
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के पांच जिलों यवतमाल, अमरावती, अकोला, नागपुर और भंडारा में कपास और सोयाबीन की फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करते समय विषबाधा होने से अबतक 30 किसानों की मौत की पुष्टि राज्य कृषि आयुक्तालय ने की है. इस मामले में राज्य कृषि विभाग ने 5 जिलों के 9 अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब मांगा है.
राज्य कृषि विभाग ने माना कि किसानों के बीमार होने के मामलों और इलाज के दौरान हो रही मौत के बाद भी पिछले 2 महीनों से संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कृषि विभाग द्वारा तय किए गए नियमों का पालन नहीं किया. पुणे स्थित राज्य कृषि मुख्यालय के मुताबिक कृषि विभाग, जिला परिषद के विभाग और संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा गया है.
नोटिस में पूछा गया है कि कीटनाशक के छिड़काव से बाधित किसानों के मौत के घटनाओं के बारे में उन्होंने अपने विभाग को जानकारी समय रहते क्यों नहीं दी. जवाब दस दिनों के भीतर राज्य कृषि सचिवालय को देने है. राज्य कृषि विभाग के अनुसार इनमें से किसी ने भी विषबाधा वाली बात सामने लाई होती तो जो बड़ी घटना टाली जा सकती थी. किसानों से समय रहते मिलकर और ट्रेनिंग देकर हल निकाला जा सकता था.
राज्य कृषि विभाग का कहना है कि इसके अलावा किसानों द्वारा भी बड़ी लापरवाही हुई है, ये भी बात सामने आई है. फसलों पर छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने, चश्मा, चेहरे पर मास्क, टोपी, एप्रॉन और जूते का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके बारे में अब वर्कशॉप और ट्रेनिंग बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है.
इन अधिकारियों से मांगा गया जवाब:
1) कृषि विकास अधिकारी
2) जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी
3) प्रभारी ज़िला आरोग्य अधिकारी
4) ज़िला शल्य चिकित्सक
5) प्राथमिक आरोग्य अधिकारी
6) पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी
7) प्रादेशिक वन अधिकारी
8) पशुशल्य चिकित्सक
9) गुट विकास अधिकारी
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कीटनाशकों से किसानों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. बीते एक माह से अब तक कीटनाशक के संपर्क में आने से 30 किसानों की मौत हो गई है. जबकि सैकड़ों किसान और मजदूर अस्पतालों में भर्ती हैं. किसानों के नेता देवेंद्र पवार ने बताया था कि कई किसानों ने छिड़काव के दौरान कीटनाशक सूंघ लिया. जिससे कई किसानों की अब तक मौत हो चुकी है. वहीं, कई किसान अपनी आखें खो चुके हैं. यह कीटनाशक इतना खतरनाक है कि इसकी चपेट में आने से तकरीबन 700 किसान अस्पताल में भर्ती हैं.