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पहले चेन्नई, फिर पुणे, अब मुंबई... अवैध होर्डिंग कब-कब बने जानलेवा, इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार?

मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फणसलकर ने बताया कि शहर में होर्डिंग ढहने की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. फणसलकर सोमवार देर शाम घटनास्थल पर भी पहुंचे और जानकारी ली. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

मुंबई के घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से बड़ा हादसा हो गया है. मुंबई के घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से बड़ा हादसा हो गया है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2024,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

मुंबई के घाटकोपर इलाके में होर्डिंग गिरने की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है. जबकि 74 लोग घायल हैं. सोमवार को मुंबई में आई धूल भरी आंधी और बेमौसम बारिश के दौरान घाटकोपर के एक पेट्रोल पंप पर 100 फीट लंबा अवैध होर्डिंग गिर गया था. हालांकि, अवैध होर्डिंग गिरने की यह कोई पहला घटना नहीं है. देश में लगभग हर शहर अवैध होर्डिंग से परेशान है. हादसों के बाद शासन और प्रशासन अलर्ट होता है. एक्शन के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद कार्रवाई ठहर जाती है और फिर शहरों में ये जानलेवा होर्डिंग का कारोबार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने लगता है. इन घटनाओं के बाद सरकारी विभाग भी अपने पल्ले झाड़ लेते हैं. सालभर पहले पुणे में भी अवैध होर्डिंग गिरने से पांच लोगों की जान चली गई थी.  

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फिलहाल, मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फणसलकर ने बताया कि शहर में होर्डिंग ढहने की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. फणसलकर सोमवार देर शाम घटनास्थल पर भी पहुंचे और जानकारी ली. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मेसर्स एगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक भावेश भिंडे और अन्य के खिलाफ पंत नगर पुलिस स्टेशन में गैर इरादतन हत्या और भारतीय दंड संहिता की अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

सीएम ने मुंबई में सभी होर्डिंग्स के ऑडिट का आदेश दिया

बृहन्मुंबई नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार सुबह भी छेड़ा नगर स्थित पेट्रोल पंप पर सर्च और रेस्क्यू अभियान चलाया गया. नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, होर्डिंग अवैध था और इसे लगाने के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी सोमवार देर शाम घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा, यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. सरकार इसकी जांच करेगी और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी. मैंने बीएमसी कमिश्नर से शहर में सभी होर्डिंग्स के ऑडिट करने के लिए भी कहा है. जो भी अवैध और खतरनाक पाए जाएंगे, उन्हें हटा दिया जाएगा. सीएम ने होर्डिंग गिरने से मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 5 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की. सवाल यह है कि किसी प्राकृतिक आपदा में मौत होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

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कौन होते हैं जिम्मेदार?

शहरों में होर्डिंग लगाने के लिए सरकार नगर निकाय की जवाबदेही तय करती है. नगर निकाय होर्डिंग के लिए एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपती है. ये एजेंसियां ही शहर में जगह और स्थान तय करती हैं. तय समय-सीमा के लिए विज्ञापन लगाने के लिए जगह मुहैया करवाती हैं. मानसून में भारी बारिश, तूफान के कारण होर्डिंग गिरने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे खतरनाक दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. लापरवाही पाए जाने पर सरकार एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट कर सकती है और उनका लाइसेंस रद्द कर सकती है. 

अगर होर्डिंग गिरने से जनहानि होती है तो नगर निगम या फिर होर्डिंग लगाने वाली एजेंसी के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. सरकार की तरफ से भी मुआवजा दिया जा सकता है. पीड़ित परिवार कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है और निकाय या एजेंसी को अवैध होर्डिंग या गलत होर्डिंग लगाने के लिए दोषी पाया जाता है तो कोर्ट मुआवजा के लिए आदेश दे सकती है. 

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होर्डिंग से नागरिकों को क्यों होती है परेशानी?

अवैध बैनर और होर्डिंग्स शहरों के अधिकांश चौराहों, सिग्नलों और जंक्शनों पर लगाए जाते हैं. यही लोगों की सबसे बड़ी मुसीबत बनते हैं. दरअसल, होर्डिंग लगने के बाद सड़कें सिकुड़ जाती हैं और आसपास मूवमेंट भी साफ नहीं दिखाई देता है. सड़क पर चलने वाले लोगों को परेशानी होती है. ट्रैफिक में भी बाधा उत्पन्न होती है. कुछ मामलों में यह जानलेवा भी साबित होते हैं. अवैध पोस्टर-बैनर और होर्डिंग लोगों और दुकानदारों के लिए बहुत परेशानी पैदा करते हैं. कई बार तो बैनर दुकान के एंट्री गेट को ढक देते हैं. चौक में फ्लेक्स से सड़क ढक जाती है और दुर्घटनाएं होती हैं. इसे महीनों तक नहीं हटाया जाता है. यह कभी ना खत्म होने वाली समस्या बन जाती है. चूंकि, होर्डिंग-पोस्टर अक्सर अनावश्यक मलबे का कारण बनते हैं. रखरखाव की कमी के कारण लगातार टूट-फूट होती रहती है. यह चौराहों से लेकर संकरी गलियों तक समस्या देखी जाती है. होर्डिंग्स शहर की सुंदरता को भी बिगाड़ते हैं. 

समस्या से कैसे पा सकते हैं निजात?

