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'पहले सोलापुर पहुंचे फिर अलग-अलग जगह के लिए निकल गए तीनों बेटे' गाजियाबाद धर्म परिवर्तन केस के मास्टरमाइंड शाहनवाज की मां

ऑनलाइन गेम के सहारे धर्म परिवर्तन कराने के मामले में पुलिस ने नया खुलासा किया है. हालांकि, इस केस का मास्टर माइंड शाहनवाज फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर है. उसके बारे में पुलिस को जानकारी मिली है. गाजियाबाद पुलिस मुंबई में डेरा जमाए हुए है.

ऑनलाइन गेम के जरिए धर्म परिवर्तन का केस (प्रतीकात्मक तस्वीर). ऑनलाइन गेम के जरिए धर्म परिवर्तन का केस (प्रतीकात्मक तस्वीर).
सौरभ वक्तानिया
  • मुंबई,
  • 09 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

ऑनलाइन गेम के जरिए धर्म परिवर्तन कराने के मामले में गाजियाबाद पुलिस ने मुंबई के रहने वाले आरोपी शाहनवाज की मां मुमताज खान का बयान दर्ज किया. आज भी पुलिस उसकी मां के बयान दर्ज करेगी. मुमताज को बुधवार दोपहर 12 बजे पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह पहले ठाणे डीसीपी जोन 1 कार्यालय गई फिर उसे मुंब्रा पुलिस स्टेशन लाया गया. इसके बाद बयान दर्ज किया गया.

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पुलिस सूत्रों ने बताया कि गाजियाबाद में मामला दर्ज होने के अगले दिन ही शाहनवाज अपने दो भाइयों और मां के साथ कार से सोलापुर के लिए रवाना हो गया था. सोलापुर पहुंचने पर शाहनवाज और उसका भाई दूसरे स्थान के लिए निकल गए थे. आरोपी की मां मुमताज ने पुलिस को बताया कि एक बेटा दिल्ली के रवाना हो गया था. दूसरे बेटे का फोन बंद आ रहा है. इस जानकारी पर गाजियाबाद पुलिस की टीम सोलापुर भी गई, लेकिन वहां टीम के हाथ कुछ नहीं लगा.

क्या है पूरा मामला बहला

फुसलाकर लालच देकर प्रलोभन देकर धर्म बदलवाने की साजिशों के बारे मे आपने बहुत सुना होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसी साजिश के बारे में बताएंगे जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. कैसे आपका नाबालिग बेटा ऑनलाइन गेम खेलते हुए धर्म परिवर्तन का शिकार हो सकता है. ऐसा ही मामला सामने आया गाजियाबाद में. मौलवी अब्दुल रहमान उर्फ नन्नी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिसने कविनगर क 17 साल के बच्चे का धर्म परिवर्तन करा दिया था, वो भी ऑनलाइन गेम के जरिये जाल में फंसाकर.

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कैसे खुला ये सारा मामला?

- ऑनलाइन धर्मांतरण का खुलासा तब हुआ, जब गाजियाबाद के एक शख्स ने मौलवी और एक अन्य व्यक्ति पर अपने बेटे का जबरन धर्मांतरण करवाने का आरोप लगाया.

- शख्स ने आरोप लगाया कि उसका ऑनलाइन गेम के जरिए मुंबई के रहने वाले बद्दो के संपर्क में आया था. इसके बाद उसके बेटे का इस्लाम की तरफ झुकाव होने लगा. उनके बेटे ने उन्हें बताया कि बद्दो के कहने पर उसने इस्लाम कबूल कर लिया है.

- पिता ने अपनी शिकायत में उस मस्जिद के मौलवी का नाम लिया था, जिस मस्जिद में उसका बेटा नमाज पढ़ने जाता था.

- ये खेल तब खुला जब हिंदू परिवार ने अपने बच्चे के धर्मांतरण की शिकायत पुलिस से की. परिवार को बच्चा नमाज पढ़ते मिला था. बच्चे ने कहा कि घर से निकालोगे तो मस्जिद में रह लूंगा. उसकी बातें सुनकर परिवार पुलिस के पास पहुंचा.

कैसे होता था ये सारा खेल?

- बहला-फुसलाकर बच्चों का धर्मांतरण करने का ये सारा खेल दो स्टेप में होता था. पहली स्टेप थी- बच्चों के साथ ऑनलाइन गेम खेलना. दूसरी स्टेप में बच्चों से ऐप के जरिए चैटिंग करना और इस्लाम के फायदे बताना.

- पहली स्टेप में होता ये था कि शॉर्ट हैंडलर हिंदू नामों से आईडी बनाते थे. फिर हिंदू बच्चों को 'Fortnite' खेलने के लिए उकसाते थे. असली खेल तब शुरू होता था जब बच्चा गेम हार जाता.

