
महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी ने शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री भले ही बना दिया हो, लेकिन सरकार पर अपना पूरा कंट्रोल रखा है. शिंदे कैबिनेट के विस्तार के बाद रविवार को मंत्रालयों का बंटवारा भी हो गया है, जिससे एक बात साफ हो गई है कि शिंदे गुट पर देवेंद्र फडणवीस ही बीस साबित हुए. विभागों के बंटवारे में डिप्टी सीएम फडणवीस ने भारी भरकम मंत्रालय अपने पास रखे और बीजेपी कोटे के मंत्रियों को मलाईदार विभाग दिलाया. इससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी ने भले ही सीएम कुर्सी पर एकनाथ शिंदे को बैठाया हो, लेकिन सत्ता की कमान अपने हाथों में रखी है.
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल विस्तार के पांचवें दिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंत्रालय के विभागों का बंटवारा भी कर दिया. एकनाथ शिंदे ने लोक निर्माण, सामान्य प्रशासन और नगर विकास जैसे विभाग अपने पास रखे हैं. वहीं, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को गृह, वित्त, योजना, ऊर्जा, आवास व जल संसाधन जैसे भारी भरकम विभाग मिले हैं. फडणवीस को शिंदे कैबिनेट में मिले विभाग उनके मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास थे. ऐसे में विभागों के बंटवारे में बीजेपी और फडणवीस का वर्चस्व साफ नजर आ रहा है.
बीजेपी के कोटे में कौन से मंत्रालय
विभागों के बंटवारे पर नजर डालें तो बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में नजर आ रही है. बीजेपी कोटे के मंत्रियों में राधाकृष्ण विखे पाटिल को राजस्व, पशुपालन और डेयरी विकास, सुधीर मुनगंटीवार को वन, सांस्कृतिक मामले और मत्स्य पालन सौंपा गया है. ऐसे ही चंद्रकांत पाटिल को उच्च और तकनीकी शिक्षा, कपड़ा और संसदीय कार्य जैसे भारी विभाग का जिम्मा मिला है तो विजय कुमार गावित को आदिवासी विकास और गिरीश महाजन को ग्राम विकास एवं पंचायती राज, चिकित्सा शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण की जिम्मेदारी दी गई है.
बीजेपी कोटे के मंत्री अतुल सावे को सहकारिता, अन्य पिछड़ा और बहुजन कल्याण तो मंगल प्रभात लोढ़ा को पर्यटन, कौशल विकास और उद्यमिता, महिला और बाल विकास मंत्रालय का भार दिया गया है. रवींद्र चव्हाण को लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रमों को छोड़कर), खाद्य और नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण जबकि सुरेश खाड़े को लेबर मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है.
शिंदे के गुट नेताओं को मिले ये विभाग
शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे के साथ खड़े रहने वाले 9 विधायक कैबिनेट मंत्री बने हैं. विभाग के बंटवारे में सीएम एकनाथ शिंदे ने भले ही अपने पास लोक निर्माण और नगर विकास जैसे मंत्रालय अपने पास रखा है, लेकिन अपने करीबियों को भारी भरकम मंत्रालय नहीं दिला सके. गुलाबराव पाटिल को जल आपूर्ति, स्वच्छता, दादा भूसे को बंदरगाह और खदान की जिम्मेदारी मिली है तो संजय राठौर को खाद्य एवं औषधि प्रशासन सौंपा गया.
वहीं, शिंदे गुट के संदीपन भुमरे को रोजगार गारंटी योजना और बागवानी का जिम्मा मिला है जबकि उदय सामंत को उद्योग मंत्री का कार्यभार सौंपा गया है. तानाजी सावंत को सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, अब्दुल सत्तार को कृषि, दीपक केसरकर को स्कूली शिक्षा और मराठी भाषा जबकि शंभूराज देसाई को राज्य उत्पाद शुल्क विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
विभागों के बंटवारे में बीजेपी का दबदबा
शिंदे सरकार के विभागों के बंटवारे पर नजर डालें तो बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस का मास्टर स्ट्रोक साफ दिखेगा. असल में एनसीपी ने महाविकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना को सीएम पद देकर अहम विभाग अपने पास रखे थे. ऐसे ही बीजेपी ने सत्ता की कुर्सी भले ही शिंदे को दे दी दो, लेकिन अब बीजेपी ने भी एनसीपी के फॉर्मूले को प्रयोग करते हुए मलाईदार विभाग अपने पास रखे हैं.
दिलचस्प बात यह है कि देवेंद्र फडणवीस ने उन चार विभागों को अपने पास रखा है, जो उद्वव सरकार के दौरान एनसीपी के चार बड़े नेताओं के पास थे. इसमें अजित पवार का वित्त, दिलीप वलसे पाटिल का गृह, जयंत पाटिल का जल संसाधन और जितेंद्र आव्हाड का आवास विभाग अपने पास रखा है.
बीजेपी की नजर 2024 पर
बीजेपी की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव पर है. बीजेपी अब महाराष्ट्र में अपने दम पर सत्ता में आने की कवायद कर रही है, जिसकी बुनियाद शिंदे के साथ मिलकर रखा है. मंत्रालय के बंटवारे में बीजेपी ने ऐसे विभाग अपने पास रखे हैं, जिनका आम जनता से सीधा ताल्लुक है. इन विभागों को अपने पास रखने के साथ ही भाजपा ने अपनी मंशा साफ कर दी है.
बीजेपी के पास यह विभाग होने से महाराष्ट्र में आम लोगों से उसका संपर्क बढ़ाने का मौका मिला. इसके साथ ही जनहित के फैसलों को लागू करते हुए बीजेपी महाराष्ट्र पर पार्टी विस्तार की अपनी पॉलिसी पर भी काम कर सकेगी. महाविकास अघाड़ी सरकार में यह खेल एनसीपी खेल रही थी और शिंदे सरकार में बीजेपी उसी राह पर कदम बढ़ा रही है. देवेंद्र फडणवीस ने भी बड़े ही सधे अंदाज में यह चाल चली है. हालांकि, अभी शिंदे मंत्रिमंडल में 23 और मंत्री शामिल किए जाने शेष हैं. इनमें कैबिनेट व राज्य दोनों मंत्री शामिल किए जाएंगे. ऐसे में देखना है कि आगे भी बीजेपी इसी तरह का सियासी दांव चलेगी या फिर बदलाव दिखेगा?