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India Today Conclave Mumbai: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव कार्यक्रम में आदित्य ठाकरे ने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं. उन्होंने एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों पर जमकर निशाना साधा है. उनकी तरफ से उन्हें गद्दार बताया गया है, कहा गया है कि उन्होंने जनादेश चुराने का काम किया.
'हमारे पीएम से अच्छे रिश्ते, कभी निशाना नहीं साधा'
आदित्य ठाकरे की तरफ से एक बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना नहीं साधा गया. उन्होंने साफ कहा कि पीएम मोदी से उनके और उद्धव जी के अच्छे रिश्ते हैं. ये भी कहा गया कि जब महाराष्ट्र में उनकी सरकार थी, केंद्र सरकार के साथ अच्छे तालमेल के साथ काम किया गया था. आदित्य ने कहा कि आप देख रहे हैं कि महाराष्ट्र के हाथ से कितने प्रोजेक्ट निकल गए हैं. जब से राज्य में एक असंवैधानिक सरकार आई है, कोई भी निवेश नहीं करना चाहता है. ये इन लोगों की नाकामी है कि केंद्र से ये ठीक तालमेल नहीं बैठा पा रहे. लेकिन जब हम सरकार में थे, कहने को बीजेपी के साथ नहीं थे, लेकिन केंद्र के साथ तालमेल बनाया गया, हमे 6 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश मिला.
इसके बाद आदित्य से जब पूछा गया कि 2021 में उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से दिल्ली जा मुलाकात की थी. उनकी तरफ से फिर संकेत दिया गया था कि वे बीजेपी के साथ जा सकते हैं, इस पर आदित्य ने सिर्फ इतना कहा कि पीएम से किसी की कोई दुश्मनी नहीं है. वे कहते हैं कि आप हर घटना को राजनीति से क्यों जोड़ देते हैं. माना उद्धव जी दिल्ली गए थे, उन्होंने पीएम मोदी से बात भी की. लेकिन उन्होंने वो मुलाकात राज्य के सीएम के तौर पर उनसे की थी. लोगों की समस्याएं थीं, उनकी कुछ उम्मीदें थीं, तो उन्हें पूरा करने के लिए पीएम से मिला गया था. वैसे भी हमारी तरफ से कभी भी प्रधानमंत्री को लेकर कोई अपशब्द नहीं कहे गए. हम उनका सम्मान करते हैं.
'देवेंद्र फडणवीस की इस सरकार में हुई फजीहत'
आदित्य ठाकरे ने कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस को लेकर भी बड़ा बयान दिया. उनके मुताबिक देवेंद्र फडणवीस काफी अनुभवी शख्स हैं, उनके साथ काम किया गया है, लेकिन अभी तक इस सरकार के साथ जुड़े हुए हैं, ये देख वे हैरान हैं. आदित्य कहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस इस सरकार के साथ अब तक कैसे जुड़े हुए हैं, उनकी जब इस तरह से बदनामी होती है, उन्हें ट्रोल किया जाता है, तो मुझे बुरा लगता है. मैं ये नहीं देखना चाहता हूं.
कार्यक्रम में एक समय ऐसा भी आया जब आदित्य ने खुद कहा कि अगर आज बीजेपी उनके साथ होती तो देवेंद्र फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री होते. इस बारे में आदित्य ने कहा कि ये सभी जानते हैं कि बीजेपी और शिवसेना के बीच में एक करार हुआ था. चुनाव से पहले तय हो गया था कि अगर सरकार बनी तो ढाई साल हमारा मुख्यमंत्री और ढाई साल उनका मुख्यमंत्री रहता. उस लिहाज से अब ढाई साल पूरे हो गए हैं, तो देवेंद्र फडणवीस सीएम होते. लेकिन शायद उन्हें कुछ और मंजूर था.
शिंदे गुट को क्या बड़ी चुनौती दी गई?
अब बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर तो आदित्य ने वार नहीं किया, लेकिन एकनाथ शिंदे और उनके गुट को कई मौकों पर गद्दार कहा. उनकी तरफ से चुनौती भी दी गई शिंदे गुट के सभी विधायक इस्तीफा दे दें, वे खुद भी इस्तीफा दे देंगे, फिर दोबारा चुनाव करवाए जाएं और असलियत सभी के सामने आ जाएगी. आदित्य मानते हैं कि जनता का साथ उद्धव ठाकरे और उनकी शिवसेना के साथ है. गद्दारों द्वारा तो जनादेश चुराया गया है. आदित्य ने इस बात पर जोर दिया कि इस समय वे पूरे राज्य में फिर चुनाव नहीं चाहते हैं, लेकिन 41 सीटों पर तो चुनाव हो ही सकते हैं.
आदित्य हिंदुत्व पर नरम, शिवसेना में फिट नहीं?
आदित्य को लेकर एक धारणा ये भी बन गई है कि वे हिंदुत्व के मुद्दे पर नरम रहते हैं. उनकी वो छवि नहीं जो बाला साहेब ठाकरे की हुआ करती थी. इस पर आदित्य ने कहा कि हर समय की अपनी राजनीति होती है. 60 और 70 के दशक के दौरान महाराष्ट्र में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा था, उनके हक मारे जा रहे थे. इसलिए तब बालासाहेब ने मातृभूमि का मुद्दा उठाया था. लेकिन मैं जिस समय में राजनीति कर रहा हूं, वो अलग है. अब लोगों के मुद्दे बदल गए हैं, मैं उन मुद्दों को उठाऊंगा जो आज की पीढ़ी से कनेक्शन रखते हैं.
बातचीत के दौरान आदित्य ठाकरे ने राजनीतिक होर्डिंग वाला मुद्दा भी उठाया. उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में कहीं भी पॉलिटिकल बैनर या होर्डिंग नहीं होनी चाहिए. वे इसका समर्थन नहीं करते हैं. उन्होंने ये भी जानकारी दी कि वे इस मुद्दे को लेकर सभी पार्टियों को चिट्ठी लिखेंगे. वे मानते हैं कि सभी को साथ आना चाहिए. जनता काम देखती है, बैनर नहीं.