
महाराष्ट्र में सरकारी ठेकेदारों और इंजीनियरों ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. सार्वजनिक परियोजनाओं पर काम करने वाले ठेकेदारों और इंजीनियरों ने स्थानीय राजनेताओं की धमकियों, जबरन वसूली कॉल और गुंडागर्दी से सुरक्षा की मांग की है.
सरकार को लिखा पत्र
महाराष्ट्र स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (MSCA) और स्टेट इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने 3 फरवरी को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि पूरे राज्य में सरकारी परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में देरी हो रही है क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा विवाद पैदा कर विरोध किया जा रहा है. पत्र में यह भी कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों को लग रहा है कि ठेकेदारों को पूरी तरह से बचाना बंद कर दिया जाएगा, यह कोई समाधान नहीं है. पत्र में कहा गया है कि फरवरी के अंत तक राज्य में सभी काम बंद कर दिए जाएंगे.
इसमें कहा गया है, 'महाराष्ट्र का हर जिला इसी तरह के पैटर्न का सामना कर रहा है, जहां सत्ताधारी पक्ष के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और स्थानीय स्तर के राजनेता भी मौजूदा कार्यों को जबरदस्ती रोक रहे हैं, ठेकेदारों के खिलाफ शारीरिक हिंसा का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनसे पैसे वसूल रहे हैं.'
राज्य में चल रहे हैं एक लाख करोड़ के निर्माण कार्य
ठेकेदारों और इंजीनियरों ने कार्य स्थलों पर अपनी सुरक्षा के लिए एक कानून की मांग की है. दोनों एसोसिएशनों ने अपनी सुरक्षा के लिए उपाय नहीं किए जाने पर फरवरी के अंत से काम बंद करने की धमकी दी है. एमएससीए और एसईए दोनों के अध्यक्ष मिलिंद भोसले ने कहा कि अनुमान के मुताबिक, राज्य सरकार ने राज्य में एक लाख करोड़ रुपये तक के कार्यों के आदेश जारी किए हैं.
अनुमान के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के करीब 45,000 करोड़ रुपये के काम चल रहे हैं, इसमें सड़क निर्माण और अन्य काम शामिल हैं. जिला परिषदों के माध्यम से लगभग 11,000 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी गई है, जल संरक्षण विभाग से 3,500 करोड़ रुपये, सिंचाई विभाग से 2,500 करोड़ रुपये और पर्यटन विभाग से 2,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं.
स्थानीय राजनेता लगाते हैं अडंगा
पत्र में कहा गया है, 'स्थानीय सांसदों और विधायकों ने इन कार्यों को मंजूरी दे दी है, लेकिन स्थानीय राजनेताओं के विरोध के कारण इन परियोजनाओं को नुकसान हो रहा है और इनके कार्यान्वयन में देरी हो रही है. परियोजना में देरी के लिए ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाता है. राज्य प्रशासन को इस मुद्दे पर गौर करना चाहिए और इसे पारित करने के लिए कदम उठाना चाहिए. एक सख्त कानून ही ठेकेदारों के खिलाफ हिंसा को रोकेगा.'