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मुंबई मेट्रो से जुड़े कानूनी विवाद में नया मोड़, विदेशी फर्म सिस्ट्रा ने MMRDA के खिलाफ याचिका वापस ली

मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट्स से संबंधित मामले में फ्रेंच कंपनी सिस्ट्रा ने अपनी याचिका वापस ले ली है. एमएमआरडीए को बड़ी राहत मिली है. बीते महीने ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएमआरडीए को निर्देश दिया था कि सिस्ट्रा के साथ मेट्रो प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार करना होगा.

बॉम्बे हाईकोर्ट (पीटीआई) बॉम्बे हाईकोर्ट (पीटीआई)
विद्या
  • मुंबई,
  • 10 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

फ्रेंच कंपनी सिस्ट्रा एमवीए कंसल्टिंग (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ दायर याचिका वापस ले लिया है. कंपनी ने मुंबई मेट्रो से जुड़े प्रोजेक्ट्स में एमएमआरडीए द्वारा समय विस्तार देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी थी.

बॉम्बे हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान सिस्ट्रा के वकील वेंकटेश ढोंड ने बताया कि उनकी कंपनी (सिस्ट्रा) ने याचिका वापस लेने का फैसला लिया है. जिसपर महाराष्ट्र सरकार के वकील डॉ. बीरेंद्र सराफ ने कहा कि हमने उनसे याचिका वापस लेने को नहीं कहा है. जिसपर वेंकटेश बोले- हमने ऐसा नहीं कहा, हमें बारिकयों को समझना होगा.

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इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने सिस्ट्रा कंपनी को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

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एमएमआरडीए द्वारा मई 2021 में मुंबई मेट्रो के प्रोजेक्ट्स के लिए जनरल सलाहकार नियुक्त किया गया था. जिसके बाद सिस्ट्रा मुंबई मेट्रो की कई लाइनों के लिए जनरल कंसल्टेंट और कुछ अन्य लाइनों (2ए, 7) के लिए डिजाइन प्रोवाइडर के रूप में काम कर रही थी. 

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बीते महीने बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएमआरडीए सिस्ट्रा के साथ की गई कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति को खारिज कर दिया था. अदालत ने इसे मनमाना और बिना उचित कारण करार देते हुए एमएमआरडीए को निर्देश दिया कि वह नई सुनवाई के बाद दोबारा फैसला लें.

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ऐसा कहा जा रहा है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में फ्रांसीसी दूतावास शामिल हो गई और महाराष्ट्र सरकार और एमएमआरडीए से बातचीत की. सिस्ट्रा नहीं चाहती कि जब केस हाईकोर्ट में चल रहा हो तो वह एमएमआरडीए के खिलाफ खड़े दिखे.

बता दें कि 3 जनवरी 2025 को एमएमआरडीए ने सिस्ट्रा की सेवाएं समाप्त करने का नोटिस जारी किया था, जबकि कॉन्ट्रैक्ट मई 2021 में 42 महीने के लिए दिया गया था. जिसके बाद पूरा मामला कोर्ट पहुंच गया.

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