
मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे की मांगों को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मान लिया है और सरकार ने जातिगत आरक्षण पर सरकारी संकल्प (जीआर) जारी कर दिया है. इस जीआर को फरवरी में आगामी विधानसभा सत्र में कानून में बदल दिया जाएगा.
वहीं, सरकार के इस फैसले के बाद नवी मुंबई में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अपने हाथों से जूस पिलाकर मनोज जरांगे के अनशन खत्म कराया.
हमने पूरा किया अपना वादा: CM शिदें
इस बारे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, 'मैंने मराठों को आरक्षण देने का वादा किया था और मैंने अपना वादा पूरा किया है. यह एक ऐतिहासिक क्षण है. हम वोट के लिए कभी कोई निर्णय नहीं लेते, हम जनहित के लिए निर्णय लेते हैं...हमने सभी मांगें मान ली हैं.'
'आधी रात को मिलने पहुंचा था प्रतिनिधिमंडल'
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार आधी रात मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे के पास उनकी विभिन्न मांगों के संबंध में एक मसौदा भेजा था. फिर सरकारी प्रतिनिधिमंडल के मंत्री दीपक केसरकर और मंगल प्रभात लोढ़ा ने जरांगे को पत्र सौंपा और बताया कि उनकी सभी मांगें मान ली गई हैं. इसके थोड़ी देर बाद सीएम एकनाथ शिंदे मनोज जरांगे से मिलने वाशी पहुंचे थे. इसके बाद जरांगे ने अपने मार्च को रोकने और मुंबई नहीं आने का फैसला किया.
'मराठा समुदाय के 54 लाख अभिलेख मिले'
जरांगे ने बताया कि मराठा समुदाय के लिए डेटा बनाया गया है, जिसमें 54 लाख अभिलेख मिले हैं. जिनका रिकॉर्ड मिला है. उन्हें तुरंत प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे. साथ ही हम इस बात के लिए भी लड़ रहे थे कि उनके परिवारों को तुरंत प्रमाण पत्र दिया जाए. यह प्रक्रिया शुरू हो गई है और कुछ दिनों में सरकार इस बारे में डेटा उपलब्ध कराएगी.
रिश्तेदारों को मिलेगा जाति प्रमाण पत्र
जिन मराठों के रिकॉर्ड नहीं मिले उनके रिश्तेदारों को जाति प्रमाण पत्र देने की मांग को भी स्वीकार कर लिया है और जीआर में इसका जिक्र भी किया गया है. जरांगे ने कहा कि इसका लाभ अन्य जाति के लोगों को भी मिलेगा. साथ ही पिछले साल अंतरावली सराती सहित राज्य भर में कई मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामले वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
वहीं, मराठवाड़ा में रिकॉर्ड ढूंढने के लिए शिंदे समिति की समय सीमा को बढ़ाने की मांग को भी स्वीकार करते हुए समय सीमा को बढ़ा दिया गया है.