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PM यूक्रेन में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मणिपुर का क्या होगा: गौरव गोगोई

इंडिया टुडे मुंबई कॉन्क्लेव सत्र में बोलते हुए गोगोई ने कहा कि मणिपुर के जातीय संघर्ष को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री की सीधी भागीदारी की जरूरत है, जो पिछले साल मई से चल रहा है. हाल के दिनों में और पिछले कुछ दिनों में, हम सभी ने बात की है कि प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क गए हैं और रूस और यूक्रेन के बीच समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं. वह अमेरिकी राष्ट्रपति, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बात कर रहे हैं.

इंडिया टुडे मुंबई कॉन्क्लेव 2024 में कांग्रेस नेता गौरव गोगोई। (फोटो: हार्दिक छाबड़ा/इंडिया टुडे) इंडिया टुडे मुंबई कॉन्क्लेव 2024 में कांग्रेस नेता गौरव गोगोई। (फोटो: हार्दिक छाबड़ा/इंडिया टुडे)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 26 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:03 PM IST

मुबंई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के उपनेता गौरव गोगोई ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी और केंद्र की बीजेपी सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करने और मणिपुर में चल रहे असंतोष की अनदेखी करने पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने सवाल उठाया कि जब पीएम मोदी रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने के लिए राजनयिक प्रयास कर रहे हैं, तो वही ताकत मणिपुर के जातीय संघर्ष को सुलझाने में क्यों नहीं लगाई जा रही है?

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इंडिया टुडे मुंबई कॉन्क्लेव सत्र में बोलते हुए गोगोई ने कहा कि मणिपुर के जातीय संघर्ष को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री की सीधी भागीदारी की जरूरत है, जो पिछले साल मई से चल रहा है. हाल के दिनों में और पिछले कुछ दिनों में, हम सभी ने बात की है कि प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क गए हैं और रूस और यूक्रेन के बीच समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं. वह अमेरिकी राष्ट्रपति, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बात कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मणिपुर में मेइतेई और कुकी समुदायों से बात कर उन्हें एक साथ आने के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं?" 

उन्होंने पीएम मोदी की आलोचना की कि वह दुनिया भर में शांति स्थापित करने के लिए यात्रा कर रहे हैं, जबकि मणिपुर की यात्रा कर वहां की हिंसा को संबोधित नहीं कर रहे हैं. गोगोई ने क्षेत्र में जातीय सद्भाव के टूटने पर अफसोस जताया और याद किया कि उन्होंने असम में राजनीति के सकारात्मक योगदान को देखा था. उन्होंने कहा, “यह मेरा दिल तोड़ देता है कि यहां पूर्वोत्तर में हमने ऐसा माहौल बना दिया है, जहां लोग एक-दूसरे के साथ नहीं रह सकते और उनमें घृणा है.”

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पीएम से नेतृत्व की मांग

गोगोई ने आगे जोर दिया कि मणिपुर में शांति बहाल करने की जिम्मेदारी दूसरों को नहीं सौंपी जा सकती. उन्होंने आग्रह किया, "प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन में क्या कर रहे हैं? उन्हें सक्रिय प्रधानमंत्री होने की जरूरत है. शांति लाने का मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री या किसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को नहीं सौंपा जा सकता. पीएम को शांति दूत, राज्यकर्ता और एकता स्थापित करने वाले की भूमिका निभानी चाहिए." 

गोगोई ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग इस हस्तक्षेप का स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पूर्वोत्तर के लोग उनका धन्यवाद करेंगे. अगर वह मणिपुर में शांति लाते हैं और मैतेई और कुकी समुदायों के बीच समझौता और सुलह का रास्ता खोजते हैं तो मैं उनका धन्यवाद करूंगा."

पूर्वोत्तर का भू-राजनीतिक महत्व

विस्तृत भू-राजनीतिक संदर्भ पर बात करते हुए गौरव गोगोई ने पूर्वोत्तर की राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में समस्याओं का इस क्षेत्र पर सीधा असर पड़ता है. उन्होंने कहा, "पूर्वोत्तर हमारी एकता और अखंडता के लिए ही नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है."

उन्होंने प्रधानमंत्री की वैश्विक गतिविधियों के साथ-साथ भारत के पड़ोसियों जैसे भूटान, नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से संबंधित विदेशी नीतियों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया.

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राजनीतिक ध्रुवीकरण

भारतीय राजनीति में बढ़ते ध्रुवीकरण के बारे में पूछे जाने पर गोगोई ने चेतावनी दी कि यदि वास्तविक मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो इसका राजनीतिक परिणाम हो सकता है, जैसा कि श्रीलंका में हुआ था. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "यदि कांग्रेस और बीजेपी और प्रमुख राजनीतिक दल लड़ते रहे और समाधान नहीं निकाला, तो लोग हमें दंडित करेंगे."

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