
मुंबई में बुधवार को विजयादशमी के मौके पर महाराष्ट्र की राजनीति के दो दिग्गजों ने दो अलग अलग रैलियां की. शिवसेना से अलग हुए सीएम एकनाथ शिंदे ने ब्रांदा के MMRDA ग्राउंड पर हुंकार भरी. तो उद्धव ठाकरे दादर के शिवाजी पार्क से शिवसैनिकों को संबोधित कर रहे थे. इन दोनों ही रैलियों में मंच पर दो कुर्सियां खाली रखी गई थीं. आखिर इन खाली कुर्सियों की क्या थी वजह? किनके लिए खाली रखी गईं थी ये कुर्सियां? इन कुर्सियों का राज हम आपको बताते हैं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जब MMRDA ग्राउंड पर पहुंचे तो यहां पर उन्होंने सबसे पहले एक खाली कुर्सी के सामने सिर नवाकर पूजा की. ये खाली कुर्सी शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के नाम से रखी गई थी. शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की कुर्सी पर श्रद्धांजलि दी. यहां पर 51 फीट की एक तलवार की 'शस्त्र पूजा' भी की गई थी. इसके लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या से एक महंत को बुलाया गया था. शिंदे खेमा दावा कर रहा है कि वे ही असली शिवसेना हैं और बाला साहेब ठाकरे के विचारों और आदर्श को आगे लेकर जाएंगे.
वहीं दादर में उद्धव ठाकरे की रैली में भी मंच पर एक नहीं बल्कि दो-दो कुर्सियां खाली रखी गई थीं. इनमें से एक कुर्सी शिवसेना नेता संजय राउत के लिए और दूसरी मनोहर जोशी के लिए थी. इन कुर्सियों के बगल में आदित्य ठाकरे और उद्धव ठाकरे की कुर्सी लगी हुई थी. बता दें कि उद्धव की रैलियों में पहले भी संजय राउत के नाम की खाली कुर्सी लगी रहती है. संजय राउत इस वक्त पात्रा चॉल घोटाले में जेल में हैं.
इससे पहले भी सितंबर में गोरेगांव में शिवसेना की एक रैली में मंच पर संजय राउत के नाम से एक कुर्सी खाली रखी गई थी. तब मंच पर पड़ी खाली कुर्सी की ओर इशारा करते हुए पूर्व सीएम उद्धव ने कहा था कि संजय राउत मौजूद नहीं हैं फिर भी उनके सम्मान में एक कुर्सी रखी गई है. वो हमारे दिलों में रहते हैं.
बता दें कि विजयादशमी के मौके पर रैली शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा शुरू की गई परंपरा है. इस बार इस रैली को शिवाजी पार्क में करने के लिए उद्धव को कोर्ट में जाना पड़ा था. तब जाकर उन्हें इजाजत मिली थी. दरअसल इसी स्थान पर एकनाथ शिंदे दशहरा के मौके पर अपनी रैली करना चाहते थे. लेकिन अदालत ने एकनाथ शिंदे को इस स्थान पर रैली की इजाजत देने से इनकार कर दिया.