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- बच्चे को कहा जाता कि वो कुरान की आयत पढ़े तो जीत जाएगा. बच्चा आयत पढ़कर गेम खेलता तो साजिश के तहत उसे जितवा दिया जाता. इस तरह बच्चे का मुस्लिम धर्म की तरफ झुकाव बढ़ जाता. 

- इसके बाद दूसरी स्टेप शुरू होती. बच्चे से 'Discord' ऐप के जरिए चैटिंग की जाती. बच्चे का भरोसा जीता और उसको इस्लाम की जानकारी दी जाती. धीरे-धीरे बच्चे को जाकिर नाईक और तारिक जमील के वीडियो दिखाए जाते. उन्हें इस्लाम कबूलने के लिए बहकाया जाता.

गिरफ्तार मौलवी अब्दुल रहमान.

आखिरी स्टेप- एफिडेविट बनवाना

- जब बच्चे का इस्लाम की तरफ झुकाव बढ़ जाता और वो मुस्लिम बनने को तैयार हो जाता, तो आखिरी में उससे एक एफिडेविट बनवाया जाता. इस एफिडेविट में बच्चे से लिखवाया जाता कि वो अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर रहा है. 

मौलवी ने क्या बताया?

- इस मामले में चार दिन पहले पुलिस ने गाजियाबाद में संजय नगर की एक मस्जिद के मौलवी को गिरफ्तार किया है. मौलवी का नाम अब्दुल रहमान है.

- बताया जा रहा है कि पुलिस पूछताछ में मौलवी ने नाबालिग लड़कों के रेडिकलाइजेशन की बात कबूल की है. उसने खुलासा किया है कि वो गैर-मुस्लिम लड़कों को इस्लाम के बारे में जानकारी देता था.

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- अब्दुल ने बताया कि एक साल पहले इलाके के दो लड़कों से उसकी जान-पहचान हुई थी. दोनों लड़के उसकी बात से प्रभावित हो गए थे और मस्जिद में नमाज पढ़ने लगे थे.

पूरा प्लान क्या था?

- आशंका जताई जा रही है कि ऑनलाइन गेमिंग के जरिए देशभर में 300 से 400 बच्चों को निशाना बनाया गया है. 

- गाजियाबाद के मामले में जिस बद्दो का नाम सामने आया है, उसका असली नाम शाहनवाज बताया जा रहा है. शाहनवाज की तलाश में छापेमारी की जा रही है. उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है.

- पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी शाहनवाज धर्मांतरण के बाद बच्चों को दुबई के जरिए ले जाने की फिराक में था. पुलिस को मिली ग्रुप चैट से खुलासा हुआ है कि वो उन्हें फ्री में हवाई सफर से दुबई ले जाने वाला था.

- पुलिस अब इस बात की जांच भी कर रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि दुबई ले जाने का लालच देकर शाहनवाज नाबालिग बच्चों के कुछ और दोस्तों के धर्म परिवर्तन की साजिश तो नहीं रच रहा था?

आखिर में बात धर्मांतरण रोधी कानून की

- संविधान के तहत, देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है और वो अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को अपना सकते हैं. लेकिन किसी की इच्छा के खिलाफ या जबरन धर्मांतरण करवाना अपराध है.

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- जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर तो कोई कानून नहीं है. लेकिन कई राज्यों में इसे लेकर कानून है. उत्तर प्रदेश में भी योगी सरकार 2020 में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून लेकर आई थी.

- यूपी के धर्मांतरण रोधी कानून के तहत, बहला-फुसलाकर, जबरन, झूठ बोलकर या डरा-धमकाकर किसी का धर्मांतरण करवाने का दोषी पाए जाने पर एक से पांच साल तक की कैद और 15 हजार रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. एससी-एसटी के मामले में दो से 10 साल की जेल और 25 हजार रुपये की जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

धर्मांतरण मामले में पाकिस्तान एंगल

वहीं, अब इस मामले में पाकिस्तान का एंगल भी सामने आ गया है. पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान से संचालित यूथ क्लब नाम का यूट्यूब चैनल इन बच्चों को दिखाया जाता था. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी NCPCR ने केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को FORTNITE, DISCORD के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए कहा था. इसके साथ ही 10 दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट (एक्शन टेकन रिपोर्ट) मांगी है. NCPCR ने MeitY को जवाब दिया कि फोर्टनाइट और डिस्कॉर्ड के खिलाफ एक जांच शुरू कर दी गई है. इस पत्र के मिलने के 10 दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग के पास जमा कर दी जाएगी.

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(इनपुटः हिमांशु मिश्रा, अरविंद ओझा)

 

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