे कैबिनेट में निर्दलीय और सरकार को समर्थन करने वाली छोटी पार्टियों के विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है.
शिंदे गुट अपने लिए 8 कैबिनेट पद और 5 राज्यमंत्री का पद चाहता है. वहीं, बीजेपी ने अपने कोटे के 29 मंत्रियों का लक्ष्य लेकर चलेगी. ऐसे में शिंदे गुट वर्तमान विभागों को बनाए रखने के लिए दबाव डालेगा क्योंकि उद्धव सरकार ने बीते एक महीने में बागी मंत्रियों द्वारा लिए गए सभी फैसलों को रोक दिया था. इसके अलावा शिंदे गुट चाहता है कि निर्दलीय विधायकों को भी बीजेपी के कोटे से कैबिनेट में शामिल किया जाए. बीजेपी देखना है कि शिंदे गुट की कितनी बातों को मानती है.
वहीं, बीजेपी विधायक भी मंत्री बनने की राह देख रहे हैं. ऐसे में बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी बैठक के दौरान फडणवीस ने अपने नेताओं को संयम बरतने की सलाह दी थी. साथ ही इस बात के भी संकेत दिए थे कि सभी को कैबिनेट विस्तार में शामिल नहीं किया जा सकता. ऐसे में एकनाथ शिंदे खेमे ही नहीं बल्कि बीजेपी के सामने भी अपने नेताओं को साधने की चुनौती बनी हुई है. ऐसे में देखना है कि महाराष्ट्र में कैबिनेट गठन कब होता है और शिंदे व बीजेपी गुट से कितने-कितने नेता मंत्री बनते हैं?