शहरों में नागरिकों की आम राय होती है कि सरकारों को सिर्फ सीमित पोस्टरों के लिए एक विशिष्ट स्थान आवंटित करना चाहिए. इसके अलावा, कंपनियों और विज्ञापन एजेंसियों को प्रचार के लिए सोशल मीडिया का भी प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए. सरकार को शहरी जीवन पर इसके प्रभाव को सीमित करने के लिए रणनीतिक योजना बनानी चाहिए. सार्वजनिक जीवन, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए एलईडी सेट-अप के प्लान पर भी काम करना चाहिए. पोस्टर लगाने के सदियों पुराने तरीकों को बंद किया जाना चाहिए.

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2023 में भी पुणे में टूटकर गिरा था होर्डिंग

पुणे जिले के पिंपरी चिंचवाड़ में अप्रैल 2023 में बड़ा हादसा हुआ था. यहां रावल किवले इलाके में होर्डिंग बोर्ड गिर गया था, जिसकी चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गई थी. जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए थे. मरने वालों में चार महिलाएं और एक पुरुष शामिल था. आंधी चलने के कारण कुछ लोग लोहे के होर्डिंग के नीचे पंक्चर की दुकान में खड़े हो गए थे, तभी होर्डिंग उनके ऊपर जा गिरा. पुणे में आंधी के कारण कई अन्य इलाकों में होर्डिंग गिरने की घटनाएं सामने आती रही हैं.

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लखनऊ में मां-बेटी की चली गई थी जान

जून 2023 में लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेई (एकाना) क्रिकेट स्टेडियम में एक बड़े होर्डिंग के गिरने से हादसा हो गया था. ये होर्डिंग एक कार पर गिरने से एक महिला और उसकी बेटी की मौत हो गई थी और उनका ड्राइवर घायल हो गया था. लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों ने मां-बेटी को मृत घोषित कर दिया था. पुलिस ने बताया था कि बिलबोर्ड स्कॉर्पियो वाहन पर गिर गया था, जिसमें गाजीपुर थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर कॉलोनी की रहने वाली 38 वर्षीय प्रीति जग्गी और उनकी बेटी 15 वर्षीय एंजेल की मौत हो गई थी.

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6 साल पहले पुणे में क्या घटना हुई थी?

2018 में महाराष्ट्र् के पुणे में जूना बाजार के पास होर्डिंग फ्रेम गिरने से चार लोगों की मौत हो गई थी और सात लोग घायल हो गए थे. हादसे में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे. पुणे में शिवाजी नगर सबसे व्यस्त इलाकों में शुमार है. मामले में एक रेलवे इंजीनियर और एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने ठेकेदार, उप-ठेकेदार और अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था. हादसे से पांच साल पहले 2013 में पुणे नगर निगम ने रेलवे प्रशासन को एक पत्र भेजा था कि ये होर्डिंग्स अनाधिकृत और खतरनाक है. लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. यह होर्डिंग काफी कमजोर हो जाने के बाद रेलवे प्रशासन ने इसे तोड़ने का काम शुरू किया. इसी बीच, जब होर्डिंग को गैस कटर की मदद से नीचे की तरफ काटा जा रहा था तो वो सिग्नल पर रुके छह रिक्शा, एक कार और दो दोपहिया वाहनों पर गिर गया था.

5 साल पहले चेन्नई में क्या हुआ था?

घटना सितंबर 2019 की है. 23 साल की सुबाश्री स्कूटी से पल्लावरम-तोरईपक्कम रेडियल रोड से गुजर रही थीं. इसी दौरान उस पर अवैध होर्डिंग गिर गया. घटना में सुबाश्री स्कूटी के साथ नीचे गिर गई और दब गईं. चंद सेकंड में ही तेज रफ्तार आ रहे एक टैंकर ने स्कूटी को टक्कर मार दी. इस घटना में सुबाश्री के सिर पर गंभीर चोट आई, जिससे वो गंभीर रूप से घायल घायल हो गईं. बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई. सुबाश्री ने सिर पर हेल्मेट भी पहना रखा था. सुबाश्री सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं और चेन्नई के एक IT कंपनी में जॉब कर रही थीं. ये होर्डिंग ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) के स्थानीय नेता ने लगवाया था. इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने अपने पहले के फैसलों में होर्डिंग्स और कट-आउट पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे.

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अवैध होर्डिंग पर जताई थी नाराजगी

दिसंबर 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि मुंबई निवासी इनसे छुटकारा पाना चाहते हैं, क्योंकि ये महानगर को बदरंग करते हैं. कोर्ट का कहना था कि अगर ऐसे होर्डिंग और उन्हें लगाने वाले लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती है तो मुंबई बदरंग करने वाले ऐसे साइनबोर्ड से मुक्त हो जाएगा. होर्डिंग और बैनर ना सिर्फ शहर को बदनाम करते हैं, बल्कि बाधाएं भी पैदा करते हैं और कभी-कभी खतरनाक भी होते हैं. कोर्ट ने पूछा था, क्या ऐसे मामलों से निपटने के दौरान कानून लागू करने वाली एजेंसियों का आदेश लागू होगा या उनका, जो लोग कानून का पालन नहीं करते हैं. बेंच ने सभी नगर निकायों को अवैध होर्डिंग और बैनर के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. बेंच का कहना था कि सरकार सामान्य आदेशों का भी पालन नहीं कर पा रही है. अप्रैल 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध होर्डिंग्स पर साफ कहा था, सार्वजनिक स्थान का इस्तेमाल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट का कहना था कि किसी भी राजनीतिक, धार्मिक या व्यावसायिक संगठन को अपने निजी लाभ के लिए सड़कों और फुटपाथों पर होर्डिंग्स लगाने के लिए सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. बेंच पूरे महाराष्ट्र में अवैध होर्डिंग्स से संबंधित जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अवैध होर्डिंग और बैनर लगाने से पैदल चलने वालों को खतरा हो सकता है.

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