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VIDEO: न सड़क, न एंबुलेंस... दो बच्चों के शव लेकर 15KM पैदल चले मां-बाप

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से एक वीडियो सामने आया है. इसमें एक दंपति अपने बच्चों के शवों को कंधे पर लेकर कीचड़ भरे सड़क पर पैदल चलते दिखाई दे रहे हैं. बताया जाता है कि अस्पताल में एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण माता-पिता को पैदल चलने पर मजबूर होना पड़ा.

बच्चों के शव को कंधे पर लेकर पैदल चलते माता-पिता बच्चों के शव को कंधे पर लेकर पैदल चलते माता-पिता
व्येंकटेश दुडमवार
  • गढ़चिरौली,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

गढ़चिरौली में सही समय पर इलाज नहीं हो पाने के कारण दो बच्चों की मौत हो गई. बच्चों के माता-पिता 15 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचे थे. इतनी देर में बच्चों की मौत हो चुकी थी. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद फिर माता-पिता दोनों बच्चों के शवों को अपने-अपने कंधे पर रखकर कीचड़ भरे सड़क पर पैदल चलकर घर पहुंचे. 

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बुखार के इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय पुजारी के पास लेकर गए दो नन्हे भाइयों की कुछ ही घंटों में संदिग्ध परिस्थितियों मौत हो जाने से गढ़चिरौली में हड़कंप मच गया है. पुजारी के पास से निकलकर बच्चों को लेकर माता-पिता अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इसके बाद कोई एंबुलेंस नहीं मिलने पर माता-पिता शवों को कंधे पर रखकर भारी कदमों से 15 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे. 

15 किलोमीटर पैदल चलने का वीडियो आया है सामने
 4 सितंबर को अहेरी तालुका के पत्तीगांव की इस घटना का फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोग आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं. उन मृत नन्हे भाईयों के नाम बाजीराव रमेश वेलादी (6) और दिनेश रमेश वेलादी (साढ़े तीन वर्ष) हैं. दोनों पत्तीगांव के रहने वाले थे. 4 सितम्बर को बाजीराव को बुखार आया. बाद में दिनेश भी बीमार पड़ गया. 

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पुजारी के पास ले गए थे इलाज के लिए
उनके माता-पिता दोनों को इलाज के लिए पत्तीगांव इलाके में एक पुजारी के पास ले गए. वहां उन्हें जड़ी-बूटियां दी गईं. कुछ देर बाद दोनों की हालत और बिगड़ गई. पहले बाजीराव की मृत्यु हो गई, फिर दोपहर दिनेश ने दम तोड़ दिया. जिमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र से पत्तीगांव तक कोई पक्की सड़क नहीं है. 

कीचड़ भरे सड़कों पर 15 किलोमीटर तक शवों के लेकर चले माता-पिता
सड़क नहीं होने की वजह से दोनों बच्चों को माता-पिता नाले के पानी और कीचड़ के बीच अपने कंधों पर लेकर जिमलगट्टा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. वहां चिकित्सा अधिकारियों ने जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया. स्वास्थ्य केंद्र में कोई एम्बुलेंस नहीं था. इसलिए देचलीपेठा से एम्बुलेंस बुलाने की तैयारी की गई, लेकिन दोनों बच्चों को खो चुके वेलादी दंपति ने मदद लेने से इनकार कर दिया.

नालियों और कीचड़ के कारण गांव तक गाड़ी का जाना मुश्किल
इसके बाद दोनों शवों को अपने कंधों पर लादकर पत्तीगांव चल पड़े. नालियों और कीचड़ भरी सड़क के कारण यहां से वाहन नहीं निकल पाते थे, इसलिए उन्हें पैदल ही चलना पड़ा. गढ़चिरौली जिले में यह मामला नया नहीं है. इसके पहले भामरागड़, एटापल्ली और अहेरी तहसील के दूरदराज के गांव में ऐसे मामले सामने आये थे. 

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ऐसे कई मामले आ चुके हैं सामने
इन तहसील के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा नदारद हैं. कहीं एंबुलेंस, तो कहीं डॉक्टर नहीं हैं, तो कहीं ग्रामीण इलाकों में सड़क ही नहीं हैं. राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जिले के पालक मंत्री हैं. ऐसी कई मामले सामने आने पर भी उनकी और से किसी बड़े कदम उठाने का  बस इंतजार हो रहा है. राज्य के दबंग मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम भी यहीं से विधायक हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं.

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