Advertisement

'महाराष्ट्र में प्रोविजनल और फाइनल मतदान आंकड़ों का अंतर चिंताजनक', बोले पूर्व CEC कुरैशी

मतदान का रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कुरैशी ने कहा, "यह निश्चित रूप से मुझे चिंतित करता है. ये आंकड़े रियल टाइम में अपडेट किए जाते हैं. जब हम वोट देने जाते हैं, तो फॉर्म 17ए होता है और पीठासीन अधिकारी हमारी उपस्थिति दर्ज करते हैं.

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) एसवाई कुरैशी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनंतिम (Provisional) मतदाता मतदान के आंकड़ों और अंतिम (Final) आंकड़ों के बीच सामने आए व्यापक अंतर पर चिंता जाहिर की है. महाराष्ट्र में, जहां 20 नवंबर को मतदान हुआ था, शाम 5 बजे मतदान का आंकड़ा 55% था. अगले दिन जारी अंतिम मतदाता मतदान में यह 67% तक पहुंच गया - जो लगभग तीन दशकों में सबसे अधिक था.

Advertisement

'इंडिया टुडे' से बात करते हुए 2010-2012 के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त रहे एस वाई कुरैशी ने कहा कि मतदाता मतदान के आंकड़े रियल टाइम में दर्ज किए जाते हैं और इसमें इतना बड़ा अंतर "चिंताजनक" है.

मतदान का रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कुरैशी ने कहा, "यह निश्चित रूप से मुझे चिंतित करता है. ये आंकड़े रियल टाइम में अपडेट किए जाते हैं. जब हम वोट देने जाते हैं, तो फॉर्म 17ए होता है और पीठासीन अधिकारी हमारी उपस्थिति दर्ज करते हैं. दिन के अंत में, फॉर्म 17सी भरा जाता है जिसमें दिन भर की पूरी घटना दर्ज होती है. इसे भरने और उम्मीदवारों के एजेंटों के हस्ताक्षर लेने के बाद ही पीठासीन अधिकारी घर जाते हैं."

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र: 2019 की तुलना में 2024 में बंपर वोटिंग, इन छह सीटों पर बढ़ा वोटिंग प्रतिशत

Advertisement

कुरैशी ने जाहिर की चिंता

फॉर्म 17सी में प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों की संख्या दर्ज होती है. कुरैशी ने आगे कहा, "यह उसी दिन तैयार किया गया रियल टाइम का डेटा है. फिर अगले दिन डेटा कैसे बदल सकता है, यह मेरी समझ से परे है."

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि इस मुद्दे का जवाब चुनाव आयोग को देना चाहिए और उसे स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने कहा, "जिस तरह से देश भर में संदेह फैल रहा है, अगर यह हर किसी के दिमाग में बैठ जाए, तो पूरी व्यवस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकेगा."

कोर्ट खारिज कर चुका है याचिका

मई 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्ष ने भी इसी तरह की चिंता जताई थी, जिसमें शुरुआती और अंतिम मतदान के आंकड़ों में 5-6% की विसंगतियों का हवाला दिया गया था. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने प्रत्येक मतदान चरण के 48 घंटे के भीतर मतदान केंद्रवार मतदाता मतदान डेटा जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने व्यावहारिक चुनौतियों का हवाला देते हुए इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. चुनाव आयोग ने यह भी तर्क दिया था कि इस तरह के खुलासे से तार्किक मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: फैक्ट चेक: ईवीएम के खिलाफ उमड़े जनसैलाब का ये वीडियो महाराष्ट्र का नहीं है, पूरी कहानी ये है

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement