
मुंबई के घाटकोपर इलाके में 13 मई को विशालकाय बिलबोर्ड गिर गया था, जिसकी चपेट में आकर 16 लोगों की मौत हो गई थी और 74 अन्य घायल हो गए थे. एक तरफ जहां पीड़ित परिवार सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस इस मामले में एक भी आरोपी को नहीं पकड़ पाई है. इस हादसे में जान गंवाने वाले 16 लोगों में से एक सतीश वीर सिंह भी थे.
सतीश मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले थे और मुंबई से सटे नाला सोपारा में अपने परिवार के साथ रहते थे. उनके परिवार में पत्नी के अलावा 4 बच्चे हैं, 1 लड़की और 3 लड़के. सतीश 30 वर्षों से मुंबई में टैक्सी चलाते थे. हादसे वाले दिन वह सवारी को छोड़ने के लिए कुर्ला आए थे. यहां से वापस उनको ठाणे होते हुए अपने घर नाला सोपारा जाना था. वह उसी फ्यूल स्टेशन पर अपनी टैक्सी में CNG भरवाने के लिए रुके थे, जिस पर 120X120 फीट का बिलबोर्ड गिरा.
मृतक सतीश के भांजे सुरेंदर सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, 'हमलोग हर दिन कम से कम 6 से 7 बार फोन पर बात करते थे. उस दिन भी करीब साढ़े 3 बजे बात हुई थी. सतीश मामा ने कहा था कि मैं कुर्ला से सवारी छोड़कर निकला हूं, लेकिन मौसम बहुत खराब लग रहा है. पूरा आसमान बादलों से काला हो गया है. मैंने उनसे कहा कि संभालकर गाड़ी चलाइएगा. करीब 1 घंटे बाद मैंने मामा को फिर फोन किया. रिंग पूरा जाने के बाद भी फोन रिसीव नहीं हुआ.'
सुरेंदर के मुताबिक, 'मैंने कई कॉल किए. लेकिन सतीश मामा का मोबाइल कभी बंद तो कभी नॉट रिचेबल बता रहा था. उसी दौरान मामी का भी फोन आया कि तुम्हारे मामाजी का फोन नहीं लग रहा है. फिर हमलोगों ने टैक्सी ड्राइवरों के वाट्सऐप ग्रुप में मैसेज किया. लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था. तब तक घाटकोपर के पंत नगर में हुए बिलबोर्ड हादसे की जानकारी मिली. फिर मैं और मामा जी के दामाद उसी पेट्रोल पंप पर पहुंचे जिस पर बिलबोर्ड गिरा था.'
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सुरेंदर ने बताया कि पुलिस ने हादसा स्थल पर चारों तरफ से बैरिकेडिंग कर रखी थी. काफी रिक्वेस्ट करने के बाद हम लोगों को अंदर जाने दिया गया. कुछ देर बाद पुलिस ने हम लोगों से कहा कि राजावाड़ी अस्पताल में जाकर देखो. हमलोग जब वहां पहुंचे तो पता चला कि बिलबोर्ड हादसे में सतीश मामा की मौत हो गई है. सुरेंदर के मुताबिक सरकार की तरफ से परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआबजा देने को कहा गया, लेकिन आज के जमाने में इतने में क्या होता है.
सतीश के तीनों बेटे बेरोजगार हैं. सतीश के भांजे सुरेंदर ने कहा कि कम से कम सरकार को तीनों बेटों में से किसी को नौकरी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नियमों का उल्लंघन करके इतना बड़ा बिलबोर्ड लगाया, उनपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. सुरेंदर ने कहा, 'मुंबई में कई जगहों पर ऐसे बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं, लेकिन कोई नहीं गिरा. यहां पर होर्डिंग का पिलर काफी कमजोर था, किसी और की लापरवाही के चलते आज मेरे मामा इस दुनिया में नहीं हैं.'
ठाणे के टैक्सी ड्राइवर पुर्णेश भी हुए हादसे के शिकार
बिलबोर्ड हादसे में मरने वालों में से एक पुर्णेश बालकृष्ण जाधव भी थे. वह ठाणे में रहते थे और टैक्सी चलाते थे. घटना वाले दिन वह पैसेंजर को छोड़ने दादर गए थे. उनको वापस घर जाना था. करीब 4 बजे उन्होंने अपनी पत्नी को फोन किया और कहा कि गाड़ी में CNG भरवा रहा हूं. मौसम खराब है... तूफान आने वाला है, कहीं जाना नहीं. बच्चों को भी घर में ही रहने को बोलो. कुछ देर बाद TV पर हादसे की न्यूज चलने लगी. परिवार वालों ने पुर्णेश को कॉल किया तो उनका फोन बंद था. उनकी पत्नी ने विशाल गायकवाड़ को फोन किया, जो रिश्ते में उनके चचेरे भाई लगते हैं.
विशाल गायकवाड़ तुरंत हादसे वाली जगह पर पहुंचे. रात करीब ढाई बजे उनको बताया गया कि इस हादसे में पुर्णेश की मौत हो गई है. पुर्णेश अपने पीछे पत्नी के अलावा 15 और 19 साल के दो बच्चों को छोड़ गए. परिवार वालों को इस बात की नाराजगी है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जो खुद ठाणे से आते हैं... वह उनसे मिलने नहीं आए. सरकार की तरफ से 5 लाख के मुआवजे का ऐलान किया गया है, लेकिन पुर्णेश के परिजनों की मांग है कि कम से कम उनके एक लड़के को सरकारी नौकरी मिले.