
महाराष्ट्र में बीते कुछ समय से चल रही सियासी हलचल ने राज्य की राजनीति को भी बदल कर रख दिया है. शिवसेना के चुनाव चिन्ह को लेकर एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच जारी रार से महाराष्ट्र की राजनीति और गरमा गई है. ठाकरे गुट सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहा है तो वहीं उद्धव बीजेपी, पीएम मोदी और अमित शाह पर हमलावर हैं. इसी बीच राज्य के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आजतक से ख़ास बातचीत की है, और महाराष्ट्र के राजनीतिक हालातों पर खुलकर बात की है.
राज्यपाल के पद से इस्तीफे के बाद पहली बार आजतक से बात करते हुए कोश्यारी ने कहा कि यह मेरे लिए सम्मान की बात थी कि मैं तीन साल, चार महीने महाराष्ट्र जैसे एक बड़े राज्य की सेवा कर सका. मैं संतों की इस भूमि का सम्मान करता हूं.
उन्होंने कहा कि राजनीति हमेशा दो और दो चार नहीं होती, यह कभी-कभी दो और दो पांच भी हो जाती है. हम जहां भी जाते हैं अच्छे की उम्मीद करते हैं और सबसे बुरे के लिए तैयार रहते हैं. महाराष्ट्र में कोश्यारी को लेकर होने वाली कंट्रोवर्सी पर उन्होंने कहा कि आपको प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी मिलेंगे जो मुझे प्यार करते हैं.
अलसुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ और कंट्रोवर्सी
अचानक एक अलसुबह देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री शपथ ले लेना जब सबसे ज्यादा चर्चा में आया तो तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी की भूमिका पर भी सवाल उठे, इस पर कोश्यारी ने कहा कि राजनीति तो ऐसी चीज़ है जहां पल भर में काम हो जाता है, रात की बात ही छोड़िये. यहां भूकंप भी सेकेंड्स में आ जाता है.
उन्होंने कहा कि अगर कोई बहुमत वाली पार्टी गठबंधन में किसी पार्टी के साथ विधिवत हस्ताक्षरित कागजात के साथ सरकार बनाने का दावा करने के लिए मेरे पास आती है, तो आप मुझसे क्या उम्मीद करते हैं? ऐसे में हमने दूसरे पक्ष को बहुमत साबित करने के लिए भी समय दिया था. लेकिन जब वे बहुमत सिद्ध नहीं कर सके तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
अदालत के निर्देश का पालन किया, मेरी भूमिका कहां: कोश्यारी
क्या इस सब गतिविधियों को लेकर उनपर कोई दबाव था? इस सवाल पर कोश्यारी ने कहा कि मैं किसी दबाव में नहीं था. कोई समय मांगेगा तो मैं समय दूंगा. अगर अदालत किसी काम को जल्दी करने के लिए निर्देश दिए थे तो मैंने अदालत के आदेशों का पालन किया. इन सब में मेरी भूमिका कहां आती है.
मेरी दक्षता के लिए तो मुझे बधाई दी जानी चाहिए, लेकिन मीडिया ने हमेशा मेरी आलोचना की. मैं संवैधानिक पद पर होने के कारण जवाब नहीं दे सका. ऐसे में मैं पूछता हूं कि क्या राज्यपाल सरकारी अधिकारियों से बातचीत नहीं कर सकते? क्या यह प्रोटोकॉल के तहत नहीं आता है? अगर लोग अपनी समस्या लेकर मेरे पास आते हैं तो क्या मुझे उनसे बात नहीं करनी चाहिए? कोश्यारी ने कहा कि राजभवन सरकार के अधीन नहीं है. राजभवन में सभी दलों के लोग आ सकते हैं.
उद्धव संत जैसे व्यक्ति हैं: कोश्यारी
वहीं उद्धव ठाकरे को लेकर कोश्यारी ने कहा कि वो एक संत जैसे व्यक्ति हैं. वह राजनीति नहीं समझते हैं और गलत प्रभाव में आ गए. पता नहीं उनके सलाहकार कौन थे.
इसी बीच कोश्यारी ने कहा कि मैं आदित्य ठाकरे को अपने बेटे की तरह प्यार करता हूं. जब उन्होंने बहुमत का दावा किया तो मैंने उनसे लिखित में देने को कहा. वह समर्थन के लिए दिल्ली फोन करते रहे, लेकिन दुर्भाग्य से कोई जवाब नहीं मिला. जब उन्हें वापस लौटना पड़ा तो मुझे दुख हुआ.
पूर्व राज्यपाल बोले कि जब महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई तो मैंने शिवसेना से पूछा कि तुम्हारा दूल्हा कहां है? वे बिना दूल्हे के शादी करना चाहते थे. क्या ऐसा संभव है? मैंने वरिष्ठ नेता होने के नाते प्रफुल्ल पटेल से पूछा भी कि क्या यह सही है? मैंने छगन भुजबल और शरद पवार से भी बात की. बहुमत साबित करने के लिए वे एक लिखित पत्र तक नहीं दे सके. वे केवल यह कहते रहे कि वे एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.
शिवाजी महाराज के विवाद पर क्या कहा?
कोश्यारी ने कहा कि मैंने रामदास को शिवाजी महाराज का गुरु बताते हुए जो बयान दिया था, उसके बारे में मैंने कई पढ़े-लिखे लोगों और नौकरशाहों से सलाह ली थी. सबने इसे सही माना था. हालांकि, अगर मेरा कथन गलत था, तो मैं इसे वापस लूंगा और अपने आप को सही करूंगा. मैं सर्वज्ञानी नहीं हूं. शिवाजी महाराज सिर्फ एक राज्य के नेता नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं.